Six Attitudes for Winners book summary in hindi

दोस्तों इस लेख, Six Attitudes for Winners book summary in hindi, के माध्यम से में आपसे आज Norman Vincent Peale की बुक Six Attitudes for Winners की समरी आपसे साझा करूँगा। Six Attitudes for Winners Book Summary को पढ़कर आप पॉजिटिव और ख़ुद को बेहतर बना सकते हैं तो बिना किसी देरी की करते है काम की बात।

कोई भी समस्या इतनी बढ़ी नहीं हैं कि सुलझाई न जा सके

दोस्तों दो सेल्समैन थे उनमें से एक को ऐसा इलाक़ा दिया गया, जिसमें कंपनी का कारोबार बहुत मंदा था। इस इलाके के बारे में सभी लोग कहते थे की इस इलाक़े में बिजनेस की कोई ऑपर्चुनिटी नहीं हैं। जब फर्स्ट सेल्समैन उस नए इलाके में गया, तो वह इस बात को पूरी तरह मानते हुए गया कि वहाँ कोई कारोबारी संभावना नहीं है। उसने मन ही मन सोचा की जब कुछ हो ही नहीं सकता इस इलाके में तो ख़ुद को परेशान क्यों करना और उसने कंपनी छोड दी।

दरअसल उसने कभी इसकी सच्ची कोशिश ही नहीं की। उसने इस बात को आँख मूँदकर मान लिया कि वहाँ कोई अवसर मौजूद नहीं था। इस तथ्य के प्रति उसका नज़रिया नेगेटिव था तो रिजल्ट भी नेगेटिव ही मिला।

सेकंड सेल्समैन जो की फॉर्नर था। उसे इस इलाके के बारें में कोई जानकारी नहीं थी। किसी ने भी उसे यह नहीं बताया था कि वहॉ बिक्री की कोई संभावना नहीं हैं। इसलिए वह काम में जुट गया और उसने ढेर सारा सामान वेच डाला। उसने आश्चर्य से कहा, अरे वाहा यह तो सोने की खान है, जिसकी आज तक खुदाई नहीं हुई।

उसकी सोच पॉजिटिव थी इसलिए उसने उस इलाके में भरी सफ़लता पाई। दोस्तों दूसरे सेल्समैन का सकारात्मक मानसिक नज़रिया इतना गहरा था कि अगर किसी ने उसे पहले यह बताया होता कि यह एक बुरा इलाक़ा है तो वह इस बात पर यक़ीन नहीं करता। वह करता भी क्यो? वहाँ लाखों लोग रह रहे ये, उन्हें उसके प्राडक्ट की ज़रूरत थी और वह प्रॉडक्ट देने के लिए वह वहाँ मोजूद था। उसका नज़रिया पॉजिटिव था इसलिए वह एक सफल इंसान बना।

Six Attitudes for Winners book summary in hindi

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दोस्तों ऑथर हमें पॉजिटिव मानसिक नज़रिया डेवेलप करने के 3 स्टेप बताते हैं

प्रतिक्रिया न करे, बल्कि सोचें

दिमाग़ जब गरम होता है, तो यह सोच नहीं सकता। दिमाग़ जब ठंडा होता है, तभी यह ऐसे तार्किक, तथ्यात्मक (logical and factual) बिचार सोच सकता है, जो सोलुशन की और ले जाते हैं। इसलिए ख़ुद को भावनाओं के आवेश में आने की इजाज़त न दे। सोचें! वास्तव में, आपका दिमाग़ आपकी सबसे बडी संपत्ति है। इसे हमेशा डिसिपीलीनारी कण्ट्रोल में रखें। दोस्तों दिमाग़ जब ठंडे अंदाज़ में काम करता है, तभी हमे विचार मिलते हैं; वरना हमें आवेग मिलते हैं। इन दमदार विचारों से हम समस्याओं को सुलझा लेते हैं।

कैसे सोचने बाले बनें?

कैसे सोचने वाले इंसान के सामने जब कोई मुश्किल आती है, तो वह उसकी चीर-फाड़ करने पर आपना एनर्जी बरबाद नहीं करता। वह तुरंत बेस्ट सलूशन की तलाश करने लगता है, क्योंकि वह जानता है कि हर समस्या का समाधान हमेशा होता है। वह ख़ुद से पूछता है, “मैं क्रिएटिव तरीके से इस विपत्ति से कैसे लाभ ले सक्ता हूँ? मैं इसमें से कोई अच्छी चीज़ बाहर निकालने का काम कैसे कर सकता हूँ?”

इसलिए दोस्तों कैसे सोचने वाला इंसान समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझा लेता है, क्योंकि वह जानता है कि हर मुश्किल में कोई न कोई महत्त्वपूर्ण चीज़ छिपी होती है। वह निरर्थक अगर-मगर में समय बरबाद नहीं करता है, बल्कि सीधे क्रिएटिव कैसे पर काम करने लगता है।

विश्वास करें कि आप कर सकते हैं और आप कर लेंगे

यदि आपको विश्वास है कि आप कर सकते है, तो आप वह काम कर लेगे। एक व्यक्ति एक के बाद दूसरी असफ़लता का अनुभव कर रहा था। फिर उसने पुस्तक में एक वाक्य देखा, जिसने उसे हिला दिया। वाक्य था, सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा रखें और इसे पा ले। यह उसके दिल के अंदर चला गया और उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह पराजय के विचार सोच रहा था। हर दिन वह सबसे बुरे की उम्मीद कर रहा था और आम तोर पर यही उसे मिल भी रहा था।

इसके बाद वह ऐसे “व्यवहारिक” विचारों की तलाश करने लगा, जो उसको असफलता की छवि को मिटा दें। उसे कई विचार मिले, जिनमे ये दो विचार शामिल थे “माँगें और यह आपकी दे दिया जाएगा; खोजें और आप इसे पा लेगे; खटखटाएँ और यह आपके लिए खोल दिया जाएगा” और ईश्वर ने हमे डर का भाव नहीं दिया है, बल्कि शक्ति का और प्रेम का और तीव्र मस्तिष्क का वरदान दिया है।

दोस्तों अगर आपके लाइफ में कोई समस्या आती हैं तो आप उस प्रॉब्लम को एनलाइज कीजिये और इसे टुकड़ों में डिवाइड कर लीजिये फिर एक काग़ज़ पर इसके सभी पहलु को लिखिए और सबसे पहले सबसे आसान हिस्से को अलग कर लीजिये और इसको सुलझा दीजिए। इस तरह से आप बढ़ी से बढ़ी समस्या को आसानी से सुलझा सकते हैं क्योकि आप किसी भी समस्या से बहुत बढे हैं।

Six Attitudes for Winners in hindi

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साहसी-मुझे डरने की कोई बात नहीं है

एलीनोर रूजवेल्ट ने एक कहा था, “हर उस अनुभव से आपको शक्ति, साहस और आत्मविश्वास मिलता है, जहॉ आप रुककर डर का सामना करते हैं और उससे निगाह मिलाते हैं।”

दोस्तों जिस डर से आप डरते हैं उनमे से 92% कभी सच नहीं होता सिर्फ़ 8 % ही सच होता हैं और इस 8 % से बचने के लिए आपको आँखे नहीं चुराना हैं आपको इस डर का सामना करना है क्योकि दोस्तों सभी तरह के डर को कण्ट्रोल किया जा सकता हैं।

माँरिस शेवालियर अपने युग के महानतम कलाकार थे। करियर के बिच में एक रात मंच पर जाने से पहले उनका सिर घूमने लगा। उनका मन बहुत उलझा हुआ था वह पूरी तरह से पराजित महसूस करने लगे थे। मॉरिश डॉक्टर से मिले और बोले में हार गया हूँ। डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी के वह एक छोटे कस्बे में एक छोटे ऑडियंस के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करे।

पर माँरिस ने कहा की इस बात की क्या गारंटी हैं कि छोटे मंच पर प्रदर्शन करने पर मेरा दिमाग़ ब्लेंक नहीं होगा। डॉक्टर ने कहा कोई गारंटी नहीं लेकिंन आपको असफल होने से नहीं डरना चाहिए। आप दोबारा मंच पर जाने से डर रहे है और इस तरह ख़ुद को बता रहे हैं कि आप ख़त्म हो चुके हैं।

लेकिन डर कभी इतना बढ़ा कारन नहीं होता की कोशिश करना ही छोड़ दिया जाये। जब कोई बहादुर व्यक्ति डर का सामना करता हैं तो वह अपने डर को स्वीकार करता हैं और आगे बढ़ता रहता हैं।

इसके बाद माँरिस छोटे कस्बे में शो करने के लिए रेडी हो गए और हिम्मत करके शो किया उनका प्रदर्शन अच्छा रहा। माँरिस ने आगे कहा मेरे ख़ुद के अनुभव ने मुझे सिखाया अगर आप आदर्श पल का इंतज़ार करते हैं तो हो सकता है कि वह पल कभी आये ही नहीं। इसलिए दोस्तों डरने से न डरे ईमानदारी से डर को स्वीकार करे और फिर इस तरह काम करे मनो आपको डर लग ही नहीं रहा हो।

दोस्तों ऑथर हमे डर ख़त्म करने के 3 स्टेप बताते हैं आईये देखते हैं

विश्वासी व्यक्ति बनने का संकल्प ले

डर को ख़त्म करने के लिए सबसे बडा काम संकल्प के साथ कहना है, मैं अब चिंता और डर के वश में नहीं रहना चाहता। मैं अपने मन से चिंता और डर को बाहर निकालना चाहता हूँ। अब मैं उनके शिकंजे में नहीं रहना चाहता। मैं इसी समय संकल्प लेता हूँ कि मेरी चिंता और डर काबू में आ जाएँ और ख़त्म हो जाएँ। जाहिर है, आप इन बातों को जितनी स्ट्रॉन्ग्ली कह लें, ये अपने आप साकार नहीं होगी। ये तब साकार होंगी, जब आप उन्हें दृढता से कहेंगे और डर को ख़त्म करने के लिए सचमुच संकल्पवान होंगे।

एक बार में एक डर पर काम करें

एक काग़ज़ पर उन सभी चीजों की सूची बनाएँ, जिनसे आप डरते हैं और अपने सबसे व्यापक डर का पता लगाएँ। यह वह डर होगा, जो हर दिन मोजूद रहता है और आपको सबसे ज़्यादा परेशान करता है। फिलहाल सिर्फ़ इसी ख़ास डर से जूझने का निर्णय ले। दोस्तों आप एक बार में केवल एक ही डर से मुकाबला कर सकते हैं।

अगर आप अपने सारे डर से एक साथ भिड़ने की कोशिश करेगे, तो यह इतना विकट काम होगा कि आप इसमें सफल नहीं हो पाएँगे। पहले आप किसी एक ख़ास डर पर सफलता हासिल कीजिये फिर दूसरे पर और फिर तीसरे पर इस तरह जल्दी ही आप अपने डरों के पूरे समूह पर सफलता पाने फी शक्ति हासिल कर लेंगें।

अपनी आस्था को बढ़ाएँ

Norman Vincent Peale की सलाह है कि आप अपने मन को आस्था की बडी खुराक दें। धर्मग्रंथो में ऐसे वाक्य खोजे, जिनमे इंसान के सबसे महान जीवनमूल्य व्यक्त हुए हों। इन्हे बार-बार दोहराएँ, जब तक कि वे इतने शक्तिशाली न बन जाएँ कि आपकी सोच पर हावी हो जाएँ। इसके बाद बहुत ही कम समय में आस्था के ये शक्तिशाली विचार आपके डरों को हटाने लगेंगे।

दोस्तों समय-समय पर हर व्यक्ति का असफल होना तय है और महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है, आप असफलता पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं? सच कहें, तो असफ़लता एक उत्कृष्ट शिक्षक बन सकती है हम अपनी ग़लतियों से यह सीख सकते हैं कि कोई चीज़ कैसे न की जाए। फिर हम अपनी ख़ुद की सफलताओं से यह भी सीख सकते हैं कि कोई चीज़ सही कैसे की जाए।

Six Attitudes for Winners summary in hindi

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उत्साही बने-जीवन रोमांचक हैं

अपने मन में ये बात बैठा ले कि संसार सौंदर्य और रोमांच से भरा हुआ है। इसके प्रति ख़ुद को संवेदनशील रखे। संसार से, इसकी सुंदरता से और इसके लोगों से प्रेम करे। अगर आप इस सलाह को मानते हैं तो आपको प्रचुर उत्साह का वरदान मिलेगा और आपका जीवन खुशियों से भर जाएगा।

आइए इसे एक एक्साम्प्ल से समझते हैं

लेक्चर के बाद एक युवा महिला ने ऑथर से मरियल अंदाज़ में हाथ मिलाया और धीरे से बोली, मैं आपसे हाथ मिलाना चाहती थी, लेकिन मुझे दरअसल आपको तकलीफ़ नहीं देनी चाहिए थी। यहाँ पर इतने सारे महत्त्वपूर्ण लोग हैं और मैं कोई नहीं (नोबडी) हूँ।

ऑथर बोले आईये मिस नोबडी हम थोड़ी बातचीत करते हैं। उसने हैरानी से पूछा, “आपने मेरा नाम लिया?” और फिर बोली देखिए, मुझमें काफ़ी हीन भावना है। ऑथर ने जबाब दिया “देखो, मैं यह बात आपसे इसी वक़्त कह रहा हूँ आप ईश्वर की संतान हैं।” और उन्होंने उसे सलाह दी कि वह हर दिन तनकर खडी हो और ख़ुद से कहे, “मैं ईश्वर की संतान हूँ।”

कुछ समय बाद उसी इलाके में दोबारा Norman Vincent Peale लेक्चर देने गए। लेक्चर के बाद एक आकर्षक युवा महिला ने ऑथर के पास आकर पूछा, आपने मुझे पहचाना? मैं पुरानी मिस नोबडी हूँ। उसका उत्साही अंदाज़ और उसकी आँखों की चमक उसमें हुए परिवर्तन को बयाँ कर रहे थे। यह घटना एक महत्त्वपूर्ण सच्चाई का प्रमाण है। आप बदल सकते हैं! कोई भी बदल सकता है! और नीरस नोबडी से उत्साही समबडी बन सकता हैं।

अगर आप भी उत्साही बनाना चाहते है तो ये 3 स्टेप को फॉलो करें

  1. दिन की सही शुरूआत करे-
  2. आध्यात्मिक बुक्स पढ़े
  3. आपने लाइफ से प्रेम करें

शांतिपूर्ण-मुझे चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं

आपके दिमाग़ में जो भी चीज़ चलती है, आपका शरीर उसके प्रति संवेदनशील होता है। अगर आपके दिमाग़ में चिंता रहती है, तो इसका आपके शरीर के सभी अंगों पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। यह इस तरह होता है। चिंता का एक विचार चेतना में एक हल्की-सी लकीर बना देता है। बार-बार दोहराए जाने पर यह बिचार गहरा होकर डर या चिंता की नहर बन जाता है। इसके बाद आपके मन में जो भी बिचार आता है, लगभग हर विचार चिंता के रंग में डूबा होता है।

फलस्वरूप आप भयभीत इंसान बन जाते हैं और हमेशा चिंता करते रहते है। इस प्रक्रिया के ज़रिये आप एक ऐसा मानसिक परिवेश बना देते हैं, जिसमें चिंता फलत्ती-फूलत्ती है और अतल: आपके पूरे जीवन अनुभव पर कब्जा कर लेती है। ठीक इसके विपरीत अगर आप हमेशा पॉजिटिव रहते हैं तो आप आपके साथ हमेशा सब अच्छा ही होगा क्योकि आपका नज़रिया ही तय करता है कि आप ख़ुशी है या दुखी हैं।

आईये इसे एक एक्साम्पल से समझते हैं

एक आदमी ने ऑथर को फ़ोन करके कहा कि उसे मदद की सख्त ज़रूरत है। उसने कहा, हर चीज़ बुरी हो रही है और मैं चिंता के मारे बीमार हुआ जा रहा हूँ। ऑथर ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा, मुझें यह सुनकर अफ़सोस हुआ कि आपकी पत्नी आपको छोडकर चली गई है। वह व्यक्ति बोला किसने कहा कि वह मुझे छोडकर चली गई है? मेरी पत्मी मुझसे प्रेम करती है और मेरे साथ खडी है।

” बहुत अच्छी बात है, ऑथर ने कहा। अब मैं आपको बताता दूँ कि हमेँ क्या करना चाहिए। हम यह हिसाब लगाते हैं कि आपने क्या खोया है और आपके पास क्या बचा है।

देखिए शुरुआत में ही आपके पास एक बहुत महत्त्वपूर्ण संपत्ति है। आपकी पत्नी आपके साथ निष्ठापूर्वक खडी है और आपसे प्रेम करती है। “फिर ऑथर ने जोड़ दिया,” कितनी बुरी बात है कि आपके बच्चों को नशे की लत है और वे जेल में हैं।”

“मेरे बच्चों को नशे की लत नहीं है! वे अच्छे बच्चे हैं वे कभी जेल नहीं जा सकते।” “बेहतरीना तो हम आपकी संपत्तियों की सूची में यह लिख लेते हैं कि बच्चे जेल में नहीं है। फिर ऑथर ने आगे कहा,” बहुत अफ़सोस की बात है कि आपका मकान जल गया और आप उसका बीमा भी नहीं करा पाए, क्योंकि आपके पास प्रीमियम चुकाने का पैसा नहीं था।”

“आपको यह ग़लत जानकारी कहाँ से मिली? मेरा मकान नहीं जला है और मेरे पास पर्याप्त पैसे हैं, जिनसे ख़र्च चल सकता है।” अब वह वरदान जोड़ने के इरादे को समझ गया था और बोलै मैं मूर्ख हूँ बहुत बड़ा मूर्ख हूँ”उसने कहा की मैंने कभी उन संपत्तियों के बारे में नहीं सोचा था, जिनका आप ज़िक्र कर रहे हैं।” उसने चिंता करना छोड़ दिया और 45 साल की उम्र में सचमुच जीने लगा।

दोस्तों हेनरी फोर्ड ने कहा था सर्वश्रेष्ठ में विश्वास करें, अपना सर्वश्रेष्ठ सोचें, अपने सर्वश्रेष्ठ फे लिए लक्ष्य बनाएँ, अपने सर्वश्रेष्ठ से कम के साथ कभी संतुष्ट न हों, अपने सर्वश्रेष्ठ की कोशिश करें और लंबे समय में परिस्थितियाँ भी सर्वश्रेष्ट देगी। इसलिए दोस्तों हमेशा सर्वश्रेष्ठ पर ध्यान केंदित करें।

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आत्मविश्वासी-में बदलकर बेहतर बन सकता हूँ

जव कोई परिवार प्रेम और आपसी सम्मान के माहौल में रहता है, तो इसके फलस्वरूप सुखद अवस्था उत्पन्न होती है। लेकिन जब गलतफ़हमी और संघर्ष की वज़ह से पारिवारिक माहोल गड़वड़ हो जाता है, तो एक अस्वस्थ अवस्था उत्पन्न होती है यदि आपके परिवार का माहौल ऐसा नहीं है, तो याद रखे कि आपमें अपना और अपने परिवार का जीवन बदलने की शक्ति हैं।

आईये इसे एक एक्साम्प्ल समझते हैं

एक अट्ठारह-उन्सीस साल का युवक था जो निश्चित रूप से “वर्तमान” पीढी का था। वो अपनी पीढी को छोढ़कर बांकी सबके प्रति विद्रोही और तिरस्कारपूर्ण नज़रिया रखता था। उसके माता-पिता उससे नाराज़ थे, पीढियों के बीच की खाई ज़्यादा चौडी हुई, परिवार बिखरने लगा और पूरे घर का माहोल दुखद हो गया था। फिर इस लड़के को ईश्वर के साथ एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव हुआ।

जिसके फलस्वरूप उसने निर्णय लिया कि संसार की समस्याओ का हिस्सा बनने के बजाय वह इसके समाधान का हिस्सा बनेगा। वह अपने विचारों पर तो अटल था, लेकिन अब वह दूसरों की राय का सम्मान करने लगा और उसने परिवार में प्रेम का अभ्यास शुरू किया। वह अंदर से प्रसन्न व्यक्ति बन गया था जिसके परिणाम स्वरूप उसका परिवार जयदा गहरे स्तर पर एक दुसरे से जुड़ गया। उसने दूसरों में परिवर्तन को प्रेरत किया जिससे परिवार एक इकाई बन गया जहाँ हर व्यक्ति एक दूसरे से प्रेम करता था और एक दूसरे का सम्मान करता था।

अपनी नौकरी का आनंद कैसे ले?

यदि कोई इंसान अपना जीवन बदलना चाहता है, तो शायद उसे अपनी नौकरी बदलनी होगी। नौकरी बदलने के दो तरीके होते हैं। स्पष्ट तरीक़ा तो यह है कि आप इस समय जो नौकरी कर रहे हैं, उसे छोडकर दूसरी नौकरी कर ले। लेकिन यदि आप यह करते हैं, तो यह मानकर चल रहे हैं कि आप अपनी प्रेजेंट जॉब में जिन चीजों को नापसंद करते हैं, वे सभी नई नोकरी में नहीं होंगी और नई नौकरी में हर चीज़ सिर्फ़ अच्छी होगी। जोकि हमेशा सच नहीं होता है।

मानव स्वभाव का एक नियम है, जिसे ध्यान में रखना होता है आप जहाँ भी जाते है, ख़ुद को कैर्री करते हैं। आप कभी ख़ुद से दूर नहीं जा सकते। इसलिए जब आप पुरानी नौकरी से नईं नौकरी में जाते हैं, तो आप ख़ुद को भी साथ ले जाते हैं। इसका मतलब यह है कि पुरानी नौकरी में आपमें जो कमजोरियों और ग़लत नज़रिये थे, वे नई नौकरी में भी रहेंगे। इसलिए नौकरी बदलने का दूसरा तरीक़ा ख़ुद को बदलना है और ये प्रेजेंट जॉब के अंदर किया जा सकता है।

एक आदमी ने ऑथर से अपनी नौकरी के बारे में सलाह ली। उसने कहा कि इसमें कोई अक्सर नहीं था। वह इसे छोडकर किसी दूसरे क्षेत्र में जाना चाहता था। ऑथर ने उसे नौकरी बदलने का फर्स्ट विचार बताया। फिर ऑथर ने एक सफल प्रगतिशील व्यक्ति के नाम का ज़िक्र किया। आप क्या सोचते हैं, अगर आपकी वर्तमान नौकरी मि. स्मिथ के पास होती, तो वे क्या करते? “उसने एक मिनट तक सोचकर कहा,” देखिए मुझे यक़ीन है कि वे इसे सफल बना देते; वे हमेशा हर चीज़ को सफल बना देते हैं।

हाँ, लेकिन वे इस नौकरी में सफल कैसे होंगे? “वे क्या करेंगे?” इस पर उसने जवाब दिया, “मैं नहीं जानता कि वे क्या करेंगे?” ऑथर ने कहा “देखिए क्यों न कुछ दिन यह सोचने की कोशिश करें” कि बेहद सफल मि. स्मिथ इस नौकरी में क्या करेंगे। फिर आप भी बही कर दें।”

कुछ दिन बाद वह काफ़ी बेहत्तर नज़रिये कै साथ लोटा। उसने कहा, “मि. स्मिथ जो करेंगे, वह करने का एकमात्र तरीक़ा है कि मैं मि. स्मिथ जैसा बहिर्मुखी व्यक्ति बन जाऊँ। वे सकारात्मक विचारक हैं। लगता है, मुझे सकारात्मक सोच का अभ्यास शुरू कर देना चाहिए।” प्रोत्साहन पाने पर उसने अपने नए मानसिक नज़रिये का अनुसरण किया और ख़ुद पर काफ़ी सृजनात्मक मेहनत की। नौकरी में उसका प्रदर्शन बेहतर हो गया। अपनी वर्तमान नौकरी में ही ख़ुद को बदलने से उसे नई नौकरी मिल गई।

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Closing Remarks:

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