What Is Book value of Share in Hindi – बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर है

What Is Book value of Share in Hindi – बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर है: दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शेयर बाज़ार में बुक वैल्यू क्या होता है (What Is Book value of Share in Hindi) बुक वैल्यू का इस्तेमाल कंपनियाँ कब और किस लिए करती हैं। इन सभी के अलावा हम यह जानेंगे कि बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर है तो चलिए इसके बारे में जानते हैं सब-कुछ विस्तार से इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

बुक वैल्यू किसे कहते है – What is Book Value of Share in Hindi

यदि कोई कंपनी अपना व्यापार बंद करना चाहे या उसे नुकसान हो जाए और कंपनी बेचना पड़े। तो सारे कर्ज और लेन-देन चुकाने के बाद कंपनी के पास जो संपत्ति (Assets) बचता है। उसे कंपनी की असली कीमत या बुक वैल्यू (Book Value) कहते हैं।

कंपनी की बैलेंस शीट पर किसी भी कंपनी का बुक वैल्यू लिखा होता है। ताकि निवेशक बुक वैल्यू (Book Value) को बैलेंस शीट में देखकर उसका फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) करके कंपनी में निवेश करें।

बुक वैल्यू कैसे निकाले – How to Find Book Value of Company in Hindi

How to Find Book Value of Company in Hindi

Example-1

मान लीजिए एस के कंपनी के बिल्डिंग, जमीन, प्लांट, कंप्यूटर, मशीनें, इत्यादि टोटल ऐसेट की वैल्यू 90 लाख रुपये हैं और कंपनी के ऊपर टोटल 25 लाख रुपये लायबिलिटी (Liability) है। तो ऐसेट की वैल्यू 90 लाखों रुपये में से 25 लाख रुपए घटाना (Minus) होगा। इस प्रकार से एस के कंपनी की बुक वैल्यू 65 लाख रुपये है।

फॉर्मूला

बुक वैल्यू = टोटल ऐसेट – टोटल लायबिलिटी

Example-2

मान लीजिए कंपनी के टोटल ऐसेट (Assets) 30 करोड़ों रुपए है। जिसमें मशीनरी, कंप्यूटर, बिल्डिंग, प्लांट सभी की कीमतें शामिल है। प्रमोटरों ने कंपनी को शुरू करने के लिए 25 करोड़ों रुपए डाले हैं। कर्ज के रूप में कंपनी ने 5 करोड़ रुपए का लोन भी लिया हैं।

अगर हम कंपनी के टोटल ऐसेट वैल्यू (Asset value) में से लोन प्राइस को माइनस कर दे। तो प्रमोटरों को अपना हिस्सा मिल जाएगा। यानी कि कंपनी के अकाउंटिंग में यह हिस्सेदारी ही बुक वैल्यू (Book Value) होता है।

फॉर्मूला

बुक वैल्यू = टोटल फिजिकल ऐसेट – लायबिलिटी कंपनी के कुल शेयर

बुक वैल्यू का शेयर बाज़ार में महत्त्व – Importance of Book Value in Stock Market in Hindi

  • बुक वैल्यू (Book Value) मूल्य निवेश रणनीति का उपयोग करने वाले निवेशकों के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें यह शेयर बाज़ार में बेनिफिट वाले शेयर खोजने में सक्षम बनाता है।

  • बुक वैल्यू से (Book Value) यह पता किया जाता है कि अगर कंपनी अपने सभी देनदारी चुका दे और कंपनी के ऐसेट (Assets) बेचे जाये तो किसी कंपनी की क्या कीमत होगी।

बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में अंतर – What is Difference Between Book Value and Face Value in Hindi

  • कंपनी के अवशिष्ट मूल्य को बुक वैल्यू (Book Value) दर्शाता है और बुक वैल्यू से यह पता चलता है। यदि कोई कंपनी किसी परिस्थिति में बंद हो जाए। तो कंपनी के शेयरहोल्डर्स को कितनी राशि प्राप्त होगी।

  • फेस वैल्यू (Face Value) किसी कंपनी के शेयर का नाममात्र मूल्य होता है। जो तय रहता है इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन बुक वैल्यू का मूल्य नियमित रूप से बदलते रहता है।

  • शेयर मार्केट (Share Market) में होने वाले परिवर्तन यानी कि प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव किसी भी कंपनी के बुक वैल्यू (Book Value) को प्रभावित कर सकते हैं।

  • फेस वैल्यू (Face Value) का उपयोग इसलिए किया जाता है कि इक्विटी और बॉन्ड पर कितना ब्याज देना है। शेयर बाज़ार में गिरावट या वृद्धि के कारण कंपनी के फेस मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

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अंतिम शब्द

दोस्तों हमने इस आर्टिकल में आपको बताया कि बुक ओके वैल्यू क्या होता है (What Is Book value of Share in Hindi) बुक वैल्यू और फेस वैल्यू में क्या अंतर है हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएँ।

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