विषय सूची
Complete Mutual Funds Investment Guide in Hindi Introduction
Complete Mutual Funds Investment Guide in Hindi-म्यूच्यूअल फण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान हिन्दी में आप जानेंगे कि Mutual fund क्या होता है? Mutual Funds कैसे काम करता है? म्यूचुअल फण्ड का इतिहास क्या है? म्यूचुअल फण्ड के कितने प्रकार होते है? संरचना के आधार पर Mutual Funds के प्रकार, एसेट के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार, म्यूचुअल फण्ड में इन्वेस्ट करने से पहले किन बातो का ध्यान रखे, म्यूचुअल फण्ड में कैसे करें निवेश? किन तरीको से म्यूचुअल फण्ड में इनवेस्टमेंट किया जाता है?
म्यूच्यूअल फण्ड कैसे खरीदते हैं? म्यूचुअल फण्ड में इनवेस्ट करने के मुख्य तरीके क्या हैं, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में रिस्क का क्या मतलब होता है, म्युचुअल फण्ड के क्या लाभ है, म्यूचुअल फण्ड के नुक़सान क्या है, म्यूचुअल फण्ड के टॉप 10 स्कीमों कौन से है और म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब। तो चलिए एक-एक करके इन सबको विस्तार से जानते हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड क्या है?
म्यूच्यूअल फण्ड एक फण्ड होता है जिसमे बहुत सारे निवेशकों का पैसा एक साथ रखा जाता है। धन के इस समूह को सबसे अधिक मुनाफा अर्जित करने के लिए मैनेज किया जाता है और इस फण्ड के प्रबंधन के लिए फण्ड प्रबंधक नियुक्त होते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो म्यूच्यूअल फण्ड बहुत सारे लोगों के पैसे से बना हुआ फण्ड होता है। जिसमे लगाया गया पैसे अलग-अलग जगहों पर जैसे इक्विटी, बांड, मुद्रा बाज़ार के साधनों और अन्य सिक्योरिटीज में ये राशि निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कोशिश की जाती है कि निवेशक को उसकी रक़म से ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा दिया जाए।
म्यूच्यूअल फण्ड SEBI यानी कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के अंतर्गत पंजीकृत हैं। जो कि भारत में बाज़ार को नियंत्रित करने का करता है। निवेशकों के पैसो को बाज़ार में सुरक्षित रखने का काम SEBI के द्वारा ही किया जाता है। SEBI द्वारा ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं कोई कंपनी लोगों के साथ धोखा तो नहीं कर रही।
म्यूच्यूअल फण्ड कैसे काम करता है?
आसान शब्दों में कहें तो Mutual Funds बहुत सारे लोगों के पैसे से बना हुआ फण्ड होता है। जिसमे लगाया गया पैसे अलग-अलग जगहों पर जैसे इक्विटी, बांड, मुद्रा बाज़ार के साधनों और अन्य सिक्योरिटीज में ये राशि निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कोशिश की जाती है कि निवेशक को उसकी रक़म से ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा दिया जाए।
भारतीय म्यूच्यूअल फण्ड का इतिहास
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारत सरकार की पहल पर भारत पर यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) के गठन के साथ भारत में म्यूचुअल फण्ड उद्योग 1963 में शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य था छोटे निवेशकों को आकर्षित करना और उन्हें निवेश तथा बाज़ार से सम्बंधित विषयों से अवगत कराना। UTI का गठन संसद के एक अधिनियम के तहत 1963 में किया गया था। इसकी स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गयी थी और शुरूआती समय में इसने RBI के अंतर्गत काम किया।
म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार
म्यूच्यूअल फण्ड कई तरह के होते है। जिनको की हम दो श्रेणियों में बांट सकते है। पहला संरचना के आधार पर और दूसरा एसेट के आधार।
संरचना के आधार पर Mutual Funds के प्रकार
- Open Ended Mutual Fund: Open Ended Mutual Fund में निवेशक को अपने फण्ड किसी भी समय खरीदने या बेचने की छूट होती है इसमें फण्ड्स खरीदने या बेचने की कोई निश्चित तिथि या अवधी नहीं होती। Open Ended Mutual Fund निवेशकों को तरलता प्रदान करते है इसलिए निवेशकों द्वारा इसे काफ़ी पसंद किया जाता है।
- Close Ended Mutual Fund: Close Ended Mutual Fund में फण्ड को बेचने की एक निर्धारित अवधि सुनिश्चित होती है और निवेशक फण्ड केवल फण्ड अवधि के दौरान खरीद सकते हैं और इस तरह के फण्ड शेयर मार्किट में भी शामिल किये जाते है। इसके बाद इनको ट्रेडिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- Interval Funds: Mutual Funds का यह प्रकार open ended funds और close ended funds दोनों tarah ke fund के साथ मिलकर बना हुआ होता है। इसमें दोनों फण्ड की सुविधाएँ प्रधान की जाती है। यह निवेशकों को पूर्व–निर्धारित अंतराल (Interval) पर funds का कारोबार करने की अनुमति प्रदान करता है। तथा उस निर्धारित अवधि पर funds की trading की जा सकती है।
ये तो बात हुयी संरचना के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार की, अब हम बात करेंगे की एसेट के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड कितने प्रकार के होते है।
एसेट के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार
- इक्विटि फण्ड: इक्विटी फण्ड म्यूच्यूअल फण्ड की वह स्कीम है, जो खासकर शेयर्स, कंपनी के स्टॉक्स में निवेश करती है। इन्हें ग्रोथ फण्ड या वृद्धि फण्ड भी कहते हैं। अगर आप दीर्घकालीन लाभ पाना चाहते है तो इक्विटी फण्ड आपके लिए बेहतर ऑप्शन होगा। Equity Fund शेयर मार्केट में निवेश करते है। इस तरह के फण्ड में जोखिम भी शामिल होता है पर इनसे होने वाला मुनाफा औरों के मुक़ाबले बहुत अधिक होता है।
इक्विटि फण्ड भी तीन प्रकार के होते हैं।
Large Cap Equity Fund: में बड़ी कंपनियाँ शामिल होती हैं, इसमें आपको रिटर्न कम मिलता है और रिस्क भी कम होता है।
Mid Cap Equity Fund: में मध्यमवर्ग की कंपनी शामिल होती हैं, इनमें थोड़ा-सा कम रिस्क होता है और थोड़ा-सा रिटर्न भी ज़्यादा मिलता है।
Small Cap Equity Fund: में छोटी कंपनियाँ शामिल होते हैं, इनके फण्ड मैनेजर कंपनी को जल्दी ग्रो करवाने के लिए ज़्यादा रिस्क पर पैसे लगाते हैं, Small Cap Equity Fund सबसे ज़्यादा रिस्क होता है और रिटर्न भी ज़्यादा मिलता है।
- इंडैक्स फण्ड: इंडेक्स फण्ड ऐसे निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फण्ड होते हैं जो बाज़ार के लोकप्रिय इंडेक्सों का नक़ल करते हैं। फण्ड मैनेजर फण्ड का पोर्टफोलियो बनाने के लिए उद्योगों और शेयरों का चुनाव करने में सक्रिय भूमिका नहीं निभाता बल्कि केवल उन सभी शेयरों में निवेश करता है जो नक़ल किए जाने वाले इंडेक्स में शामिल हैं। फण्ड में शेयरों की हिस्सेदारी इंडेक्स में प्रत्येक शेयर की हिस्सेदारी से बहुत हद तक मेल खाती है। यह निष्क्रिय निवेश है, यानि, फण्ड का पोर्टफोलियो बनाते हुए फण्ड मैनेजर केवल इंडेक्स की नक़ल करता है और हर समय उसके इंडेक्स के अनुरूप पोर्टफोलियो का प्रबंधन करता है।
- डेब्ट फण्ड: डेट म्यूचुअल फण्ड ये म्यूचुअल फण्ड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं। छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। पांच साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है। ये म्यूचुअल फण्ड स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं इस तरह के फण्ड मैं निवेशक को जोखिम बहुत कम होता है। इस फण्ड में अगर निवेशक की कमाई 10, 000 से अधिक है तो निवेशक को कर भरना पड़ेगा।
- हाइब्रिड म्यूचुअल फण्ड: हाइब्रिड म्यूचुअल फण्ड स्कीम ये म्यूचुअल फण्ड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती हैं। इन स्कीम को चुनते वक़्त भी निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना ज़रूरी है।
- लिक्विड म्यूच्यूअल फण्ड (Liquid Mutual Funds): लिक्विड फण्ड, यह भी निवेश करने के लिए एक सुरक्षित विकल्प है। लिक्विड फण्ड कम समय वाले ऋण उपकरणों में निवेश करते है। इसलिए अगर आप कम समय के लिए निवेश करना चाहते है तो लिक्विड फण्ड आपकी पसंद हो सकते है।
- मनी मार्केट फण्ड (Money Market Funds): इस तरह के फण्ड्स शार्ट टर्म में निवेशकों के लिए उचित रिटर्न प्रदान करते है। इसमें सुरक्षित जगहों पर निवेश किया जाता है।
- सेक्टर फण्ड: सेक्टर फण्ड किसी एक आर्थिक क्षेत्र की कम्पनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। अत आप ऐसे म्युचुअल फण्ड चुन सकते हैं जो केवल सॉफ्टवेयर, स्टील, सीमेंट, या तेल आदि क्षेत्र के शेयरों में निवेश करें। अत क्षेत्र में तेज़ी आने पर फण्ड के निवेशकों को काफ़ी लाभ हो सकता है।
- टैक्स सेविंग फण्ड: ये फण्ड इंकम टैक्स ऐक्ट, 1961 की धारा 88 के तहत प्रति व्यक्ति 10, 000 तक के वार्षिक निवेश पर कर में छूट प्रदान करते हैं। इक्विटी व सेक्टर फण्ड की तरह इन में भी निवेश की वृद्धि पर ध्यान दिया जाता है, क्योंकि ये ऐसे फण्ड में निवेश कर सकते हैं जिनमें कम-से-कम तीन वर्ष से पहले पैसा बाहर नहीं निकाला जा सकता। इसके कारण फण्ड मैनेजर दीर्घकालीन निवेश कर सकते हैं।
- बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फण्ड्स (Balanced Mutual Funds): इस तरह के फण्ड स्कीम में इक्विटी फण्ड और डैब्ट फण्ड का मिलाजुला फायदा मिलता है। इस प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड में जमा हुए फण्ड को इक्विटी और डैब्ट दोनों जगहों पर ही निवेश किया जाता है। इस प्रकार के फण्ड निवेशकों को जहाँ एक ओर तो आय में स्थिरता देते हैं दूसरी ओर आय वृद्धि को भी गति प्रदान करते है।
इन फण्ड के अलावा भी कई और तरह के फण्ड होते है पर मुख्य रूप से और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल में लाये जाने वाले फण्ड यही है।
म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने से पहले इन बातो का ध्यान रखे
अगर आपने म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने का मन बना लिया है और अपनी पूंजी को इसमें निवेश करना चाहते है तो सबसे पहले आपको कुछ बातो को जानना आवश्यक है।
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से पहले आपको सही Mutual Fund scheme का चयन करना ज़रूरी है। इसके बाद अपनी जोखिम लेने की क्षमता का भी आकलन कर ले और म्यूच्यूअल फण्ड की पिछली प्रदर्शन को चेक करे। इससे आपको एक आईडिया मिल जायेगा की कोन-सी स्कीम में रिस्क कम और लाभ ज़्यादा है।
म्यूच्यूअल फण्ड के इन्वेस्टमेंट में होने वाले खर्चे को भी एक बार आकलन कर ले और साथ ही Fund house और Fund manager के पिछले रिकॉर्ड को भी चेक करे।
म्यूचुअल फण्ड में कैसे करें निवेश?
आप किसी म्यूचुअल फण्ड की वेबसाइट से सीधे निवेश कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो किसी म्यूचुअल फण्ड एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं।
अगर आप सीधे निवेश करते हैं तो आप म्यूचुअल फण्ड स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं। अगर आप किसी एडवाइजर की मदद से निवेश कर रहे हैं तो आप किसी म्यूचुअल फण्ड स्कीम के रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं। अगर आप सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको उस म्यूचुअल फण्ड की वेबसाइट पर जाना पड़ेगा।
आप उसके दफ्तर में भी अपने दस्तावेज के साथ जा सकते हैं। म्यूचुअल फण्ड के किसी डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का फायदा यह है कि आपको कमीशन नहीं देना पड़ता है। इसलिए लंबी अवधि के निवेश में आपका रिटर्न बहुत बढ़ जाता है। इस तरीके से म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने में एक दिक्कत यह है कि आपको ख़ुद रिसर्च करना पड़ता है।
किन तरीको से म्यूचुअल फण्ड में इनवेस्टमेंट किया जाता है?
म्यूचुअल फण्ड में इनवेस्टमेंट दो तरीके से किया जाता है। पहला लम्प-सम दूसरा है SIP. लम्प-सम में हमें जितने भी पैसे इनवेस्ट करने होते है, सारे पैसे हम एक साथ ही इनवेस्ट कर देते हैं। इस तरह के इन्वेस्टमेंट में काफ़ी ज़्यादा रिस्क होता है।
SIP-SIP यानी कि Systematic Investment Plan-इसमें पैसों को आप अपने हिसाब से कुछ समय अंतराल में जमा करते हैं। अगर इसे आसान शब्दों में कहे तो हर महीने या हर क्वार्टर में कोई तय रक़म का निवेश करना ही SIP होता है। SIP के माध्यम से आप महीने के पांच सौ से भी म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते है।
म्यूच्यूअल फण्ड कैसे खरीदते हैं?
जब कोई Mutual Fund Scheme मार्केट में आती है तो उसकी NFO यानी कि New Fund Offer आती है। किसी भी म्यूच्यूअल फण्ड का NFO आने से पहले उसका ऑफर डॉक्यूमेंट पब्लिश होता है। उस ऑफर डॉक्यूमेंट में स्कीम्स के गोल्स, ऑब्जेक्टिव, रिस्क एंड रिवार्ड्स, बेंचमार्क, लोड एंड एक्सपेंसेस इत्यादी की जानकारी होती है। किसी भी म्यूच्यूअल फण्ड में इनवेस्ट करने से पहले आप उस स्कीम के ऑफर डॉक्यूमेंट को ज़रूर पढ़िए।
Mutual fund में इनवेस्ट करने मुख्य रूप से चार तरीके हैं-म्यूच्यूअल फण्ड कम्पनीज में ऑफलाइन इनवेस्टमेंट, ब्रोकर के जरिए ऑफलाइन इन्वेस्टमेंट, म्यूच्यूअल फण्ड के अधिकारिक वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन इनवेस्टमेंट और ऐप्प के जरिये इन्वेस्टमेंट।
- म्यूच्यूअल फण्ड कम्पनीज में ऑफलाइन इनवेस्टमेंट-आप अपने नजदीकी म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी में जाकर सभी आवश्यक डॉक्यूमेंट को भरकर म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम खरीद सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स वहाँ जमा करना होता है। जैसे-निवास प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, कैंसल चेक और पासपोर्ट साइड फोटो। इसके बाद कंपनी आपसे एक एप्लीकेशन फॉर्म भरवाएगी जिसे भरकर आप आपना इनवेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं।
- ब्रोकर के जरिए ऑफलाइन इनवेस्टमेंट- म्यूच्यूअल फण्ड ब्रोकर या फिर म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए भी आप म्यूच्यूअल फण्ड में इनवेस्ट कर सकते हैं। इसमें भी आपको सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करना होता है और इसमें सबसे ज़्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि इस तरह की म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में एक्सपेंस रेश्यो ज़्यादा होता है। क्योंकि हमारे इसी एक्सपेंस रेश्यो के पैसे से कुछ कमीशन उस म्यूच्यूअल फण्ड ब्रोकर या फिर डिस्ट्रीब्यूटर को दिया जाता है।
- आधिकारिक वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन इनवेस्टमेंट-वैसे तो आजकल ज्यादातर म्यूच्यूअल फण्ड ऑनलाइन ही खरीदे जा रहे हैं। कई सारे वेबसाइट है जहाँ से आप ऑनलाइन म्यूच्यूअल फण्ड खरीद सकते हैं।
- ऐप के जरिए-सबसे सरल और आसान तरीक़ा है ऐप के जरिये म्यूच्यूअल फण्ड खरीदना। स्मार्टफोन के इस ज़माने में मोबाइल ऐप का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा हो गया है। इसलिए हमारे बीच ऐप भी आ गए हैं जिनका इस्तेमाल कर हम म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में इनवेस्ट कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड में रिस्क का क्या मतलब होता है?
म्यूचुअल मतलब को एक रिस्की निवेश मान लिया गया है। लेकिन अगर पूरी जानकारी के साथ निवेश किया जाए तो म्यूचुअल फंड में निवेश कर पूरा फायदा उठाया जा सकता है। सबसे पहले इस बात को समझने की ज़रूरत है कि म्यूचुअल फंड में निवेश शेयर बाज़ार की तरह रिस्की नहीं है।
अगर आप अपना पूरा पैसा किसी एक कंपनी में निवेश कर दें और किसी वज़ह से वह डूब जाए तो आपका सारा पैसा भी डूब जाएगा। लेकिन अगर आपने म्यूचुअल फंड के माध्यम से पैसा लगाया है तो आपके साथ ऐसा नहीं होगा। म्युचुअल फंड में आपके पैसे को अलग-अलग कंपनियों में लगाया जाता है। म्युचुअल फंड में पैसा अलग-अलग शेयर और बांड में इन्वेस्ट किया जाता है। इसका फायदा यह है कि अगर किसी एक कंपनी में लगा पैसा दिक्कत में भी आ जाए तो बाक़ी जगह पर लगा हुआ पैसा उसे कवर कर ले। इससे आपका नुक़सान नहीं हो पाए।
म्युचुअल फण्ड के लाभ क्या है?
म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप 500 रूपये की न्यूनतम राशि से इन्वेस्ट कर सकते है। मतलब अगर आपके पास ज़्यादा पूजी नहीं है तब भी आप म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करके लाभ ले सकते है। म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने पर निवेशकों को इसकी देखरेख भी नहीं करनी पड़ती है क्योकि इसको फण्ड मैनेजर्स के द्वारा मैनेज लिया जाता है।
फण्ड मैनेजर्स लम्बे समय से इस फील्ड में काम कर चुके होते है और मार्केट में होने वाले उतर चढ़ाव पर अपनी नज़र बनाये रखते है। फण्ड मैनेजर्स अपनी स्किल्स और एक्सपीरियंस से सिर्फ़ ऐसी स्कीम में पैसा निवेश करते है। जहाँ पर ज़्यादा से ज़्यादा लाभ हो सके।
म्यूच्यूअल फण्ड को मैनेज करने वाला मैनेजर आपको स्कीम की पूरी जानकारी देता रहता है तथा और कहाँ इन्वेस्ट कर रहा है मार्केट में होने वाले बदलाव आदि से अगवत करता है जिससे इसमें पारदर्शिता बनी रहती है और इसमें किसी भी प्रकार का अतिरिक्त या हिडन चार्जेज नहीं देना पड़ता है।
म्यूचुअल फण्ड के नुकसान क्या है?
म्यूच्यूअल फण्ड के पैसे को बिभिन्न प्रकार के मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है और कभी-कभी इस मार्केट की वैल्यू में आये उतार चढ़ाव की बजह से आपको हानि भी हो सकता है। म्यूच्यूअल फण्ड में कई लोग एक साथ इन्वेस्ट करते है और अगर बहुत बढ़ा मुनाफा होता भी है तो उस प्रॉफिट को कई लोगों में बाँट दिया जाता है जिसकी बजह से प्रॉफिट का कुछ हिस्सा ही मिल पता है जिससे ज़्यादा लाभ नहीं मिल पता है। म्यूच्यूअल फण्ड के पैसे को कहाँ और कब इन्वेस्ट करना है इस पर इन्वेस्टर्स का कण्ट्रोल नहीं होता है क्योकि म्यूच्यूअल फण्ड को फण्ड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है।
टॉप 10 म्यूचुअल फण्ड स्कीमों की लिस्ट
- एक्सिस ब्लूचिप फण्ड
- मिराए एसेट लार्जकैप फण्ड
- पराग पारेख लॉन्ग टर्म इक्विटी फण्ड
- कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फण्ड
- एक्सिस मिडकैप फण्ड
- डीएसपी मिडकैप फण्ड
- एक्सिस स्मॉलकैप फण्ड
- एसबीआई स्मॉलकैप फण्ड
- एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फण्ड
- मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फण्ड
हालांकि, इन स्कीमों में निवेश करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। हर एक कैटेगरी के बारे में जानें और पता करें कि क्या वह आपके निवेश के लक्ष्य और जोखिम प्रोफाइल से मेल खाती है या नहीं।
म्युचुअल फंड में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का मतलब
जहाँ म्युचुअल फण्ड की बात आती है वहाँ आमतौर पर लिस्ट में दिए गए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि शुरुआती इन्वेस्टर्स को इन सभी शब्दों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है, आप किसी भी शब्द को सीखने के लिए, ग्लोसरी के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: शेयर बाजार कैसे काम करता है सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
शब्द | जानकारी |
80सी | यह इनकम टैक्स की धारा के अंदर आने वाला सेक्शन है जो इनकम टैक्स में छूट को बताता है। |
एएमसी (AMC) | एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) – ऐसी कंपनी जो म्युचुअल फण्ड चलाती है। जैसे HDFC म्युचुअल फण्ड,ICICI प्रूडेंशियल म्युचुअल फण्ड। |
वार्षिक रिटर्न | अगर इन्वेस्टमेंट एक साल तक किया गया है तब उस पर रिटर्न मिलता है। अगर आप एक साल से कम या एक साल से ज़्यादा के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं, तब भी इसे एक साल का ही माना जाएगा। |
आर्बिट्रेज़ फण्ड | आर्बिट्रेज़ फण्ड विशेष प्रकार के म्युचुअल फण्ड हैं जो इक्विटी सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं, लेकिन साथ ही साथ इन इक्विटी सेक्योरिटीज़ के डेरिवेटिव में एक जैसी और विपरीत स्थिति ले लेते हैं। ये फण्ड प्रभावी तौर पर लिक्विड फण्ड के बराबर ही रिटर्न देते हैं और इनमें रिस्क भी उतनी ही होती है। इसके अलावा, इन फण्ड पर इक्विटी फण्ड की ही तरह टैक्स लगाया जाता है और इसलिए 1 साल के बाद टैक्स ज़ीरो हो जाता है। |
एसेट एलोकेशन | एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें आपके फण्ड को अलग-अलग एसेट्स में एलोकेट किया जाता है। इन एसेट्स का मतलब है, जैसे – इक्विटी, डेट या गोल्ड। एसेट्स को आगे चलकर लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में भी बांटा जा सकता है। |
एयूएम (AUM) | एसेट्स अंडर मैनेजमेंट(AUM)। म्युचुअल फण्ड स्कीम में इन्वेस्टमेंट के लिए रखा हुआ कुल फण्ड। |
एवरेज मेचोरिटी (औसत मेचोरिटी) | फण्ड के द्वारा ली गई सभी डेट सेक्योरिटीज़ (डेट सेक्योरिटी के शुरुआती दिन और आखिरी पेमेंट के दिन के बीच के साल, जिस पॉइंट पर प्रिंसिपल का पेमेंट किया जाना है) के मेचोरिटी का वेटेड एवरेज। |
बैलेंस्ड फण्ड | बैलेंस्ड फण्ड को हाइब्रिड फण्ड भी कहते है- इक्विटी ओरिएंटेड फण्ड डेट और इक्विटी में इन्वेस्ट करते है। बैलेंस्ड फण्ड के बारे में यहाँ और पढ़ें |
बेंचमार्क | ऐसे मानदंड जिनसे आप अपने रिटर्न की तुलना कर सकते हैं। आमतौर पर बेंचमार्क में सेंसेक्स और निफ्टी आते है। पर इनके अलावा कुछ और भी चीजें हो सकती है, मगर ये इस पर निर्भर करता है कि आपने कौन-सा फण्ड चुना है। |
ब्रोकरेज | ये वो फीस है जो अपने इन्वेस्टमेंट को खरीदने या बेचने के लिए आप अपने ब्रोकर को देते हैं । |
क्रेडिट रेटिंग | किसी कंपनी या सरकार द्वारा दिए गये सभी डेट की इंडिपेंडेंट (स्वतंत्र) रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग की जाती है। यह रेटिंग कंपनी के डेट को वापस चुकाने की क्षमता के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए AAA रेटेड डेट अच्छे है जबकि BB नहीं। |
क्रिसिल | क्रिसिल एक रेटिंग एजेंसी है, जो कंपनियों के द्वारा दिए गए म्युचुअल फण्ड और डेट को रेट करती है। |
डेट फण्ड | डेट फण्ड म्युचुअल फण्ड हैं, जो डेट इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं। डेट फण्ड के बारे में यहाँ और जाने। |
डायरेक्ट फण्ड | ऐसे फण्ड जो आप डिस्ट्रीब्यूटर्स से नहीं खरीदते हैं। इन्हें सीधे AMC से खरीदा जाता है। डायरेक्ट फण्ड के बारे में यहाँ और जानें। |
डिविडेंड स्कीम्स | ऐसी म्युचुअल फण्ड स्कीम्स जो मुनाफ़े को दोबारा इक्विटी और डेट में डालने की बजाय, अपने इन्वेस्टर्स को नियमित तौर पर डिविडेंड देती है। |
इएलएसएस (ELSS) | इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)। इसे टैक्स सेविंग फण्ड के नाम से भी जाना जाता है – ये विशेष म्युचुअल फण्ड है, जिन्हें सेक्शन 80C के तहत टैक्स से छूट मिली हुई है। इसके बारे में यहाँ और पढ़ें । |
इक्विटी | इक्विटी का मतलब है किसी कंपनी के स्टॉक्स। इक्विटीज़ को खरीदना और किसी कंपनी के स्टॉक्स को खरीदना एक जैसा ही है। इक्विटी म्युचुअल फण्ड, पब्लिक लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में इन्वेस्ट करते है। |
ईटीएफ (ETF) | एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड (ETF)। ETF, म्युचुअल फण्ड जैसे ही हैं पर ये स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किए जाते हैं। लोग इन्हें स्टॉक्स की ही तरह खरीद और बेच सकते है। इसके बारे में यहाँ और पढ़ें । |
एग्ज़िट लोड | जब आप एक म्युचुअल फण्ड को बेचते है, तब कुछ स्कीम पर एग्ज़िट लोड लागू होता है। ये कुछ स्कीम्स के लिए 1% तक हो सकता है। इसके लिए यहाँ पढ़ें |
खर्च अनुपात (एक्सपेंस रेशो) | इसे आपके इन्वेस्टमेंट के प्रतिशत के रूप में देखा जाता है। यह वह पैसा है जो आप हर साल आपके पैसों को मैनेज करने के लिए फण्ड हाउस को देते है। इसके बारे में यहाँ पर पढ़ें। |
फेस वैल्यू | किसी सेक्योरिटी की अनुमानित (नोशनल) वैल्यू जिस पर डिविडेंड,शेयर कैपिटल आदि कैलकुलेट किए जाते हैं। मगर इन्वेस्टमेंट से जुड़े फैसले लेने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं हैं। |
फण्ड मेनेजर | फण्ड मेनेजर वो व्यक्ति होता है, जो आपके पैसों को किस म्युचुअल फण्ड में इन्वेस्ट करना है ये फैसला करता है । किसी भी म्युचुअल फण्ड की परफॉरमेंस बड़े पैमाने पर उसके फण्ड मैनेजर पर निर्भर करती है। |
फण्ड के फण्ड | एक ऐसा फण्ड जिसे किसी दुसरे फण्ड के पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट किया जाता है । इसे मल्टी मेनेजर इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है। ज़्यादातर ग्लोबल म्युचुअल फण्ड इंटरनेशनल फण्ड के फण्ड होते है। |
गिल्ट | गिल्ट फण्ड ऐसे म्युचुअल फण्ड होते हैं जो सिर्फ सरकारी बोंड्स (डेट) में इन्वेस्ट करते हैं। ऐसे इन्वेस्टर जो रिस्क लेना चाहते हों और पुराने तरीकों पर चलकर सेक्योर्ड (सुरक्षित) सरकारी बॉन्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हों, के लिए ऐसे फण्ड एक सही चुनाव है। |
गोल्ड फण्ड | गोल्ड फण्ड ऐसे म्युचुअल फण्ड हैं जो गोल्ड के हर प्रकार में इन्वेस्ट करते हैं। चाहे फिर वो फिज़िकल गोल्ड हो या फिर गोल्ड माइनिंग की कम्पनियाँ। |
ग्रोथ प्लान (विकास योजना) | ग्रोथ प्लान का मतलब है, डिविडेंड जिनका पेमेंट म्युचुअल फण्ड में स्टॉक्स से किया जा सकता है और आगे और फ़ायदा पाने (कमाने) के लिए उन्हें फिर से इन्वेस्ट किया जाएगा। |
होल्डिंग्स | म्युचुअल फण्ड के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के हिस्से ही होल्डिंग्स कहलाते हैं। |
इंडेक्स फण्ड | इंडेक्स फण्ड, पोर्टफोलियो म्युचुअल फण्ड का ही एक प्रकार है, जिसे मार्केट इंडेक्स के अलग-अलग भागों को मैच या ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। इंडेक्स फण्ड के बारे में यहाँ पढ़ें । |
इन्वेस्टमेंट उद्देश्य | इस उद्देश्य को AMC ने इस म्युचुअल फण्ड के लिए शुरु किया है। AMC इस म्युचुअल फण्ड को इसी तरीके से ऑपरेट करेगा। लेकिन इनमें से ज़्यादातर उद्देश्य बदलते रहते हैं और इसलिए यह आपको AMC के उद्देश्य के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं देते हैं। |
केवाईसी (KYC) | इन्वेस्टमेंट के उद्देश्य के लिए पहचान और पते के प्रमाण को घोषित करने के लिए नो योर कस्टमर (KYC), की प्रक्रिया सेबी ने सबसे ज़रूरी बताई है। |
लार्ज कैप | ये इक्विटी फण्ड की एक ऐसी श्रेणी है, जो सामान्यतः बड़े मार्केट कैपिटलाइज़ेशन वाली कंपनियों जैसे लगभग 20,000 करोड़ और उससे ज़्यादा में इन्वेस्ट करती है। |
लॉन्च की तारीख | यह वह तारीख है, जिस दिन नए फण्ड के ऑफर के जरिए म्युचुअल फण्ड लॉन्च किया जाता है। |
लिक्विड फण्ड | लिक्विड फण्ड ऐसे म्युचुअल फण्ड हैं, जो कम समय की मेचोरिटी और ज़्यादा भरोसे (ऊँची क्रेडिबिलिटी) के साथ मनी मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं(FD आदि)। इसलिए ये ज्यादातर ज़ीरो-रिस्क के म्युचुअल फण्ड होते हैं। |
लॉक-इन पीरियड | ये इन्वेस्टमेंट की तारीख से शुरू होने वाली वह समय अवधि है,जिसके लिए इन्वेस्टमेंट को वापस नहीं लिया जा सकता है। टैक्स सेविंग म्युचुअल फण्ड में 3 साल का लॉक-इन होता है। |
लॉन्ग टर्म | ज़्यादातर चर्चाओं में 5 साल से ज़्यादा का समय लॉन्ग टर्म माना जाता है। |
मार्केट कैप | मार्केट कैपिटलाइजेशन, पब्लिक ट्रेडेड कंपनी की मार्केट वैल्यू होती है। इसे मौजूदा शेयर की कीमत के साथ स्टॉक्स की संख्या से गुणा (मल्टिप्लाय) करके कैलकुलेट किया जाता है। |
मीन रिटर्न | मीन रिटर्न, किसी समय अवधि के अंदर मिलने वाले रिटर्न का अरिथमेटिक औसत है। इसे म्युचुअल फण्ड के अपेक्षित (एक्सपेक्टेड) रिटर्न्स के रूप में भी जाना जाता है। |
मिड कैप | ये इक्विटी फण्ड की ही एक केटेगरी है जो आमतौर पर मिड-साइज़्ड (मध्यम आकार) की कम्पनियों जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के अंदर हो, में इन्वेस्ट करती है। |
मिनिमम एडिशनल इन्वेस्टमेंट (न्यूनतम अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट) | मिनिमम एडिशनल इन्वेस्टमेंट का मतलब है कि, अगर आपने पहले से ही एक फण्ड में इन्वेस्ट किया हुआ है तो वो कम से कम राशि जिसका इस्तेमाल आप उसी फण्ड में और इन्वेस्ट करने के लिए करते हैं। |
मिनिमम इन्वेस्टमेंट(न्यूनतमइन्वेस्टमेंट | मिनिमम इन्वेस्टमेंट, फण्ड में इन्वेस्ट किए हुए एक मुश्त पैसे का वो मिनिमम अमाउंट (कम से कम राशि ) होता है, जो फर्स्ट-टाइम (पहली बार के) इन्वेस्टमेंट के रूप में जमा किया जाता है। |
मनी मार्केट | मनी मार्केट, फाइनेंशियल मार्केट का वो हिस्सा होता है जहाँ बहुत लिक्विड और शॉर्ट-टर्म मेचोरिटी में ट्रेड किया जाता है। |
एनएवी (NAV ) | नेट एसेट वैल्यू, ये किसी विशेष तारीख या समय पर म्युचुअल फण्ड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फण्ड का प्रति शेयर मूल्य है। |
एनएफओ | न्यू फण्ड ऑफर। जब कोई म्युचुअल फण्ड लॉन्च किया जाता है तब एक नया फण्ड ऑफर किया जाता है, जिससे फर्म सेक्योरिटीज़ खरीदने के लिए कैपिटल जुटाता है। इन्वेस्टर्स, एनएफओ से किसी क्लोज्ड –एन्ड म्युचुअल फण्ड की एक यूनिट को खरीद सकते है। |
निफ्टी | भारत में निफ्टी एक प्रमुख स्टॉक इंडेक्स है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा पेश किया गया है। निफ्टी की कीमत चुने हुए 50 स्टॉक्स की कीमत का वेटेड एवरेज (औसत) होता है। |
नॉमिनी | नॉमिनी, वह व्यक्ति होता है जिसे किसी संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में फायदा मिलता है। |
पैन | परमानेंट अकाउंट नंबर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट(आयकर विभाग) द्वारा जारी एक 10 अक्षरों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड है। भारत में कोई भी फाइनेंशियल लेनदेन करने के लिए पैन ज़रूरी है। |
पोर्टफोलियो | किसी एक व्यक्ति के लिए, पोर्टफोलियो फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट्स का एक कलेक्शन है। म्युचुअल फण्ड के लिए, एक पोर्टफोलियो कईं फाइनेंशियल सेक्योरिटीज़ में फण्ड की हाल की होल्डिंग्स है। |
पीएसयू | पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग पब्लिक या यूनियन गवर्नमेंट (राज्य या संघ सरकार) के अधिकार वाले कॉर्पोरेट्स होते हैं। |
रेटिंग | रेटिंग कई फैक्टर्स के आधार पर सेक्योरिटीज़ के सावधानीपूर्वक किए गए इवेल्युएशन के बाद प्रोडक्ट को दिया गया स्कोर है। |
रिडीम | म्युचुअल फण्ड को बेचकर इन्वेस्ट किए पैसे को वापस निकालना ही रिडीम कहलाता है |
रिडेम्पशन | रिडेम्पशन एक ऐसी क्रिया है जिसमें म्युचुअल फण्ड में इन्वेस्ट किए पैसे को वापस निकाला जाता है |
रेगुलर फण्ड | रेगुलर फण्ड, एडवाइज़र, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर जैसे इन्टर्मीडीएरी के जरिए खरीदे गए फण्ड होते है। |
रिटर्न्स | रिटर्न्स किसी इन्वेस्टमेंट पर हुए फायदे और नुकसान को बताता है। यह मूल रूप से प्रिंसिप (SIP)ल अमाउंट (राशि) में हुए बदलाव को बताता है। |
रिस्क | आमतौर पर रिस्क का मतलब इन्वेस्टमेंट में होने वाली अनिश्चितता है। यह स्टैण्डर्ड या एक्सपेक्टेड वैल्यू (अपेक्षित मूल्य) से डेविएशन को दर्शाता है। |
रिस्क फ्री रेट | रिस्क फ्री रेट, बिना रिस्क के किसी इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न्स की थ्योरेटिकल रेट को कहा जाता है। हम रिस्क फ्री रेट के लिए एसबीआई की 3 महीने की एफडी (FD) को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है। |
आरटीए | रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट एक ऐसी एजेंसी है, जो म्युचुअल फण्ड के द्वारा नियुक्त की जाती है और ये म्युचुअल फण्ड यूनिट के एलोकेशन/रिडेम्पशन को हैंडल करती है। |
सेक्टर एलोकेशन | कईं सेक्टर्स जैसे फाइनेंशियल सर्विसेज़, आईटी, आदि में म्युचुअल फण्ड की अलग-अलग होल्डिंग का होना। |
सेक्टर फण्ड | एक ऐसा फण्ड जो सिर्फ किसी खास सेक्टर या इंडस्ट्री में हो रहे बिज़नेस में ही इन्वेस्ट करता है, सेक्टर फण्ड कहलाता है। चूँकि ये फण्ड एक ही सेक्टर से हैं, इसलिए ऐसे फण्ड डायवर्सिफाइड(अलग-अलग तरह के) नहीं होते हैं। |
सेंसेक्स | ये पूरे स्टॉक मार्केट को दर्शाता है। इसे एक आंकड़े के रूप में देखा जा सकता है जो फ्री फ्लोट मार्केट पर 30 कंपनियों की वेटेड रिलेटिव कीमत को बताता है। सेंसेक्स का बेस फाइनेंशियल इयर FY 1979 है और बेस वैल्यू 100 है। |
शार्प रेशो | इसका मतलब है रिस्क से प्रति यूनिट रेट पर रिस्क फ्री रेट वाले मीन रिटर्न्स कमाना। ये रिस्क एडजस्टमेंट रिटर्न्स को मापने का एक तरीका है। इसे नोबेल पुरस्कार विजेता विलियम एफ.शार्प ने बनाया था। |
शॉर्ट टर्म | शॉर्ट-टर्म, 12 महीने से कम की समय अवधि है। |
एसआईडी | स्कीम इनफार्मेशन डॉक्यूमेंट(एसआईडी), म्युचुअल फण्ड से जुड़ी सारी जानकारी देता है। यह आम तौर पर 50+ पेजों का डॉक्यूमेंट है, जो सारी जानकारी देता है। कुछ मामलों में म्युचुअल फण्ड पूरी केटेगरी के लिए एक संयुक्त (कम्बाइंड) एसआईडी जारी करता है। |
सिप (SIP) | सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, एक ऐसा तरीका है जिसमें पैसों को रेगुलर इंटरवल (नियमित अंतराल) पर म्युचुअल फण्ड में इन्वेस्ट किया जाता है। हर महीने किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है। |
न्यूनतम सिप (SIP) | ये न्यूनतम इन्वेस्टमेंट अमाउंट है जिसे हर महीने सिप (SIP) म्युचुअल फण्ड में इन्वेस्ट करना होता है। इस राशि को म्युचुअल फण्ड ही तय करते हैं। |
स्मॉल कैप | स्मॉल कैप, कंपनियों की एक केटेगरी है जिनका मार्केट कैप 3000 करोड़ से कम होता है। ऐसे म्युचुअल फण्ड जो इन स्मॉल कैप कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं वो स्मॉल कैप फण्ड के अंदर आते हैं। |
स्टैण्डर्ड डेविएशन | स्टैण्डर्ड डेविएशन(इसे,ग्रीक चिन्ह σ से भी समझा जाता है), यह एक तरीका है जिसका इस्तेमाल मीन रिटर्न्स से औसत रिटर्न के बीच के बदलाव को मापने के लिए किया जाता है। |
एसटीपी (STP) | सिस्टेमेटिक ट्रान्सफर प्लान (STP ),सिस्टेमेटिक विथड्रॉवल प्लान(SWP) और सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान(SIP) को मिलाकर बनाया गया है।इसके अंदर नियमित तौर पर एक फण्ड से पैसा निकाला जाता है और उसी समय दूसरे फण्ड में इन्वेस्ट कर दिया जाता है। यह AMC फण्ड जैसे ही काम करते हैं। |
एसडब्लूपी (SWP) | सिस्टमैटिक विथड्रॉवल प्लान, सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान का उल्टा होता है। इसमें रेगुलर इंटरवल पर फण्ड से मनी रिडीम किया जाता है। |
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म | अल्ट्रा शॉर्ट टर्म, डेट म्युचुअल फण्ड का ही एक प्रकार है जो 1साल से कम की एवरेज मेचोरिटी वाली डेट सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं। |
यूटीआर (UTR) | जब भी आप आप एनईएफटी या आरटीजीएस से ट्रांज़ेक्शन करते है तब बैंक के द्वारा आपको यूनिक ट्रांज़ेक्शन रेफेरेंस (UTR) नंबर दिया जाता है । |
एक्सआईआरआर (XIRR) | एक्सआईआरआर, आईआरआर(इंटरनल रेट ऑफ़ रिटर्न) का ही एडवांस रूप है। जब दो से ज़्यादा ट्रांज़ेक्शन (पैसा इन्वेस्ट या रिडीम किया गया हो) हों और इर्रेगुलर इंटरवल (अनियमित अंतराल ) पर हों, तब ये कुल मिलाकर सारे रिटर्न्स को कैलकुलेट करने में मदद करता है। अगर आप किसी एक ही फण्ड में सिप (SIP) या मल्टीपल ट्रांज़ेक्शन कर रहे हैं तब रिटर्न्स को कैलकुलेट करने के लिए सिर्फ एक्सआईआरआर ही एक तरीका है। |
सस्पेंडेड फण्ड | ऐसे म्युचुअल फण्ड जिसने सिप (SIP) और एक मुश्त तरीके से नये इन्वेस्टमेंट लेना बंद कर दिया है, उन्हें सस्पेंडेड फण्ड मान लिया जाता है जैसे; डीएसपी बीआर माइक्रो कैप। |
यूनिट्स | इकाईयाँ (यूनिट्स) बताती हैं कि एक म्युचुअल फण्ड में किसी व्यक्ति के पास कितनी ओनरशिप (स्वामित्व) है। |
फोलियो | फोलियो फाइनेंशियल एसेट्स जैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्युचुअल फण्ड आदि का संग्रह (ग्रुप) होता है। |
वाईटीएम | आज के मार्केट प्राइस पर किसी इन्वेस्टर के द्वारा कमाया गया एवरेज इंटरेस्ट रेट, यह मानते हुए कि सभी डेट सेक्योरिटीज़ (बॉन्ड, लोन, आदि) मेचोरिटी होने तक रखी जाएगी। |
मॉडिफाइड (संशोधित) अवधि | यह इंटरेस्ट रेट के लिए डेट सेक्योरिटीज़ की संवेदनशीलता है। अगर मॉडिफाइड अवधि 1 है और इंटरेस्ट रेट 1% से बढ़ती है, तो डेट सेक्योरिटीज़ की कीमत 1% से कम हो जाती है। |
IFSC कोड (आईएफएससी कोड) | इंडियन फाइनेंशियल कोड सिस्टम (“भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड”)। इसका इस्तेमाल भारत में NEFT और RTGS जैसे इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफ़र करने के लिए और किसी बैंक की ब्रांच को ढूंढने में किया जाता है। |
बिलर | बिलर, कोई व्यक्ति या कोई वस्तु हो सकती है जो बिल और पेमेंट की प्रक्रिया करती है। |
इन्टरनेट-सिप (SIP) | इंटरनेट-आधारित सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP), ये सिप (SIP) को शुरू करने का वह तरीका है जिसमें किसी कागज़ की ज़रूरत नहीं होती है |
स्टॉक्स | स्टॉक किसी भी कंपनी के स्वामित्व के सर्टिफिकेट हैं। |
शेयर्स | शेयर किसी भी कंपनी के स्टॉक सर्टिफिकेट होते हैं। |
बॉन्ड्स | ये एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें इन्वेस्टर किसी एंटिटी को पैसा उधार देता है और यह एंटिटी (कंपनी) बदलते हुए या फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर एक निश्चित समय के लिए फण्ड उधार लेता है। |
ओपन-एंडेड फण्ड | ये एक प्रकार का म्युचुअल फण्ड है जिसमें, शेयरों को इशू करने (देने) की संख्या पर कोई सीमा नहीं होती है। |
क्लोज्ड-एंडेड फण्ड | यह एक ऐसा म्युचुअल फण्ड है, जो एक शुरुआती पब्लिक ऑफरिंग के जरिए एक फिक्स्ड अमाउंट का कैपिटल इकठ्ठा करता है और जिसे स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक की तरह ट्रेड किया जाता है। |
ग्लोबल फण्ड | म्युचुअल फण्ड का एक ऐसा प्रकार,जो पूरी दुनिया में किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट कर सकता है। |
न्यूनतम विथड्रॉवल | यह वह कम से कम ज़रूरी राशि है, जिसे हर साल आपके खाते से निकाला जाना ज़रूरी है। |
किम (KIM ) | की (key) इन्फॉर्मेशन मेमोरेंडम का शॉर्ट फॉर्म, जो स्कीम इनफार्मेशन डॉक्यूमेंट का एक दूसरा प्रकार है, जिसमें इन्वेस्टर्स के लिए ऑफर-डॉक्यूमेंट के खास सेक्शनों को बताया जाता है। |
इंडेक्सिंग (सूचीकरण) | ये एक तकनीक है जो इनकम पेमेंट्स को प्राइस इंडेक्स के अनुसार बनाए रखती है, जोकि इन्फ्लेशन के बाद, इन्वेस्टर्स के खरीदने की क्षमता को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है। |
इनकम फण्ड | इनकम फण्ड, म्युचुअल फण्ड, ईटीएफस(ETFs) या और किसी तरह का फण्ड है जिसके अंदर ऐसी सेक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट किया जाता है जो डिविडेंड या इंटरेस्ट पेमेंट्स देकर शेयरहोल्डर्स के लिए आमदनी का जरिया बन सके |
सरकारी सेक्योरिटीज़ | यह सरकारी अथॉरिटी द्वारा जारी किया गया एक बांड है, जिसमें मेचोरिटी होने पर रीपेमेंट (पुनर्भुगतान) होता है। |
सेक्योरिटीज़ | सेक्योरिटी एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है, जो एक तरह की फाइनेंशियल वैल्यू दर्शाता है। |
फ्लोटिंग रेट (अस्थाई दर) | फ्लोटिंग रेट एक ऐसी इंटरेस्ट रेट है जो इंडेक्स या मार्केट के आधार पर ऊपर-नीचे होती रहती है |
इक्विटी स्कीम | एक ऐसा म्युचुअल फण्ड जो खास तौर पर स्टॉक्स में इन्वेस्ट करता है, इक्विटी स्कीम/फण्ड कहलाता है |
एम्फी (AMFI) | एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फण्ड इन इंडिया, एक संगठन है जो इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स को बनाये रखती है। |
सेबी (SEBI) | सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड), सेक्योरिटीज़ मार्केट के लिए रेगुलेटर का काम करती है |
Closing Remarks:
तो दोस्तों इस आर्टिकल (Complete Mutual Funds Investment Guide in Hindi-म्यूच्यूअल फण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान हिन्दी में) में बस इतना ही आपको ये आर्टिकल (Complete Mutual Funds Investment Guide in Hindi) कैसी लगी हमें कमेन्ट कर के जरूर बताये। लेटेस्ट वीडियो को देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूले।
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया
Wish You All The Best