Top 50 Vidur Neeti in Hindi – महात्मा विदुर के अनमोल वचन

Top 50 Vidur Neeti in Hindi – महात्मा विदुर के अनमोल वचन: द्वापर युग की देन विदुर नीति आज कलियुग में कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि आज दुनिया में दुर्योधनों का बाढ़-सी आ गई है। अतः इसके उपदेशों से शिक्षा लेकर व्यक्ति, समाज, राज्य और देश को सुखी और कल्याणकारी बना सकता है।

TOP 50 VIDUR NITI IN HINDI
TOP 50 VIDUR NITI IN HINDI

Top 50 Vidur Neeti in Hindi – महात्मा विदुर के अनमोल वचन

तो शुरू करते है पहले नीति से

“अगर धर्म के सार को जानना है तो वह यही है कि जो काम आपको स्वयं के लिए अच्छा न लगे, उसे दूसरे के लिए न करें।”-विदुर नीति


“मन, वचन और कर्म से हम लगातार जिस वस्तु के बारे में सोचते हैं, वही हमें अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। अतः हमें सदा शुभ चीजों का चिंतन करना चाहिए” – विदुर नीति


जो व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं है, उस पर तो भरोसा न ही करें, लेकिन जो बहुत भरोसेमंद है, उस पर भी अंधे होकर भरोसा न करें, क्योंकि जब ऐसे लोग भरोसा तोड़ते हैं तो बड़ा अनर्थ होता है।- विदुर नीति


जो लोग स्वार्थी होते हैं, वे मतलब निकल जाने पर दोस्ती तोड़ लेते हैं; उनका प्रेम भी समाप्त हो जाता है। ऐसे स्वार्थी फिर अपने दोस्त की ही निंदा आरंभ कर देते हैं और उसके नाश से भी नहीं चूकते। ऐसे मतलबी व्यक्ति से दूर रहने में ही भलाई है।- विदुर नीति


जो प्रिय लगता है उसके बुरे काम भी अच्छे लगते हैं; लेकिन जो अप्रिय है, वह चाहे बुद्धिमान, सज्जन या विद्वान हो, बुरा ही लगता है।- विदुर नीति


काम को करने से पहले विचार करें कि उसे करने से क्या लाभ होगा तथा न करने से क्या हानि होगी? कार्य के परिणाम के बारे में विचार करके कार्य करें या न करें। लेकिन बिना विचारे कोई कार्य न करें।- विदुर नीति


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साधारण और बेकार के कामों से बचना चाहिए। क्योंकि उद्देश्यहीन कार्य करने से उन पर लगी मेहनत भी बरबाद हो जाती है।- विदुर नीति


प्रत्येक कार्य बहुत सोच-विचार करके और उद्देश्य निश्चित करके करना चाहिए। जल्दबाजी में कोई भी कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए- विदुर नीति


मनुष्य को चाहिए कि पहले कार्य का उद्देश्य तय करे, उसके परिणाम का आकलन करे, उससे अपनी उन्नति का विचार करे फिर उसे आरंभ करे।- विदुर नीति


जो काम करके अंत काल में अकेले बैठकर पछताना पड़े, उसे शुरू ही नहीं होने देना चाहिए।- विदुर नीति


विवकेशील और बुद्धिमान व्यक्ति सदैव ये चेष्ठा करते हैं कि वे यथाशक्ति कार्य करें और वे वैसा करते भी हैं तथा किसी वस्तु को तुच्छ समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करते- विदुर नीति


जिसमें कम संसाधन लगें, लेकिन उसका व्यापक लाभ हो-ऐसे कार्य को बुद्धिमान व्यक्ति शीघ आरंभ करता है और उसे निर्विघ्न पूरा करता है।- विदुर नीति


जो व्यक्ती भूतकाल की अपनी गलतियों को जानता है, जो अपने वर्तमान कर्तव्य को समर्पित भाव से करता है और जो भावी दुखों को टालने की विधि जानता है-वह कमी ऐश्वर्यहीन नहीं होता।- विदुर नीति


सज्जनता से अपकीर्ति दूर की जा सकती है, बल से संकट टाले जा सकते हैं, क्षमा से क्रोध को शांत किया जा सकता है तथा शिष्ट व्यवहार से बुरी आदतों को बदला जा सकता है।- विदुर नीति


अच्छाई में बुराई देखना मृत्यु जैसा कष्टकारी अवगुण है। बढ़-चढ़कर बोलना धन-हानि का कारक है। जल्दबाजी, बात पर ध्यान न देना तथा आत्मप्रशंसा-ये तीन अवगुण ज्ञान के शत्रु हैं।- विदुर नीति


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सुख चाहने वाले से विद्या दूर रहती है और विद्या चाहने वाले से सुख। इसलिए जिसे सुख चाहिए, वह विद्या को छोड़ दे और जिसे विद्या चाहिए, वह सुख को।- विदुर नीति


बिना पढ़े ही स्वयं को ज्ञानी समझकर अहंकार करने वाला, दरिद्र होकर भी बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाने वाला तथा बैठे-बिठाए धन पाने की कामना करने वाला व्यक्ति मूर्ख कहलाता है।- विदुर नीति


अल्पमात्र में धन होते हुए भी कीमती वस्तु को पाने की कामना और शक्तिहीन होते हुए भी क्रोध करना मनुष्य की देह के लिये कष्टदायक होते है।- विदुर नीति


न केवल अपनी शक्ति का, बल्कि अपने स्वभाव का भी अवलोकन करना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि जब हम कोई काम या कामना करते हैं तो उस समय हमें अपनी आर्थिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति का भी अवलोकन करना चाहिए।- विदुर नीति


मीठे शब्दों में बोली गई बात हितकारी होती है और उन्नति के मार्ग खोलती है, लेकिन यदि वही बात कटुतापूर्ण शब्दों में बोली जाए तो दुखदायी होती है और उसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं।- Vidur Niti


हर दिन ऐसा कार्य करें कि हर रात सुख से कटे। बचपन में ऐसे कार्य करें कि वृद्धावस्था सुख से कटे और जीवन भर ऐसे कार्य करें कि मरने के बाद भी सुख मिले।- Vidur Niti


जो व्यक्ति शक्तिशाली होने पर क्षमाशील हो तथा निर्धन होने पर भी दानशील हो-इन दो व्यक्तियों को स्वर्ग से भी ऊपर स्थान प्राप्त होता है।- Vidur Niti


ईमानदार, दानी, अपनी बात पर दृढ़ रहने वाले, कर्तव्यपरायण और मदुभाषी लोग शत्रुओं को भी अपना बना लेते हैं।- Vidur Niti


अपने काम में लगे रहनेवाला व्यक्ति सदा सुखी रहता है। धन-संपत्ति से उसका घर भरा-पूरा रहता है। ऐसा व्यक्ति यश-मान-सम्मान पाता है।- Vidur Niti


जो कार्य अपने एवं सबके लिए लाभकारी और सुखद हो केवल वही करना चाहिए। इससे मनुष्य को चारों पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।- Vidur Niti


जो व्यक्ति न तो सम्मान पाकर अहंकार करता है और न अपमान से पीडि़त होता है। जो जलाशय की भाँति सदैव क्षोभरहित और शांत रहता है, वही ज्ञानी है।- Vidur Niti


जो व्यक्ति अमीर होने पर भी दानशील न हो और गरीब होने पर जिसमें कष्ट सहने की शक्ति न हो, इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों का जीवन व्यर्थ है।- Vidur Niti


ईर्ष्यालु, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करने वाला तथा दूसरों के भाग्य पर जीवन बिताने वाला-ये छह तरह के लोग संसार में सदा दुखी रहते हैं।- Vidur Niti


जो व्यक्ति अपने अनुकूल तथा दूसरों के विरुद्ध कार्यों को इस प्रकार करता है कि लोगों को उनकी भनक तक नहीं लगती। अपनी नीतियों को सार्वजनिक नहीं करता, इससे उसके सभी कार्य सफल होते हैं।- Vidur Niti


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जो व्यक्ति अपनी बराबरी के लोगों के साथ विवाह, मित्रता, व्यवहार तथा बोलचाल रखता है; गुणवान लोगों को सदा आगे रखता है, वह श्रेष्ठ नीतिवान कहलाता है।- Vidur Niti


समतुल्य लोग ही एक-दूसरे को ठीक प्रकार से जान-समझ पाते हैं जैसे ज्ञानी को ज्ञानी, पति को पत्नी, मंत्री को राजा तथा राजा को प्रजा। अतः अपनी बराबरी वाले के साथ ही सम्बंध रखना चाहिए।- Vidur Niti


अन्याय का तक्षण विरोध करना चाहिए तथा बल का दमन दृढ़तापूर्वक करना चाहिए। अन्याय से अर्जित धन ज़्यादा समय तक नहीं ठहरता, जबकि न्याय द्वारा अर्जित धन कई पीढि़यों तक चलता है।- Vidur Niti


जो हजारों कमाता है वह जीता है और जो सैकड़ों कमाता है वह भी जीता है। इसलिए अधिक की इच्छा न करें। यह न सोचें के अधिक नहीं होगा तो जीवन ही नहीं चलेगा।- Vidur Niti


जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दुखों को हँसते-हँसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते- Vidur Niti


जो व्यक्ति किसी की बुराई नहीं करता, सब पर दया करता है, दुर्बल का भी विरोध नहीं करता, बढ़-चढ़कर नहीं बोलता, विवाद को सह लेता है, वह संसार में कीर्ति पाता है।- Vidur Niti


बुद्धिमान व्यक्ति को दुष्टों तथा मूर्खों की संगति घास से ढँके कुओं के समान छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि इनकी संगति से सदैव हानि होती है।- Vidur Niti


जो व्यक्ति सभी भौतिक वस्तुओं की वास्तविकता को जानता हो, सभी प्रकार के कार्य करने में निपुण हो तथा उन कार्यों को भी जानता हो जिन्हें दूसरे करने में असमर्थ हों, ऐसा व्यक्ति ज्ञानी होता है।- Vidur Neeti


कार्य सिद्धि की दृष्टि से मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं, उत्तम, मध्यम और अधम! जो कार्य को श्रम के डर से पूरा ही नहीं करते या प्रारम्भ ही नहीं करते, वे आलसी अधम कहलाते हैं। जो उत्साह में कार्य तो प्रारम्भ कर देते हैं, लेकिन श्रम के भय से अथवा फल की आशंका से कार्य को बीच में ही छोड़ देते हैं अथवा शिथिलतापूर्वक करते रहते हैं, वे मध्यम श्रेणी के और जो पुरुष उत्साहपूर्वक कार्य प्रारम्भ करते हैं और पूरी शक्ति से उसे सम्पन्न करते हैं, वे उत्तम पुरुष कहलाते हैं।- Vidur Neeti


सुखी मनुष्य वही है, जो रोग रहित रहे, उस पर किसी का कोई ऋण न हो, उसे परदेस में न रहना पड़े, मेलजोल अच्छे लोगों के साथ हो। धर्मपूर्वक अपनी वृत्ति से जीविका चलाता हो और निडर रहता हो। यही मनुष्य के सुख के आधार हैं। – Vidur Neeti


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जो बात स्वयं को बुरी लगती हो, उसे दूसरे के लिए भी नहीं करना चाहिए, मूल रूप में यही धर्म है। इस सबके विपरीत जो कार्य किए जाते हैं, वे सभी अधर्म कहे जाते हैं। – Vidur Neeti


जो व्यक्ति कभी अपने पराक्रम की डींग नहीं हांकता, संतुलित रहकर कभी उद्दंडता नहीं करता, समन्वय की बात करता है, क्रोधित होने पर भी न तो व्याकुल होता है, न कटुवचन बोलता है, बल्कि धीरज से काम लेता है, वह व्यक्ति सभी का प्रिय होता है। – Vidur Neeti


अपना सुख तो सुख होता ही है उसमें प्रसन्न क्या होना! प्रश्न तो दूसरे के दुःख में हाथ बटाने का होता है। जो व्यक्ति दुखियों का सहायता करता है, दान देता है लेकिन बाद में कोई पश्चाताप नहीं करता, वह सज्जनों में सबसे बड़ा सदाचारी होता है। उसकी सब जगह प्रशंसा ही होती है।- Vidur Neeti


वास्तव में मनुष्य जैसी संगति करता है, जिन लोगों के साथ रहता है, जैसे लोगों की सेवा करता है और जैसा वह होना चाहता है, वैसा ही हो जाता है। जिन विषयों से मन को सताया जाता है, उनसे मुक्ति मिलती है। यदि मनुष्य सभी ओर से निवृत्त हो जाए तो उसे दुख का अनुभव ही न हो।- Vidur Neeti


वास्तव में व्यक्ति के लिए यही करणीय है कि वह बांट कर खाए, काम अधिक करे, सोए कम, मांगने पर अमित्र को भी दान देने में न हिचके, ऐसा व्यक्ति अनर्थ से सदा दूर ही रहता है। जो व्यक्ति अपने कर्म गुप्त रखता है चाहे हितकारी हो या अहितकारी, वह अपनी चतुरता के कारण सफल होता है।- Vidur Neeti


मनुष्य को चाहिए कि वह जिसकी पराजय नहीं चाहता, उसके बिना पूछे भी उसके कल्याण के लिए, चाहे बात अच्छी लगने वाली हो या बुरी लगने वाली, कहने में लेशमात्र भी संकोच नहीं करना चाहिए।- Vidur Neeti


मछली बढ़िया खाने के पदार्थ से ढकी हुई, लोहे के काटे को, लोभ में पड़कर निगलना चाहती है, वह उसके परिणाम को भूल जाती है। फलस्वरूप शिकंजे में फंस जाती है। इसी प्रकार अपनी उन्नति चाहने वाला पुरुष यदि ग्रहण करने योग्य वस्तु से अधिक की अपेक्षा करता है या ग्रहण करता है तो वह उसके परिणाम से बच नहीं पाता।- Vidur Neeti

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निरर्थक बोलने वाले, पागल अथवा बकवास करने वाले बच्चे से भी उसी भांति तत्व की बात ग्रहण करनी चाहिए, जैसे पत्थर से सोना निकाला जाता है। जैसे पक्षी एक-एक दाना चुगता है, उसी प्रकार पुरुष को चाहिए कि वह भावपूर्ण वचनों सदवचनों का श्रवण करे।- Vidura Neeti


जो गाय बड़ी कठिनाई से दूध देती है, वह बहुत क्लेश उठाती है और जो आसानी से दूध देती है, व सुखी रहती है, लोग उसे कष्ट नहीं देते। इसी प्रकार जो धातु बिना गर्म किए मुड़ जाती है, उसे आग में नहीं तपाया जाता है और जो लकड़ी स्वयं मुड़ जाती है, उसे कोई झुकाने का प्रयत्न नहीं करता। कहने का तात्पर्य यही है कि बुद्धिमान पुरुष को चाहिए कि वह शक्तिशाली के सामने झुक जाए, क्योंकि जो बलवान के सामने झुकता है वह मानो इन्द्र देवता को प्रणाम करता है।- Vidura Neeti


जो दूसरों के धन, रूप, पराक्रम, कुलीनता, सुख, सौभाग्य और सम्मान के प्रति ईर्ष्यालु होता है, वह मानो असाध्य रोग से पीड़ित होता है और इसका निदान किसी के पास नहीं होता।- Vidura Neeti


बैर की आग जब एक बार शान्त हो जाती है उसे शान्त ही रहने देना चाहिए। जो व्यक्ति इस अग्नि को पनपने नहीं देता, गर्व नहीं करता उसमें किसी प्रकार की-की हीनता की भावना नहीं विकसित होती, वह किसी प्रकार से विपत्ति का रोना भी नहीं रोता और इसका लाभ उठाकर अनुचित कार्य भी नहीं करता। ऐसा आदमी ही श्रेष्ठजन कहा जाता है। उसी का लोग सम्मान भी करते है।- Vidura Neeti


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