How stress affect your Body and Mind in Hindi, तनाव कैसे काम करता है
जब हमें खतरे का संकेत मिलता है तो हमारा मस्तिष्क पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करता है, जिससे हमारे शरीर में हार्मोन्स की निर्मिती होती है जो क्रोर्टीकोट्रोपीन निर्मित करते है। उसे हमारे नर्वस सिस्टम के द्वारा पूरे शरीर में पहुँचाया जाता है। उसके बाद एड्रीनल ग्रंथि क्रो संकेत मिलता है और एड्रेनालिन और क्रोर्टिसोल का निर्माण होता है।
एड्रेनालिन हमारी सांस लेने की प्रक्रिया कि गति बढ़ाता है और पल्स रेट बढ़ाता है। इससे हमारे स्नायु तैयार हो जाते है जो सामने आए खतरे से अपने आपको बचाने के लिए सक्षम होते है। उसी समय कोर्टिसोल हमारे शरीर में ब्लड ग्लूकोज और डोपामाईन की मात्रा को बढ़ाता है जिसकी बजह से हम चार्ज हो जाते है और समस्या से लढ़ने के लिए तैयार हो जाते है।
आजकल लोग बहुत ही तेज़ गति से जीबन जी रहे है, साथ ही स्पर्धा भरे माहोल में रह रहे है। ऐसी परिस्थितियों में हमारे शरीर को समस्या के संकेत हमेशा ही मिलते रहते हैं और प्रतिक्रिया के तोर पर शरीर में तनाव निर्मित होता रहता है।
वैसे देखा जाए तो यह प्रतिक्रिया अच्छी है क्योंकि इसकी मदद से हम ख़ुद को अपने आस-पास के माहौल में ढाल लेते है और हमारे बचाव के लिए उपयोगी भी है। लेकिन हर थोडे समय के बाद इस तनाव का बार-बार आना शरीर के लिए हानिकारक है।
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लगातार तनाव में रहना शरीर के लिए हानिकारक होता है, साथ ही यह मस्तिष्क की याद्दाश्त से सम्बंधित पेशियों पर थी निगेटिव असर करता है। लगातार आने वाले तनाव से निराशा पैदा होती है। निराशा न आए इसके लिए जिन हार्मोन्स का निर्माण होना ज़रूरी है वह भी रूक जाता है। इसकी वज़ह से बांकी परिणाम भी देखने को मिलते हैं, जैसे कि चिड़चिड़ाहट, नींद न आना, चिंता और हाई प्रेशर।
आप अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर जीबन को तनाव मुक्त करने की कला सीख सकते है
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तनाव कम करने के लिए माईंडफुल रहें यानी की सजग रहें
डर या चिंताएँ चाहे असली हों या नकली, लेकिन उससे जो तनाव पैदा होता है उसके परिणाम असली ही होते है। उस तनाव के हमारे मन और शरीर पर भी बुरे परिणाम होते है। इससे हमारी डायजेशन सिस्टम की शक्ति और त्वचा से लेकर कईं सारे अंगों पर बुरा परिणाम होता है।
तनावमुक्त होने के उपायों में सजग रहने यानी की माईंडफुल रहने को सबसे ज़्यादा महत्त्व दिया गया है। हम किन परिस्थितियों में कैसा रिएक्शन देते हैं इस पर अपना ध्यान एकाग्र करना मिंडफुल्नेस्स यानी की सजगता कि पहली पायदान है। ऐसा करने से हम अपने आप वर्तमान में जीने लगते है और विचारों को अपने नियंत्रण के बाहर जाने से रोक पाते हैं, साथ ही विचारों का बिना वज़ह होने चाला गुत्ता हम रोक पाते है।
बीमारी से त्रस्त और तनावग्रस्त रॉबर्टों अल्सीबार, जो ख़ुद आगे चल का माईंडफुलनेस के सर्टिफाईंड इऊंस्ट्रक्टर बने और उनका जीबन इसकी मिसाल है। इसके लिए उन्होंने अपनी व्यस्त जीबन-शेली को त्याग दिया। वह कहते है, हमें विचारों पर विचार करने की आदत लग चुकीं है जिसकी वज़ह से हम एक चक्रव्यूह में अटके हुए है।
हमे इस चक्रव्यूह से बाहर आने की कला सीखनी है। हम ऐसे कई सारे लोगों को जानते है जो फ़ोन पर बात करते वक़्त या टी.ब्री देखते वक़्त नाश्ता काते हैँ। अगर हम उनसे पूछें कि आपने अभी-अभी जो आमलेट खाया उसमें प्याज़ था क्या, तो वे ज़वाब नहीं दे पाते है।
सजगता कि अवस्था तक पहुँचने का एक मार्ग है ध्यान, यानी मेडिटेशना ध्यान की मदद से हम इस विश्व से हमारी और आने वाली जानकारी को छानकर अपने मन में भेज सकते हैं। सांस से सम्बंधित व्यायाम और बॉडी स्कैन के माध्यम से भी हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकते है।
माईंडफुलनेस, यानी सजगता को हम प्रशिक्षण के माध्यम से हासिल का सकते हैं। अगर इसी चीज़ को हम हमेशा और ध्यान एकाग्र कर के कर पाते हैं तो हम अपने तनाव पर यकीनन काबू पा सकते है।
How stress affect your Body and Mind in Hindi
थोडा सा तनाव अच्छा होता है
ज्यादा समय तक रहने वाला और ज़्यादा मात्रा का तनाव भले ही लंबी आयु के और शारीरीक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक हो लेकिन कम मात्रा का तनाव हमारे लिए फायदेमंद होता है।
डॉ. हॉवर्ड एस ।, फ्रिडमॅन यूनिवर्सिटी आँफ केलिफोर्निया में, मनोविज्ञान के प्रोफेसर है। उन्होंने बीस साल तनाव पर काम किया और यह जानने की कोशिश की कि उसका मानवी जीवन पर क्या असर होता है। वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि जो लोग कुछ हद तक तनाव में रहते है वे सामने आई समस्या से लड़ने के लिए त्तन-मन से ताकत लगाते हैं।
ये लोग ज़्यादा आरामदायी और सुस्त जीवन जीने वाले लोगों से ज़्यादा स्वस्थ रहते है और ज़्यादा जीते हैं। इससे यह साबित हूआ कि नियंत्रित मात्रा में तनाव में रहने वाले लोगों पर तनाव का सकारात्मक परिणाम होता है। वे लोग ज़्यादा आनंदित जीवन जीते हैँ, अच्छी आदतें बनाते हैं तथा धूम्रपान व मद्यपान जैसी आदतों से दूर रहते है।
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