As a man Thinketh Book Summary in Hindi

As a man Thinketh Book Summary in Hindi

जैसा विचार वैसा जीवन

दोस्तों आज में आपसे James Allen की  बुक As a man Thinketh (ऐज अ मैन थिंक) की समरी शेयर करने जा रहा हूँ  जिससे आप सीखेंगे कि  कि हमारा  विचार हमारे जीवन को  किस तरह से प्रभावित करते है। तो  बिना किसी देरी की करते है काम की बात।

1. जैसे विचार, वैसा चरित्र

ऑथर कहते है कि इंसान वाकई वैसा ही होता है, जैसा वह सोचता है। उसका चरित्र उसके सभी विचारों का महायोग होता है। इसलिए अगर आप अपने जीवन को बदलना चाहते हैं, तो सबसे पहले तो आपको अपने विचारों को बदलना होगा। जब तक आप अपने विचारों को नहीं बदलेंगे, तब तक आपका जीवन नहीं बदल सकता।

आईये इसे एक्साम्पल से समझते है।  आपके विचार यानि  कि थॉट्स बिलकुल बीज की तरह होते हैं। और इन बीजों से जो पौधे निकलते हैं वो होते हैं आपके एक्शन्स। आपके थॉट्स आपके हर एक्शन पर अपना असर डालते हैं फिर चाहे वो एक्शन अचानक हो या ऐसा जिसकी आपने कल्पना भी ना की हो।

आपका एक्शन आपके थॉट से जन्म लेता है। आपके एक्शन का कोई भी रिजल्ट हो सकता है, या तो वो आपको ख़ुशी दे सकता है या दुःख। आपके साथ जो भी हो रहा है, फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा, वो सब आपके थॉट्स का ही  रिजल्ट है।

दोस्तों  इस तरह हम देख सकते हैं कि इंसान अपने दिमाग़ में जिन विचारों के बीज बोता है, वह उन्हीं के अनुरूप मीठी या कड़वी फ़सल काटता है। फ़सल कैसी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कैसे बीज बोए थे।

अगर आपने करेले के बीज बोए थे, तो आप आम के फलों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? इस सिद्धांत को अपने जीवन में लागू करके देखें और अगर आप आम के फल खाना चाहते हैं, तो आम के बीज ही बोएँ। आपके जैसे विचार होंगे, वैसा ही आपका चरित्र होगा और जैसा आपका चरित्र होगा, वैसी ही आपकी परिस्थितियाँ होंगी।

यानी अगर आप अपनी परिस्थितियों से संतुष्ट हैं, तो आपको अपने विचारों को बदलने की कोई ज़रूरत नहीं है। दूसरी तरफ़, अगर आप अपनी परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि आपको अपने विचारों को बदलने की ज़रूरत है, क्योंकि उन्हें बदलने के बाद ही आपको अपनी मनचाही परिस्थितियाँ मिल सकती हैं। (As a man Thinketh Book Summary in Hindi)

2. जैसे विचार, वैसी परिस्थितियाँ

ऑथर कहते है कि हम इंसान के दिमाग बगीचे जैसा होता है, अगर उसकी ठीक से देखभाल की जाए तो उसमें फूल और फल उगते हैं। अगर उस बगीचे की देखभाल ना की जाए तो उसमें घास और झाड़ियां उगती हैं। और एक वक़्त ऐसा आएगा, जब यह खरपतवार पूरे बगीचे पर क़ब्ज़ा जमा लेगी।

इस संसार का एक विचित्र सत्य यह है कि बुरी चीज़ें बड़ी आसानी से हमारे पास आ जाती हैं, जबकि अच्छी चीज़ों को अपने पास लाने के लिए हमें मेहनत करनी पड़ती है। जिस तरह एक बगीचे में फल और फूलों की अच्छी खेती के लिए हमें उसमें से घास को निकालना पड़ता है उसी तरह हमें जीवन में अच्छे परिणाम पाने के लिए अपने मन से गलत विचारों को निकालना पड़ता है। अपने जीवन में अच्छे परिणाम पाने के लिए हमें अपने मन में शुद्ध और सही विचार रखने चाहिए।

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दोस्तों कुछ लोग हमेशा नकारात्मक बातें करते हैं, जब भी आप उनसे मिलेंगे तो वह आपसे कहेंगे कि उनका काम ठीक नहीं चल रहा या वह ज्यादा पैसे नहीं कमा रहे।   जब भी आप ऐसे लोगों से मिलेंगे तो वह आपसे कोई ना कोई शिकायत करेंगे ही करेंगे।  उनके साथ ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह अपने काम, अपने बिजनेस और अपने जीवन के बारे में नकारात्मक विचार रखते हैं, इसीलिए उन्हें परिणाम भी नकारात्मक मिलते हैं। 

वही दूसरी और कुछ लोगो आपसे भी मिलेंगे जो कभी आपसे कोई शिकायत नहीं करेंगे, ऐसे लोगों का दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते होते हैं, क्योंकि उनका  विचार शुद्ध और सकारात्मक होते हैं। अपने सकारात्मक विचारों के कारण ही उन्हें जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

हमारे मन के विचार चाहे अच्छे हो या बुरे, वह एक बीज की तरह होते हैं और ज्यादा देर तक मन में रहने पर वह फल जरूर देते हैं। अच्छे विचार से हमें अच्छे फल मिलते हैं और बुरे विचार से हमें बुरे फल मिलते हैं (As a man Thinketh Book)

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3. जैसे विचार, वैसा स्वास्थ्य

ऑथर कहते है कि इंसान का शरीर उसके दिमाग का सेवक होता है। यह दिमाग के आदेश को मानता है, चाहे उन्हें सोच-विचारकर दिया जाए या फिर बिना सोचे-समझे। गलत विचारों के आदेश पर शरीर बीमार हो जाता है और अच्छे बिचारों  के आदेश से इंसान युवा और सुंदर हो जाता है।

शुद्ध विचार और खुशी की भावनाएं शरीर को स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करते हैं।  दोस्तों विचार चाहे अच्छे हो या बुरे उसके परिणाम हमें अपने शरीर पर जरूर दिखाई देते हैं।  देखिए, आपका मस्तिष्क डेढ़ किलो से कम का होता है, लेकिन यह पूरे शरीर की 20-25 प्रतिशत एनर्जी का उपयोग करता है और मस्तिष्क अपनी एनर्जी का ज़्यादातर उपयोग विद्युत संकेतों के आदान-प्रदान में करता है।

यह हर पल आपके शरीर को संकेत भेज रहा है कि यह क्या करे। आपके हर अच्छे विचार पर यह किसी अच्छे हॉरमोन या रसायन को प्रवाहित करने का आदेश दे देता है और आपके हर बुरे विचार पर यह किसी बुरे हॉरमोन या रसायन को प्रवाहित करने का आदेश दे देता है।

इसका मतलब यह है कि अच्छे विचार सोचने से आपके शरीर में अच्छे रसायनों का प्रवाह ज़्यादा होता है, जिससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है और आपको रोगों की आशंका कम रहती है। अगर आप अपने विचारों को शुद्ध बना लेते हैं, तो बाक़ी सब कुछ अपने आप शुद्ध बन जाएगा।

अगर आप अपने शरीर की रक्षा करना चाहते हैं, तो अपने दिमाग पर पहरा लगा दें। अगर आप अपने शरीर को सुंदर बनाना चाहते हैं, तो अपने दिमाग को सुंदर बना लें। जिस तरह हवा और धूप अंदर आए बिना घर अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक नहीं हो सकता, उसी तरह मजबूत शरीर और तेजस्वी,  व शांत चेहरा तभी मिल सकता है, जब आप ख़ुशी, सद्इच्छा और शांति के विचारों को खुलकर अपने दिमाग में आने दें।

4. उद्देश्यपूर्ण विचार सफलता दिलाते हैं

जब तक विचारों को उद्देश्य के साथ ना जोड़ा जाए तब तक  कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं की जा सकती हैं।  जिन लोगों का जीवन में कोई उद्देश्य नहीं होता वह जल्दी ही डर और चिंता के शिकार हो जाते हैं जिसके कारण उन्हें जीवन में असफलता का सामना करना पड़ता है।  इसलिए दोस्तों आप जो भी पाना चाहते हैं अपने विचारों को बस उस पर फोकस करना शुरू कर दीजिये।

अपना उद्देश्य तय करने के बाद मनुष्य को अपने दिमाग में इसे हासिल करने का सीधा मार्ग तय कर लेना चाहिए। इसके बाद आपको  दाएँ-बाएँ नहीं देखना चाहिए। अगर आप पूर्व दिशा में जा रहे हैं, तो आपको पश्चिम दिशा की तरफ़ नहीं देखना चाहिए। अगर आपने पूर्व दिशा में जाने का लक्ष्य बना लिया है, तो सिर्फ़ पूर्व दिशा में ही आगे तक देखें। इधर-उधर न देखें।

आपने देखा होगा घोड़े की आँखों पर अगल-बग़ल में पट्टी बाँध दी जाती है, ताकि वह इधर-उधर की चीज़ों को देखकर विचलित न हो, बल्कि अपने सामने की दिशा में चलने पर ध्यान केंद्रित करे। लक्ष्यकेंद्रित इंसान को भी अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ते समय ऐसा ही करना चाहिए। देखिए, अगर आपके मन में शंका है, तो इसका मतलब है कि आपको ख़ुद पर विश्वास नहीं है।

आत्मविश्वास की इस कमी की वजह से आप ज़्यादातर समय दुविधा में रहेंगे और यही सोचते रहेंगे कि आप उस काम को कर पाएँगे या नहीं। अगर आप डर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप उस काम को आधे-अधूरे दिल से करेंगे क्योंकि आपको यह डर है कि कहीं आप ग़लत न हों। शंका और डर एकाग्रता और आत्मविश्वास के शत्रु हैं।

जब तक ये शत्रु आपके दिमाग़ में डेरा डाले रहेंगे, तब तक आप अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए पूरी ताक़त और एकाग्रता से प्रयास नहीं कर पाएँगे। इसलिए इन्हें अपने दिमाग़ से बाहर निकाल दें और आत्मविश्वास को दिमाग़ में बैठा लें।

5. विचार हर उपलब्धि की नींव हैं

ऑथर कहते हैं कि इंसान को उसके जीवन में जो कुछ भी मिलता है वह सब उसके विचारों का ही रिजल्ट है। इंसान अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल करता है और जो हासिल नहीं कर पाता है वह सब उसके विचारों पर निर्भर करता है। अपने विचारों और परिणामों को व्यक्ति केवल खुद ही बदल सकता है।

इंसान अपने बारे में जैसा भी सोचता है वह वैसा ही बना रहता है।  एक ताकतवर व्यक्ति किसी कमजोर व्यक्ति की तब तक मदद नहीं कर सकता जब तक कमजोर व्यक्ति अपनी मदद कराना न चाहे। और तब भी कमजोर व्यक्ति को ख़ुद शक्तिशाली बनना होता है।

कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को ऊपर उठाकर ही ऊपर उठ सकता है, जीत सकता है और उपलब्धि हासिल कर सकता है। वह अपने विचारों को ऊपर उठाने से इंकार करके कमजोर, दीन और दुखी बना रह सकता है। आप क्या करना चाहते हैं, यह पूरी तरह से आप पर और आपके चुनाव पर निर्भर करता है।

इसे इस तरह से समझें। अगर आप अपने मोहल्ले में दौड़ में जीतना चाहते हैं, तो आपको कम अभ्यास करने की ज़रूरत होगी। अगर आप अपने शहर में दौड़ में जीतना चाहते हैं, तो आपको काफ़ी अभ्यास करने की ज़रूरत होगी।

और अगर आप ऑलंपिक की दौड़ में जीतना चाहते हों, तो आपको हर समय अभ्यास करने की ज़रूरत होगी और बाक़ी हर चीज़ का त्याग करने की ज़रूरत होगी। आपके लक्ष्य से यह तय होता है कि आपको कितना त्याग करना चाहिए।

लेकिन आसान जीवन के प्रलोभन में न आएँ। बड़ा लक्ष्य रखें। यह न भूलें कि आप ईश्वर की संतान हैं और ईश्वर ने आपको इस संसार में छोटे काम करने के लिए नहीं भेजा था।

6. हर सपना सुखद भविष्य का विचार है

अगर आप बड़ा सपना देखते है तो आप एक न एक दिन उसे हासिल कर लेगें। कोलंबस ने दूसरी दुनिया खोजने का सपना देखा था और उसने अंततः इसे खोज ही लिया। कोपरनिकस ने ज़्यादा बड़े ब्रह्मांड का सपना देखा था और आख़िरकार उन्होंने उसे खोज लिया।

इसलिए बाइबल का नियम याद रखें: ‘माँगें और पाएँ।’ सपना देखने का मतलब है कि आप माँग रहे हैं। बार-बार सपना देखने का मतलब है कि आप शिद्दत से माँग रहे हैं। लगातार सपना देखने का मतलब है कि आप उस चीज़ को शत-प्रतिशत शिद्दत से माँग रहे हैं और आप ख़ुद को उस पर केंद्रित कर चुके हैं।

ऊँचे सपने देखें, क्योंकि आप जैसे सपने देखते हैं, वैसे ही बनेंगे। आपका सपना इस बात का वादा है कि आप एक न एक दिन वैसे ही बनेंगे। आपके मन में सँजोया गया सपना एक भविष्यवाणी है, जिसे आप एक दिन पूरी करेंगे।

ऑथर कहते है  कि आप हमेशा उसकी ओर झुकेंगे, जिससे आप मन ही मन सबसे ज़्यादा प्रेम करते हैं। आप ही के विचारों के सटीक परिणाम आपके हाथों में रख दिए जाएँगे। आपको वही मिलेगा, जिसके आप लायक होंगे; न उससे कम, न उससे ज्यादा। आपका वर्तमान माहौल चाहे जैसा हो, आप अपने विचारों – अपने सपनों – के अनुसार नीचे गिरेंगे, वहीं रहेंगे या ऊपर उठेंगे।

जिस सपने को आप अपने दिमाग में  रखते हैं, जिस विचार को आप अपने दिल के रखते हैं, आप अपने जीवन को उसी के जैसा बनाते हैं। इसीलिए अगर आप इस संसार में सफल होना चाहते हैं, तो अपने विचारों पर सबसे पहले ध्यान दें, क्योंकि जैसे आपके विचार होंगे, वैसा ही आपका जीवन होगा।

सफलता के विचार सोचेंगे, तो सफल होंगे। असफलता के विचार सोचेंगे, तो असफल होंगे। मुद्दे की बात यह है कि अगर सोचने का विकल्प चुनना हमारे हाथ में है, तो फिर सफलता के विचार क्यों न सोचें? इसी में समझदारी है, इसी में फ़ायदा है!

7. शांत विचार, शांत जीवन

जिस तरह मोती की खोज में गोताखोर को गहरे पानी में जाना होता है, उसी तरह मानसिक शांति का यह रत्न भी आसानी से नहीं मिलता है। इसे आत्म-नियंत्रण और  धैर्य से प्राप्त किया जा सकता है। 

इंसान जितना ज़्यादा शांत होता है, उसकी सफलता, प्रभाव और नेकी करने की शक्ति उतनी ही ज़्यादा बढ़ती है। सामान्य व्यापारी भी अगर ज़्यादा आत्म-नियंत्रण और शांति विकसित कर ले, तो उसकी व्यापारिक समृद्धि बढ़ जाएगी, क्योंकि लोग हमेशा शांत व्यक्ति के आस-पास रहना चाहते हैं।

तो दोस्तों इस आर्टिकल में इस आर्टिकल में बस इतना ही आपको ये नीति कैसी लगी हमें कमेन्ट कर के जरूर बताये। अगर आप इस बुक का कम्पलीट वीडियो समरी देखना चाहते है तो ऊपर दिए लिंक से देख सकते है।

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