Short Summary Of Maa By Premchand In Hindi

प्रेमचंद, धनपत राय श्रीवास्तव का उपनाम है। वे हिन्दी साहित्य के जाने-माने लेखक थे। वे भारत के प्रसिद्ध लेखकों में से एक थे। उन्होंने दर्जनों उपन्यास, 300 से अधिक (Short Summary Of Maa By Premchand In Hindi) लघु कथाएँ लिखी हैं।  

कहानी माँ हमें एक मजबूत महिला चरित्र को प्रस्तुत करती है। वह एक पत्नी और एक माँ दोनों के रूप में अपनी भूमिका कुशलता से निभाती है। हमारा नायिका देखभाल करने वाला, प्यार करने वाला, दिल से मजबूत और शक्तिशाली व्यक्तित्व है। वह अपने पति और बेटे के लिए अपना पूरा जीवन बलिदान कर देती है। उसके सभी तूफानों से गुजरना पड़ा लेकिन वह हमेशा स्थिर  रही।

कहानी की मुख्य चरित्र करुणा को अपने पति आदित्य का बेसब्री से इंतजार है। आदित्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत के लोगों के लिए काम करते हैं। इसलिए, कहानी शुरू होने के दिन से तीन साल पहले उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। करुणा ने अपना घर साफ कर लिया था और पिछले तीन वर्षों में बनाई गई सारी धनराशि का उपयोग कर लिया था पति के स्वागत करने के लिये।

उसने अपने छोटे बेटे को गले लगाया और सोचा कि इन सब बाधाओं के बीच वह उसके जीवन का एकमात्र प्रकाश है। इन तीन वर्षों में उसने बहुत कुछ झेला था लेकिन अपने बेटे को देखकर ही उन्हें बर्दाश्त कर ली थी।

उसने सोचा कि आदित्य अपने बेटे को देखकर कितना खुश होगा। उसने सोचा कि आदित्य कहेगा कि करुणा ने उसे दुनिया की हर दौलत दी है।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, बल्कि आदित्य कमजोर होकर कंकाल बनकर वापस आ गया। वह एक लकड़ी की छड़ी की मदद से चल  रहा था और आगे बढ़ने पर खांस रहा था। करुणा को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा है।

आदित्य ने अपने बेटे को देखा और एक अच्छा पिता न होने के लिए दोषी महसूस किया। उसे ऐसा लगा जैसे एक जिम्मेदार पिता न होने के कारण लड़के ने उसकी निंदा कर रहा है।

करुणा के साथ जीवन अनुचित था और यह लगातार बिगड़ता गया क्योंकि आदित्य की तपेदिक से मृत्यु हो गई।

अपनी मृत्यु से पहले उसने करुणा से पूछा कि वह उसके जीवन का वर्णन कैसे करेगी। उसने उत्तर दिया कि वह सोचती है कि उसने एक महान जीवन जिया था। उसने यह भी कहा कि अगर उसे किसी को आशीर्वाद देने के लिए कहा जाता है तो वह उसके जीवन को आशीर्वाद स्वरूप देगी। उसने यहां तक ​​​​कहा कि उसने देश की सेवा की है और उसका दिल सुनहरा है।

Short Summary Of Maa By Premchand In Hindi

नदी का पानी हमें जीवन देता है और उच्च ज्वार के दौरान उग्र भी हो जाता है। इसी तरह, एक पत्नी या माँ होने के नाते एक महिला सबसे अधिक देखभाल करने वाली, सबसे मजबूत और शक्तिशाली भी हो सकती है। करुणा भी ऐसा चित्र रखती है। वह सबसे प्यारी थी है और मुश्किल परिस्थितियों को संभालना भी जानती थी।

करुणा ने विधवा होने के लिए अपना सारा दर्द दबा दिया। उसने अपने बेटे के पिता और माता दोनों बनने के लिए खुद को व्यस्त कर लिया। उसने  गाय की दूध बेचने का काम शुरू किया । दिन-रात काम करके एक-एक पैसा कमाया।

उन्होंने अपने बेटे का नाम प्रकाश रखा। उसकी रोशनी ने उसके सारे दर्द को पिघला दिया और उसे हर दिन कड़ी मेहनत करने में मदद की। वह उसके लिए सब कुछ था। उसका सारा दर्द, वह जो भी गुज़री थी, उसके  सामने कुछ भी नहीं लग रहा था। उसने कभी किसी चीज के बारे में शिकायत नहीं की। * बस स्थिर रही और कड़ी मेहनत की।

उसे याद आया कि उसके पति ने उसे अपने बेटे की जिम्मेदारी दी थी। वह अपने बच्चे की मां और पिता दोनों थी। उसने  प्रकाश  का चरित्र का ख्याल रखें और उसे राष्ट्र की देखभाल करने के लिए सिखाया।

प्रकाश अपने पिता के विपरीत आत्म केंद्रित थे। उनकी आत्मा अपनी माँ का अनुसरण करना चाहता था लेकिन उसके मन ने उसे ऐसा कभी नहीं करने दिया। उनकी आत्मा देश की सेवा करना चाहता था  लेकिन उनके मन ने उन्हें हमेशा अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। राष्ट्र की सेवा करने से उन्हें नाम और प्रसिद्धि मिल सकती है। लेकिन राष्ट्र की सेवा में वह पैसा कमाने में स्थिर नहीं हो सकता था। वह हमेशा अपनी जान की परवाह करता था। उसने सोचा कि उसकी खुद की पढ़ाई उसे एक बेहतर जीवन दे सकती है।

वह बुद्धिमान था और स्कूल से छात्रवृत्ति प्राप्त करता था और अपनी माँ से पैसे भी प्राप्त करता था। ये सब भी उसे संतुष्ट नहीं कर सके। वह सरल जीवन जी सकते थे लेकिन फैशन से हमेशा प्रभावित रहते थे। वह हमेशा दिखावा करने की कोशिश करता था।

यहां तक ​​कि उन्हें किसी भी चीज की कुर्बानी देने से भी नफरत थी। उसने गरीबों को घृणा की दृष्टि से देखता था।

करुणा चाहती थी कि उसका बेटा उसके पिता जैसा हो जो देश की सेवा करना चाहता था। उसे हमेशा अपने भाग्य से धोखा मिली थी। इस बार उसके साथ कुछ अलग नहीं हुआ ।

जब सिंध में बाढ़ आई तो प्रकाश के स्कूल ने वहां लोगों की मदद के लिए एक टीम बनाई। प्रकाश ने बहाना बनाया कि वह बीमार था और परीक्षा के लिए पढ़ने के लिए रुक गया । करुणा प्रकाश के  निर्णय से दुखी थी।

बाद में एक और घटना घटी जब ओडिशा में अकाल पड़ा। कांग्रेस ने वहां के लोगों की मदद के लिए कुछ योजना बनाई। करुणा ने प्रकाश को बोली  ओडिशा जाने के लिए  लेकिन वह किसी और प्रस्ताव के लिए इच्छुक था। वे इतिहास के किसी शोध कार्य के लिए श्रीलंका गए थे। यह फिर से करुणा को निराश किया।

प्रकाश ने यह कहकर उन्हें दिलासा ने की कोशिश की । वह राष्ट्र की सेवा करने के लिए एक महान विद्वान बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विद्वानों का हमेशा सम्मान किया जाता है इसलिए यदि वह लोगों के लिए काम करना चाहते हैं तो वह इसे आसानी से कर सकते हैं। उसे इस बात पर थोड़ा सा उम्मीद थी । लेकिन फिर से उनका जीवन एक थोकर खाई।

प्रकाश को रजिस्ट्रार का पत्र मिला। यह उनके लिए इंग्लैंड में अध्ययन करने का प्रस्ताव था। उसके बाद वह मजिस्ट्रेट बन सकता है। उन्होंने अपनी मां को समझाया कि देश के लिए काम करने वाले व्यक्ति को उतना आत्म सम्मान नहीं मिल सकता जितना कि मजिस्ट्रेट को मिल सकता है । एक मजिस्ट्रेट किसी और की तुलना में अपने देश की बेहतर तरीके से सेवा कर सकता है। उसने उससे कहा कि एक मजिस्ट्रेट कमाने के लिए शक्तिशाली पद है। वह इस मौके को कभी नहीं गंवा सकते।

उन्होंने खुद को सही ठहराने के लिए बहुत सारे स्पष्टीकरण देने की कोशिश की। फिर भी करुणा अभी भी इस सोच में फंसी हुई थी कि उसके पति को एक मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तार कर लिया था। उसने कहा कि मजिस्ट्रेट वह है जो राष्ट्र की सेवा करने वाले लोगों को दंडित करता है। करुणा ने उनसे कहा कि सरकार कभी भी उनके कर्मचारियों को यह तय करने का अधिकार नहीं देती कि क्या करना है। कर्मचारी सरकार के निर्देशों के अनुसार करता है। उसने कहा कि अगर वह एक मजिस्ट्रेट की वर्दी पहनता है, वह एक क्रूर मजिस्ट्रेट होगा।

उन्होंने कहा कि इस सरकार ने उनके पिता की जान ले ली है. वह यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि वह उसी सरकार का गुलाम है। इसके बजाय वह उसे एक साधारण जीवन जीने का अनुरोध करती है और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने का अनुरोध करती है।

वह उसे समझाती है कि एक लड़की सोचती है कि उसके पिता का घर उसका अपना घर है। लेकिन एक बार जब उसकी शादी हो जाती है तो वह उसी घर को अपना घर नहीं सोच सकती। वह अपने पति के परिवार की सदस्य बन जाती है। तो अगर वह एक मजिस्ट्रेट बन जाता है तो वह कभी भी राष्ट्र की सेवा नहीं कर सकता है। और वह वही होगा जिसने अपने पिता को गिरफ्तार किया था। वह इस काम से कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता।

प्रकाश यह सहन नहीं कर सका। हालांकि उसने प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए एक पत्र लिखा था, लेकिन वह इस मामले से परेशान और उदास था। उसका चेहरा नीरस बना हुआ था, उसके अंदर की चिंगारी चली गई थी।

करुणा प्रकाश की स्थितियों को समझ सकती थी और उसे खुश करने की भी कोशिश की।लेकिन कुछ ना हुया उसने खुद को घर में बंद रखा। और अन्दर हि अन्दर नम्रता रहा।

एक दिन करुणा उससे पूछा कि क्या उसने वहां जाने का निश्चय कर लिया था। तब वह उसे कभी नहीं रुकेगी। वह सिर्फ उन्हें राष्ट्र की सेवा करते हुए देखना चाहती थी। आदित्य चाहते थे कि उनका बेटा देश की सेवा करे और उसने भी ऐसा ही किया। वह सिर्फ अपने पति के सपने को पूरा करना चाहती थी।

उसने उसे मजिस्ट्रेट को एक पत्र लिखने और अपने चाहात का पालन करने के लिए कहा। उसे उसकी इच्छा के बिना उसका अनुसरण करने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रकाश ने पत्र लिखने से इनकार कर दिया। करुणा घर से निकली और रजिस्ट्रार की चिट्ठी लेकर देर से वापस आई।

क्योंकि करुणा को लौटने में देर हो रही थी, प्रकाश चिंतित था और इसके लिए खुद को दोषी भी महसूस कर रहा था। लेकिन पत्र देखते ही वह सब कुछ भूल गया और जाने की तैयारी करने लगा।

करुणा ने अपने बेटे के लिए सारी व्यवस्था कर ली थी। वह अंदर ही अंदर टूट चुकी थी लेकिन वह जानती थी कि वह किसी को किसी भी चीज के लिए मजबूर नहीं कर सकती। और प्रकाश ने तो पहले ही सब कुछ तय कर लिया था। वह प्रकाश को दुख नहीं दे सकती है । 

प्रकाश के इंग्लैंड जाने के बाद करुणा के जीवन में एक नया मोड़ आया। उसे हर उस चीज से छुटकारा पाने कि कोशिश कि जिसने उसे अपने छोटे परिवार के बारे में याद दिलाया। उसके छोटे से परिवार को बड़ा बना दिया। उन्होंने गांव के बच्चों की मदद की। उसने अपने आस-पास के सभी जानवरों को भोजन दिया। वह अपने आस-पास के हर प्राणी की माँ बनी।

एक दिन उसे प्रकाश का एक पत्र मिला। उसने पत्र फेंक दिया। बाद में उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। लेकिन उसके दिल में अभी भी अपने बच्चे के लिए अपार प्यार था। वह उसके लिए सब कुछ था। वह पत्र पढ़ना चाहती थी। उसने उन टुकड़ों को अपने दिल के टुकड़ों की तरह इकट्ठा किया और पत्र को फिर से बनाने की पूरी कोशिश की।

तीन दिनों तक उसने उस चिति को  फिर से बनाने की कोशिश की लेकिन नहीं कर सका। उसकी थकी हुई आँखें कुछ देर सोई और स्वप्न देखा। उसने एक व्यवस्थित जगह देखी जहाँ एक आदमी कुर्सी पर बैठा था। वह आदमी प्रकाश था । उसने देखा कि एक कैदी को लाया गया है जो आदित्य था। उसकी आँखें पीड़ा में खुल जाती हैं।

करुणा का पूरा जीवन एक त्रासदी था। वह दिव्य, मजबूत महिला थीं जो हर चीज से लड़ती थीं। वह अपने बेटे से इतना प्यार करती थी कि उसने कभी भी उसकी इच्छा की परवाह नहीं की और उसे वह करने दिया जो वह चाहता था।  

उसने पत्र के उन सभी टुकड़ों को जलाकर राख कर दिया। इस राख ने उसका बचपन, विधवा जीवन, उसकी मातृत्व कि लड़ाई  उसमें समा लिया। उस रात अपने पति के चित्र को अपने हृदय में रखते हुए उसकी आत्मा ने शरीर छोड़ दिया।

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