बैंक क्या होता है और Bank के कितने प्रकार होते है? -(Bank kya Hota hai)

बैंक क्या होता है और Bank के कितने प्रकार होते है: दोस्तों इस लेख के माध्यम से में आपसे ये शेयर करूँगा कि बैंक क्या है, बैंक का हिन्दी अर्थ क्या है, बैंक की परिभाषा क्या है, सेंट्रल बैंक क्या होता है, अनुसूचित बैंक क्या होता है, व्यावसायिक बैंक क्या होता है, सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक क्या होता है, निजी क्षेत्र का बैंक क्या होता है।

विदेशी बैंक क्या होता है, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या होता है, सहकारी बैंक क्या होता है, औद्योगिक विकास बैंक क्या होता है, निर्यात आयात बैंक क्या होता है, विनियोग बैंक क्या होता है, बचत बैंक क्या होता है, अंतर्राष्ट्रीय बैंक क्या होता है और देशी या अनौपचारिक बैंकर्स क्या होता है। तो चलिए एक-एक करके सबको विस्तार से जानते है।

बैंक क्या होता है ? (Bank Kya Hota Hai)

बैंक क्या होता है
बैंक क्या होता है

बैंक वह संस्था है, जो द्रव्य में व्यवसाय करती है, एक ऐसा प्रतिष्ठान है, जहाँ धन का जमा, संरक्षण तथा निगमन होता है। तथा ऋण एवं कटौती की सुविधायें प्रदान की जाती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर रक़म भेजने की व्यवस्था की जाती हैं।

बैंक का हिन्दी अर्थ क्या है?

बैंक का हिन्दी में अर्थ होता है महाजनी कोठी अथवा हम कह सकते हैं कि रुपए जमा करके ब्याज सहित लौटाने का कारोबार करने वाली कोठी को बैंक कहा जाता है। अगर हम बैंक की परिभाषा पर नज़र डालें तो हम कहेंगे कि पैसे की कस्टडी के लिए एक प्रतिष्ठान जिसे वह ग्राहक के आदेश पर भुगतान करता है।

बैंक की परिभाषा

ऋण देने अथवा विनियोजन के लिये जनता से धन जमा करना है, जो मांग करने पर लौटाया जा सकता है तथा चैक ड्राफ्ट अथवा अन्य प्रकार की आज्ञा द्वारा निकाला जा सकता है।

बैंक या बैंकर वह संस्था होती है, जो बैंकिंग के कार्य को मुख्य व्यवसाय के रूप में करती है। यदि यह आर्थिक लेन देन का कार्य गौण होता है तो वह बैंकर नहीं कहा जा सकता है। साथ ही साथ वह समाज में इसी कार्य के लिये जाना जाता है। दूसरे, एक संस्था तभी बैंकर कहलाती है, जबकि आय का एक मात्र साधन बैंकिंग व्यवसाय होता है।

इस दृष्टि से बेल्सटर शब्द कोष की परिभाषा को सर्वोत्तम कहा जा सकता है। उसके अनुसार बैंक वह संस्था है, जो द्रव्य में व्यवसाय करती है, एक ऐसा प्रतिष्ठान है, जहाँ धन का जमा, संरक्षण तथा निगमन होता है तथा ऋण एवं कटौती की सुविधायें प्रदान की जाती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर रक़म भेजने की व्यवस्था की जाती हैं।

सेंट्रल बैंक

केंद्रीय बैंक किसी भी देश की बैंकिंग संरचना में शीर्ष बैंक है। सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और साथ ही साथ यह देश के अन्य बैंकों को नियंत्रित करता है। यह सरकार के बैंकर के रूप में भी काम करता है।

सेंट्रल बैंक क्या होता है
सेंट्रल बैंक क्या होता है

केंद्रीय बैंक देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देश में विकास को प्रोत्साहित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करता है और यह अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को नियंत्रित करके ऐसा करता है।

जब अन्य बैंक किसी समस्या में होते हैं, तो वे सहायता के लिए सेंट्रल बैंक से संपर्क करते हैं। इसलिए इसे बैंकों का बैंक भी कहा जाता है। सेंट्रल बैंक के पास देश की कागजी मुद्रा को छापने का एकमात्र अधिकार है। भारत में, भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय बैंक है।

बैंकों के प्रकार के दो महत्त्वपूर्ण श्रेणियाँ हैं जिनमें भारत में बैंकों को वर्गीकृत किया गया है:

अनुसूचित बैंक

ये वे बैंक हैं जो आर बी आई अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची के तहत आते हैं। अनुसूचित बैंक के लिए योग्यता प्राप्त करने के लिए, न्यूनतम राशि रु 5 लाख की आवश्यकता है। ऐसे बैंक ही Schedule Bank Category के अंतर्गत आने के लिए क्वालीफाई होते हैं। ये बैंक एलिजिबल होते हैं लोन लेने के लिए RBI से वह भी बैंक रेट में।

व्यावसायिक बैंक

व्यावसायिक बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत प्रबंधित और विनियमित होने होते हैं। व्यावसायिक बैंक वे बैंक होते हैं जो लाभ कमाने के उद्देश्य से बैंकिंग का व्यवसाय करते हैं। वे जनता से जमा स्वीकार करते हैं और उन्हें व्यापारियों, निर्माताओं और व्यापारियों को उधार देते हैं। वाणिज्यिक बैंक चार प्रकार के होते हैं।

 (A) सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक (पब्लिक सेक्टर के बैंक) :

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक, पूरे बैंकिंग व्यवसाय का 75% से अधिक हिस्सा रखते हैं और इसे राष्ट्रीयकृत बैंक के रूप में जाना जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का अधिकांश शेयर सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक के पास होते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के उदाहरण बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आदि हैं। विलय के बाद, भारतीय स्टेट बैंक वॉल्यूम के आधार पर सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है। कुल मिलाकर भारत में 21 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं।

 (B) निजी क्षेत्र का बैंक (प्राइवेट सेक्टर के बैंक) :

निजी क्षेत्र का बैंक का अधिकांश शेयर निजी व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा रखे जाते हैं। जैसे कि HDFC बैंक, ICICI बैंक, AXIS बैंक आदि और सभी निजी क्षेत्र का बैंक RBI द्वारा बनाये गए नियम कानून पर चलती है। भारत में 21 निजी क्षेत्र के बैंक हैं।

 (C) विदेशी बैंक (Foreign Bank)

विदेशी बैंक वे बैंक हैं जो भारत के बाहर पंजीकृत हैं, लेकिन भारत में उनकी शाखाएँ हैं लेकिन उनका मुख्यालय भारत से बाहर है। जैसे कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक, एचएसबीसी आदि। भारत में 3 विदेशी बैंक हैं।

 (D) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (रीजनल रूरल बैंक्स)

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक वे बैंक हैं जो मुख्य रूप से छोटे मजदूरों, छोटे उद्यमों, सीमांत किसानों और समाज के कमजोर वर्ग का समर्थन करने के लिए स्थापित किए गए थे। इन बैंको का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे व्यापारियों और किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना होता है।

मुख्य रूप से ऐसे बैंक विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय स्तरों पर संचालित होते हैं और शहरी क्षेत्रों में भी शाखाएँ हो सकती हैं। प्रथम क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना 2 अक्टूबर 1975 को की गई। वर्तमान में भारत में 516 जिलों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 14000 से अधिक शाखाएँ सक्रिय है।

सहकारी बैंक (Cooperative Bank)

भारत में सहकारी बैंक विशेष रूप से कृषि ऋण की आवश्यकता को पूरा करने का कार्य करते है। ये बैंक सहकारिता के सिद्धांत पर कार्य करते है। भारत में सहकारी बैंकों का ढ़ाचा त्रिस्तरीय है। राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक, ज़िला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक तथा ग्राम स्तर पर प्राथमिक सहकारी कृषि साख समितियाँ कार्यरत है। कृषि हेतु दीर्घ लोन उपलब्ध करवाने के लिए राज्य स्तर पर केन्द्रीय भूमि विकास बैंक तथा ज़िला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक स्थापित किये गये है।

औद्योगिक विकास बैंक (Industrial Development Bank)

औद्योगिक विकास बैंक उद्योगों के आधारभूत ढाँचे के विकास के लिए दीर्घकालीन एवं आसान किस्तों पर ऋण उपलब्ध करवाते है। ये बैंक प्रबंधकीय, विपणन, तकनिकी आदि के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करते है। भारत में आजादी के बाद अनेक विकास बैंकों की स्थापना की गई है।

राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उद्योगिक वित्त निगम 1948 में, भारतीय उद्योगिक साख एवं विनियोग निगम 1955 में, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक 1964 में, भारतीय ओद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक 1985 में तथा राज्य स्तर पर राज्य वित्त निगम कार्यरत है।

निर्यात आयात बैंक (Export Import Bank)

निर्यात आयात बैंक बैंक की स्थापना विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए की गई थी। यह निर्यातकों एवं आयातकों को साख सुविधाएँ प्रदान करता है। भारत में निर्यात आयात बैंक (Export Import Bank) जनवरी 1982 से कार्यरत है।

विनियोग बैंक (Investment Bank)

विनियोग बैंक, बैंकों का कार्य देश में बिखरी हुई बचतों को एकत्रित कर उसका लाभप्रद विनियोजन करना है। भारत में जीवन बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, म्युचुअल फंड आदि विनियोग बैंक के रूप में कार्य कर रहे है।

बचत बैंक (Savings Bank)

पश्चिम देशों में सामान्य वर्ग के लोगों की छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देने के लिए अलग से बचत बैंक स्थापित किये गये है। भारत में व्यापारिक बैंक ही ये कार्य करते है।

अंतर्राष्ट्रीय बैंक (International Bank)

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विभिन्न देशों में बिगड़ी अर्थव्यवस्था को ठीक करने तथा तीव्र आर्थिक विकास हेतु 1944 में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना की गई, जिसे विश्व बैंक भी कहा जाता है। इस बैंक की दो सहायक संस्थाएँ है। A. अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ B. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम।

देशी या अनौपचारिक बैंकर्स (Informal Bankers)

देशी या अनौपचारिक बैंकर्स भारत के लगभग सभी भागों में पायें जाते है। ये कृषि व व्यापार के लिए वित्त की व्यवस्था करते है इन्हें साहूकार, महाजन, सराफ आदि नामों से भी जाना जाता है।

ये भी पढ़ें:
म्यूच्यूअल फण्ड का सम्पूर्ण जानकारी
शेयर मार्किट का सम्पूर्ण जानकारी

दोस्तो उम्मीद करता हूँ की ये पोस्ट (बैंक क्या होता है और Bank के कितने प्रकार होते है?) आपको हेल्पफुल लगी होगी। अगर ये पोस्ट आपको पसंद आयी है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये और अपने फसबूक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंकडिन अकाउंट के माध्यम से सोशल मीडिया पर भी शेयर करे और इस ब्लॉग को आगे बढ़ने में मदद करे।

Leave a Comment