Shiv Khera ke Success Principle in Hindi: दोस्तों आज में आपसे Shiv Khera ke Success PRINCIPLES (शिव खेड़ा का सफलता के सिद्धांत) शेयर करूँगा। शिव खेड़ा अमेरिका में क्वालिफाइड लर्निग सिस्टम इंक के संस्थापक हैं। वह प्रख्यात पुस्तक जीत आपकी (Jeet Aapki) के लेखक हैं। वह एक प्रेरक वक्ता और महान् चिंतक भी हैं। तो चलिए शुरू करते है
Shiv Khera के पहले सक्सेस प्रिंसिपल से
Shiv Khera ke Success Principle in Hindi | शिव खेड़ा का सफलता के सिद्धांत
विषय सूची
जीवन फैसले पर आधारित होता है
आपकी इच्छा है सफल होने की, आपका इरादा नहीं है। यही एक समस्या है, क्योंकि जिंदगी में इरादा और इच्छा में बहुत अंतर होता है। जिंदगी में जब भी दबाव पड़ता है, इच्छा हमेशा कमजोर पड़ जाती है, इरादा और मजबूत हो जाता है।
बहुत सी चीजें हमारे हाथ से बाहर भी हैं। आप कहाँ पैदा हुए? आपका फैसला नहीं है। आपने अपने माँ- बाप को नहीं चुना, उन्होंने आपको नहीं चुना। आपका रंग आप बदल नहीं सकते। क्या गलती की उन्होंने? इसलिए जो बदल नहीं सकते, उसे स्वीकार करो।
बहुत से ऐसे लोग हैं, उन चीजों के साथ लड़ते रहते हैं, जो बदल नहीं सकतीं और अपनी जिंदगी में तनाव जीते हैं। जिंदगी एक फैसला भी है और एक समझौता भी है।
हम सब एक फैसला लेने के लिए आजाद हैं, लेकिन जब हम फैसला ले चुके होते हैं तो फैसला हमपर काबू पा लेता है और हमारी आजादी खत्म हो जाती है।
हर चीज हमारे हाथ में नहीं है। ताश के पत्ते कैसे मिलते हैं, इसका फैसला हम नहीं करते। खेल कैसे खेलते हैं? इसका फैसला हम कर सकते हैं।
समस्या जीवन का प्रतीक है। जब तक हम जिंदा रहेंगे, समस्या रहेगी। अगर समस्या ही नहीं रहेगी तो हम ही नहीं रहेंगे और जब समस्या कम होने लगे, समझना कि खतरे की घंटी बजने वाली है।
अंधविश्वास हमें कमजोर बनाता है
गुरु नानक जी एक बार हरिद्वार गए और उन्होंने देखा कि लोग जल चढ़ा रहे हैं। उन्होंने पूछा, जल क्यों चढ़ा रहे हो? लोगों ने कहा कि हमारे पूर्वज प्यासे हैं इसलिए जल चढ़ा रहा हूँ ।
गुरु नानकजी ने पूछा, जल उनतक वहाँ पहुँच जाएगा? उन्होंने कहा कि बिलकुल पहुंच जायेगा। गुरु नानक उलटे होकर दूसरी तरफ जल चढ़ाने लगे। सब ने कहा—यह तो गलत काम कर रहे आप।
आप गलत जगह पानी डाल रहे हैं। गुरु नानक जी ने जवाब दिया, मैं तो अपने खेतों को पानी दे रहा हूँ। लोगों ने पूछा, खेत कहाँ हैं? तो गुरुनानक जी ने कहा पंजाब में तो लोगों ने गुरु नानक जी से पूछा, जल पंजाब तक पहुँच जाएगा?
तो गुरु नानक जी बोले, ‘हाँ, आपका चढ़ाया जल अगर आपके पूर्वजो तक पहुँच जाएगा तो मेरा खेतों में क्यों नहीं पहुँचेगा?’ ये सुनकर सबके सब सन्न रह गए। देखा जाये तो गुरु नानक जी ने शुरुआत की थी अंधविश्वास से ऊपर उठने की।
दोस्तों अंधविश्वास ने हम लोगों को कमजोर बना दिया है। जिंदगी में जब भी कुछ गलत होता है, उससे सीख लेने की बजाय हम लोग सितारों को दोष देने लगते हैं। सोचिये जरा इस्पे।
खुद को मेंटली टफ रखिए
आप कैसे शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनते हैं? आप जिम जाते हैं। वहाँ जाकर आप 5 किलो का वजन उठाते हैं, 10 बार रैप करते हैं , 20 रैप करते हैं, और फिर 30 करते हैं।
हर अभ्यास आपको ज्यादा पावर देता है और आप ज्यादा उठा पाते हो, क्योंकि आप खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बना रहे हो। वैसे ही आपको मानसिक दृढ़ता बनाने की जरूरत है।
अगर आप एक सकारात्मक इनसान बनना चाहते हैं, तो ये रातोरात नहीं होगा। आप सारी जिंदगी पॉजिटिव रहने की कोशिश मत कीजिए।
आप अपने दिमाग को कहिये की चाहे जो हो जाये में अगले 10 मिनट के लिए पॉजिटिव रहूँगा । यह जिंदगी भर के लिए सोचने से ज्यादा बेहतर है। और फिर धीरे धीरे अपने टाइम को बढ़ाते रहिये। आप देखेंगे, आपकी क्षमता बढ़ती चली जाएगी।
दोस्तों हम अपने विचार चुनते हैं। नकारात्मक विचार हर एक इनसान के अंदर आते हैं, सकारात्मक इनसान के पास भी आते हैं, लेकिन वे उसे बाहर निकाल देते हैं। ये बस एक अभ्यास की बात है।
अच्छी आदतें सदैव अच्छा निर्माण करती हैं
हारनेवाले सुबह नहीं उठना चाहते हैं; जीतनेवाले भी नहीं उठना चाहते, लेकिन फिर भी उठते हैं। हारनेवाले मेहनत नहीं करना चाहते; जीतनेवाले भी नहीं करना चाहते, फिर भी करते हैं, वे उसकी आदत बना लेते हैं। जब भी करते हैं, सही काम करते हैं, क्योंकि आदत बन चुकी होती है।
अच्छी आदतें बनाओ। आदतों से ही चरित्र बनता है। 90 प्रतिशत हमारा व्यवहार वैसा ही होता है, जैसी आदत होती है। अगर हमारी अच्छी आदतें हैं तो हमारा चरित्र अच्छा होगा।
अगर हमारी आदतें खराब हैं तो हमारा चरित्र खराब होगा। अच्छी आदतें मुश्किल से आती हैं, लेकिन उनके साथ जीना आसान है। बुरी आदतें आसानी के साथ आती हैं, लेकिन उनके साथ जीना मुश्किल है।
इसकी तो किस्मत ही अच्छी है। हमेशा कहते हैं, मिट्टी को हाथ लगाता है, सोना हो जाती है। इसकी किस्मत खराब है। सोने को हाथ लगाता है, मिट्टी हो जाती है।
इस बात में गहराई है। हम कहते हैं, उसकी किस्मत अच्छी है। उसकी जिंदगी देखिए, जिंदगी में हर ट्रांजेक्शन और व्यवहार देखिए, अच्छी आदतें होंगी। जब काम करते हैं, सही करते हैं, क्योंकि स्वयमेव वही काम करते हैं, जो सही है।
जिसकी आदत खराब है, इसलिए इसकी किस्मत खराब है। उनकी जीवनी देखें, जब भी कोई काम करते हैं, गलत हो जाता है। क्यों गलत हो जाता है? स्वयमेव है। बिल्ड ही गलत हो रहा है।
रफ्तार से ज्यादा जरूरी दिशा है
पायलट माइक पर कहता है कि हमारे पास एक अच्छी खबर है और एक बुरी। अच्छी खबर यह है कि हम अपने गंतव्य पर एक घंटा पहले पहुँचेंगे, लेकिन बुरी खबर यह है कि हमारा दिशा-सूचक सिस्टम टूट गया है। हमें नहीं पता, हम कहाँ जा रहे हैं।
कैप्टन आपके पास आता है। कहता है, घबराइए नहीं, यह पैराशूट ले लीजिए और कूद जाइए।’ आप पैराशूट लेकर कूद जाते हैं। कहाँ लैंड करते हैं? एक जंगल के बीच और समय है 9 बजे रात का अँधेरा है।
जंगल के उसूल होते हैं, 10 बजे सब जानवर निकल आएँगे और आपको खा जाएँगे। जंगल से निकलने और भागने का एक ही रास्ता है—रन साउथ। इतने अँधेरे जंगल में आपको कैसे मालूम होगा कि साउथ कहाँ है?
अचानक एक सेल्समैन आ जाता है और आपको कहता है, मैं आपको एक घड़ी बेच सकता हूँ। यह घड़ी बताएगी कि आपके पास कितना समय है। आप उसकी तरफ देखते हैं, मजाक कर रहा है, लेकिन थोड़ी देर के बाद आपकी शक्ल को देखकर वह कहता है, मेरी दूसरी जेब में कंपास है।
आप क्या करेंगे, इसका जवाब बहुत स्पष्ट है। आप कंपास खरीदेंगे, घड़ी नहीं। छोटी सी कहानी का निचोड़ याद रखिए, जिंदगी में रफ्तार से ज्यादा जरूरी दिशा है।
Shiv Khera ke Success Principle in Hindi | शिव खेड़ा का सफलता के सिद्धांत
अच्छा नजरिया रखिए
जिस तरह किसी भव्य इमारत के टिके रहने के लिए उसकी नींव मजबूत होनी चाहिए, उसी तरह कामयाबी पर टिके रहने के लिए भी मजबूत बुनियाद की जरूरत होती है और कामयाबी की बुनियाद होती है नजरिया।
नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। अगर हम अपने नजरिए को सकारात्मक बनाना चाहते हैं तो टाल-मटोल की आदत छोड़ें और तुरंत काम करो पर अमल करना सीखें। यही आपके अच्छे भविष्य का निर्माण करेगा।
चुनाव करना सीखिए
जिन्हें अवसर की पहचान नहीं होती, उन्हें अवसर का खटखटाना शोर लगता है। अवसर आता है तो लोग उसकी अहमियत नहीं पहचानते। जब वह जाने लगता है तो वे उसके पीछे भागने लगते हैं। कोई अवसर दो बार नहीं खटखटाता।
दूसरा अवसर पहले वाले अवसर से बेहतर या बदतर हो सकता है, पर वह ठीक पहले वाले मौके जैसा नहीं हो सकता। गलत समय पर लिया गया सही फैसला भी गलत बन जाता है। अवसर अच्छे या बुरे नहीं होते। उन्हें सफलता में बदलना आपकी जिम्मेदारी है।
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