What is Fundamental Analysis – फंडामेंटल एनालिसिस क्या होता है और निवेश करने से पहले फंडामेंटल एनालिसिस क्यों करना चाहिए: दोस्तों क्या आप शेयर मार्केट में लंबे समय के लिए निवेश करके अपने निवेश किए हुए पूंजी पर अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं। यदि हाँ तो ऐसे में आप जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं। उस कंपनी के शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी है। क्योंकि इससे कंपनी के आंतरिक गतिविधियों के बारे में पता चलता है।
तो चलिए दोस्तों देर किस बात की आज के इस आर्टिकल में हम जानते हैं कि फंडामेंटल एनालिसिस क्या होता है और हमें किसी भी कंपनी में अपनी पूंजी निवेश करने से पहले उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस क्यों करना चाहिए। जानते हैं सब-कुछ आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
विषय सूची
फंडामेंटल एनालिसिस क्या होता है (What is Fundamental Analysis)
यदि आप अपना पूंजी निवेश करने के लिए किसी अच्छे शेयर के तलाश में है; और आप यह पता कर रहे हैं कि कंपनी ने पिछले वर्षों में कैसा बिजनेस किया है। उसके ऊपर कोई कर्ज तो नहीं। इसी प्रक्रिया को फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है। जिसमें निवेशक फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए यह पता करते हैं कि वह जिस कंपनी में अपना पैसा निवेश कर रहे हैं। वह आर्थिक रूप से मजबूत है कि नहीं। उस कंपनी के प्रोडक्ट का मार्केट में क्या डिमांड है और आने वाले समय में हम अपने निवेश पर अच्छा लाभ कमा सकते हैं कि नहीं इत्यादि।
फंडामेंटल एनालिसिस क्यों करना चाहिए (Why should you do fundamental analysis)
यदि कोई निवेशक किसी कंपनी में लंबे समय के लिए निवेश करना चाहता है, जैसे कि 4 साल या 5 साल के लिए तब निवेशक को उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि इससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में उस कंपनी के शेयर हमें कितना प्रॉफिट दे सकती है और आने वाले दिनों में इस कंपनी के शेयर कितना ग्रोथ करेगी। इन सारी चीजों का पता केवल फंडामेंटल एनालिसिस से चलता है। इसलिए किसी भी कंपनी में लंबे समय के लिए निवेश करने से पहले फंडामेंटल एनालिसिस करना बेहद जरूरी है।
फंडामेंटल एनालिसिस करने के आधार (Basis for doing fundamental analysis)
किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए उनके कुछ बेसिक आधार होते हैं। निवेशक कंपनी के स्टॉक की फंडामेंटल एनालिसिस करते समय उन्हीं बेसिक आधारों की जांच करता है जो निम्नलिखित इस प्रकार है
- कंपनी की आय क्या है और कंपनी कितनी पुरानी है।
- बीते पिछले वर्षों में कंपनी की आय में कितना ग्रोथ हुआ हैं।
- बीते वर्ष में कंपनी ने कितना लाभ अर्जित किया है।
- कंपनी का वार्षिक टर्नओवर क्या है।
- कंपनी में कितने (Employee) काम करते हैं और कंपनी का मैनेजमेंट सिस्टम कैसा है।
किसी भी कंपनी के स्टाक का एनालिसिस करते समय इन्हीं बेसिक बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
फंडामेंटल एनालिसिस के प्रकार- (Types of fundamental analysis)
फंडामेंटल एनालिसिस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
गुणात्मक (Qualitative)
गुणात्मक (Qualitative) फंडामेंटल एनालिसिस में यह देखा जाता है कि कंपनी कितनी पुरानी है। कंपनी का बिजनेस कैसा परफॉर्मेंस कर रहा है और कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है। कंपनी का निर्माण कब हुआ यह सारी चीज Qualitative फंडामेंटल एनालिसिस में देखी जाती है।
मात्रात्मक (Quantitative)
वही क्वांटिटीव (Quantitative) फंडामेंटल एनालिसिस में निवेशक कंपनी के फाइनेंसियल कंडीशन को देखते हैं कि कंपनी फाइनेंसियल कितनी मजबूत है। कंपनी के बैलेंस शीट चेक की जाती है और कंपनी की कितनी इनकम है यह देखा जाता है। इसके अलावा कंपनी के प्रॉफिट-लॉस एनालिसिस किया जाता है।
फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें – (How to do Fundamental Analysis)
निवेशक फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें इसके लिए कुछ उदाहरण हम आपको बता रहे हैं। जो निम्नलिखित इस प्रकार है।
- फंडामेंटल एनालिसिस करने से पहले, निवेशकों को कंपनी के शेयर के बारे में अच्छी तरह समझ लेना अति आवश्यक है।
- फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए निफ़्टी 50 जैसे स्टॉक मार्केट इंडेक्स या सेंसेक्स में मौजूद कंपनियों का चुनाव करे।
- आप कंपनी के जिस सेक्टर में निवेश कर रहे हैं, उस सेक्टर में मौजूद अन्य कंपनियों के वार्षिक रिपोर्ट को जरूर देखें और तुलना करें की किस कंपनी का वार्षिक रिपोर्ट बेहतर है।
- इसके अलावा चौथे स्टेप में कंपनी के वित्तीय रेशियो की जांच अवश्य करें। जिससे आपको पता चले कि उतार-चढ़ाव का रेशियो क्या है।
- अब अगले स्टेप में आपको यह जांच करना है कि जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं उसके प्रतिद्वंद्वी कंपनी का स्ट्रक्चर क्या है। यानी कि उसके प्रतियोगी कंपनी से तुलना करें।
फंडामेंटल एनालिसिस टूल्स (Fundamental Analysis Tools)
किसी भी कंपनी के मार्केट शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए कई तरह के टूल्स का उपयोग किया जाता है।
रिटर्न ऑन इक्विटी (Return on equity)
रिटर्न ऑन इक्विटी का उपयोग वित्तीय प्रदर्शन की माप करने के लिए किया जाता है। इसी माप विधि द्वारा निवेशकों यानी शेयरधारकों को अपने निवेश किए गए पैसे पर शुद्ध आय विभाजित किया जाता है।
पी.ई अनुपात (P.E Ratio)
फंडामेंटल एनालिसिस के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण Tools पी.ई अनुपात है। क्योंकि यह स्टॉक मूल्य के सम्बंध में भुगतान को दिखाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी फर्म की शेयर प्राइस 100 रुपए है और प्रति शेयर की आय 20 रुपए है। तो इसका अनुपात 5 रुपए होगा।
पीबी अनुपात (PB ratio)
पीबी अनुपात से कंपनी के शेयर भाव ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड है इसका पता लगाया जाता है, जिससे पता चलता है कि भविष्य में कंपनी के ग्रोथ की संभावना है या नहीं। यदि कंपनी में ग्रोथ की संभावना रहती है, तो उसे ओवरवैल्यूड कहा जाता है। यदि कंपनी अच्छा परफॉर्म नहीं करती है, तो अंडरवैल्यूड कहा जाएगा।
लाभांश भुगतान अनुपात (Dividend payout ratio)
निवेशक जब किसी कंपनी में पूंजी निवेश करते हैं, तब कंपनी उस निवेश पर कमाए गए लाभ में से कुछ प्रतिशत अपने शेयर होल्डर को देती है। उसी लाभ को अपने शेयर होल्डर में बांटने के लिए Dividend payout ratio का इस्तेमाल किया जाता है।
बुक वैल्यू- (Book value)
किसी भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस के लिए बुक वैल्यू एक अहम Tools होता है। आपको बता दे कि किसी कंपनी का मार्केट वैल्यू, बुक वैल्यू से कम है, तो वह कंपनी अंडरवैल्यूड होती है। यदि आप इसमे इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो यह आपके लिए अच्छा विकल्प है।
मूल्य-बिक्री अनुपात (Price–sales ratio)
पीएस सेल्फ रेशियो (Price–sales ratio) द्वारा यह पता चलता है कि यदि कंपनी 1 रुपए का प्रॉफिट कमा रही है, तो उसमें से कितना रुपया अपने निवेशकों को दे रही है।
समर्थन और प्रतिरोध- (Support and resistance)
सपोर्ट यानी समर्थन मूल्य पर शेयर खरीदारों की संख्या बढ़ जाती है वही प्रतिरोध यानी रेजिस्टेंस मूल्य पर शेयर बेचने वाले की संख्या बढ़ जाती है। वही रेजिस्टेंस शेयर के खरीदारों को रोकता है। तो वही सपोर्ट निवेशकों को निवेश करने के लिए प्रेरित करता है।
फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस में क्या अंतर होता है- (What is the difference between fundamental analysis and technical analysis)
- Fundamental Analysis में कंपनी से जुड़ी जानकारियाँ प्राप्त करके निवेशक निवेश करता है, तो वही टेक्निकल एनालिसिस में निवेश करने का निर्णय बाज़ार से प्राप्त जानकारियों के आधार पर होती है।
- फंडामेंटल एनालिसिस में निवेशक लंबे समय के लिए निवेश करता है। वही टेक्निकल एनालिसिस में निवेशक छोटी अवधि के लिए पूंजी निवेश करता है।
- फंडामेंटल एनालिसिस के माध्यम से निवेश करने के लिए किसी भी कंपनी के वित्त और उसके क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों का उपयोग किया जाता है, लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में निवेश करने के लिए ट्रेड वॉल्यूम, शेयर के इतिहासिक कीमतों के रुझान को देखते हुए निवेश किया जाता है।
- Fundamental Analysis का उपयोग कंपनी के शेयर अंडरवैल्यू है या ओवरवैल्यूड यह पता लगाने के लिए किया जाता है, तो वही टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग व्यापारिक क्षेत्र में निवेश करने के अवसर है कि नहीं यह पता लगाने के लिए किया जाता है।
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अंतिम शब्द
तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल में बताया कि फंडामेंटल एनालिसिस क्या होता है और निवेश करने से पहले फंडामेंटल एनालिसिस क्यों किया जाना चाहिए। इसके बारे में हमने आपको संपूर्ण जानकारी दी है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा।
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