Amir Banne ka Tarika : दोस्तों आज में आपसे Sudhir Dixit की Book Ameeron ke 5 Niyam (अमीरों के ५ नियम) की समरी आपसे शेयर करूँगा जिससे आप आमिर बनने के ५ नियम, Amir Banne ka Taraika, Amir Kaise Bane, Ameer Kaise Bane aur Amir banne ke Niyam सीखेंगे।
जिस तरह गणितज्ञ बनने के लिए हमें गणित के नियम मालूम होना चाहिए, उसी तरह अमीर बनने के लिए हमें अमीर बनने के नियम मालूम होना चाहिए। अमीर बनना उतना मुश्किल नहीं है, जितना की समझा जाता है।
अपकी हालत वाल्ट डिजनी से तो बेहतर होगी, वो तो इतने कंगाल थे कि उनके पास अपने जूतों की मरम्मत के भी पैसे नहीं थे। आपकी हालत धीरूभाई अंबानी से तो बेहतर होगी, जो कभी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरते थे। आपकी हालत एंड्रयू कारनेगी से तो बेहतर होगी, जो कभी मजदूरी करते थे।
ये लोग बाधाओं से संघर्ष करने के बाद अमीरी के शिखर तक पहुँचे थे। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उन्होंने अमीर बनने के (Amir Banne ka Tarika) नियमों का पालन किया।
Amir Banne ka Tarika | Ameeron ke 5 Niyam Hindi Book Summary
Amir Banne ka Tarika | Ameeron ke 5 Niyam Hindi Book Summary
तो बिना किसी देरी की करते है काम की बात
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अमीरों का पहला नियम : नया काम करना
हमारे आस – पास की हर वस्तु, चाहे वह सेफ्टी पिन हो या टेलीफोन, इस दुनिया में सिर्फ इसलिए आई, क्योंकि किसी व्यक्ति ने उसके निर्माण के बारे में सोचा और अपने विचार को साकार करने के लिए मेहनत की। यही वह आदत है, जिसकी वजह से इंसान अपना वजूद खोजता है और लोकप्रियता पाता है। यही वह आदत है, जिसकी वजह से इंसान समाज को सुखी और खुद को अमीर बनाता है।
दोस्तों ‘सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।’ लेकिन अमीरी का अगर कोई शॉर्टकट है, तो वह है नया काम करना, नई चीजों का अविष्कार करना, काम करने के नए तरीके खोजना। जब कोई व्यक्ति समाज की किसी आवश्यकता को पूरा कर देता है, तो समाज खुश होकर उसे पुरस्कार देता है और नया काम करने वाला अमीर बन जाता है।
दोस्तों आप अपने विचारों से भी अमीर बन सकते है आइये इसे एक्साम्पल से समझते है, जब सारी दुनिया कंप्यूटर हार्डवेयर के पीछे पागल थी, तब बिल गेट्स के मन में यह आया की वे अच्छे , आकर्षक और आसान सॉफ्टवेयर बनाकर बेचें। इसकी बदौलत वे दिनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी बन गए।
जेफ़ बेज़ोस के मन में इंटरनेट पर बुक बेचने का विचार आया और वे अरबपतियों की सूची में आ गए। (Amir Banne ka Tarika)
अमीरों का दूसरा नियम: जोखिम लेना
शून्य से शिखर तक पहुँचने का सबसे आसान रास्ता है कोई नया काम करना। और नया काम करना तब तक संभव नहीं होता, जब तक की जोखिम न लिया जाए। नया काम करना अनजान समुद्र में यात्रा करने की तरह है, क्योकि आपको यह पता नहीं होता कि आपको किन मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा और कितनी सफलता मिलेगी।
अगर इंसान जोखिम न ले, तो जरा सोचिए क्या होगा? बच्चा कभी पैरों के बल चलना नहीं सीख पाएगा। कोई भी साइकल नहीं चला पाएगा, क्योंकि साइकल चलाते समय गिरने का जोखिम रहता है। कोई भी इंटरनेट पर सफ्रिंग नहीं करेगा, क्योंकि उससे कंप्यूटर में वाइरस आने का खतरा है।
इस तरह हम देखते है कि अगर इंसान जोखिम न ले, तो तरक्की करने की बात तो छोड़ ही दें, वह सामान्य जिंदगी भी नहीं जी सकता। चाहे हम इस बात को पसंद करें या न करें, हमें हर दिन जाने – अनजाने बहुत से जोखिम लेने ही पड़ते है।
आईये इसे एक एक्साम्पल से समझते है – जेरॉक्स पार्क रिसर्च लैब ने पाओलो आल्टो में 1970 के दशक में आल्टोस नाम का एक पर्सनल कंप्यूटर बना लिया था जो मैकिनटोश जैसा था अगर इसे बाजार में उतार दिया जाता, तो यह एप्पल के मैकिनटोश से आठ साल पहले बाजार में आ जाता,
लेकिन जेरॉक्स ने अपने कंप्यूटर को बाजार में नहीं उतारा, क्योंकि मैनेजमेंट किसी नए प्रॉडक्ट को बाजार में उतारने का जोखिम नहीं लेना चाहता था, जिसकी सफलता संदिग्ध थी। जोखिम न लेने के कारण वे इतिहास नहीं रच पाए और सफलता और समृद्धि की उन ऊँचाइयो को नहीं छू पाए, जिन पर पहले एप्पल और बाद में माइक्रोसॉफ्ट पहुँचा।
दोस्तों मजे की बात तो यह है की जो लोग नया काम करते है, उन्हें दरअसल जोखिम नजर ही नहीं आता है। उन्हें तो सिर्फ भावी सफलता की संभावना दिखती है।
अमीरों का तीसरा नियम: मुश्किलों से न घबराना
अगर सफलता की राह आसान होती, तो दुनिया भर के सभी लोग सफल हो जाते। दिक्कत यह है की सफलता की राह आसान नहीं है। यह तो एक बाधा दौड़ है। सफलता पाने के लिए बहुत सारी मुश्किलें झेलनी पड़ती है, बहुत से त्याग करने पड़ते है, तमाम निराशाओ के बावजूद सकारात्मक मानसिकता रखनी पड़ती है।
यह न भूलें कि सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है। अनगढ़ हीरा तराशने के बाद ही निखरता है और भाप पर दबाव डालने से ही शक्ति उत्पन्न होती है।
दोस्तों किसी छोटी पहाड़ी पर चढ़ने के बजाय माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना ज्यादा मुश्किल होता है। यही बात सफलता के संदर्भ में कही जा सकती है। अगर आप छोटी सफलता पाना चाहते है, तो आपकी राह में कम मुश्किलें आएँगी, लेकिन अगर आप बड़ी सफलता पाना चाहते है, तो आपकी राह में ज्यादा मुश्किलें आएँगी।
इसका मतलब यह है कि अगर आप मुश्किलों से मुँह मोड़ते है, तो आप सफलता से भी मुँह मोड़ रहे है।
हमेशा याद रखें, महत्वपूर्ण यह नहीं है की आपके साथ क्या होता है, महत्वपूर्ण तो यह है कि आप मुश्किलों के सामने हार मान लेते है या फिर आपमें उनसे जूझने का साहस है ? मुश्किलों से जूझेंगे या घुटने टेक देंगे।
इसलिए दोस्तों अगर आप अमीर बनना चाहते है या आप सफलता चाहते है, तो यह मान लें कि आपके सामने मुश्किलें जरूर आएँगी और दूसरों से ज्यादा आएँगी।
अमीरों का चौथा नियम : बड़े सपने देखना
सपने तो सभी देखते है, लेकिन वही लोग सफल होते है, जो सपने देखते है और फिर उन्हें साकार करने के लिए मेहनत करते है।
मान लें, दो व्यक्ति दस लाख रुपए का मालिक बनने का सपना देखते है। दोनों जल्दी तरक्की पाने के लिए अपनी नौकरियों में मेहनत करने लगते है दोनों ही अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त पार्ट – टाइम काम खोज लेते है। दोनों ही बचत करने की योजना बना लेते है।
हर अच्छी योजना की तरह इसमें यार – दोस्त कहते है की दस लाख रुपए बहुत बड़ी रकम होती है और उसे कमाने में पूरी जिंदगी लग जाएगी। और मान भी लो, बुढ़ापे तक दस लाख रुपए बचा भी लिए, तो वे किस काम आएँगे, जब शरीर इतना बूढ़ा हो जाएगा कि उन रुपयों से न खा – पी सकते हैं, न ही घूम – फिर सकते है।
वे यह तर्क देते है कि जिंदगी चार दिन की है और ईश्वर ने हमें दुनिया में मजे करने के लिए भेजा है। बचत करने के लिए मन क्यों मारो ? इसके बजाय तो अच्छा यही है कि उधार लेकर घी पियो, क्योंकि जवानी कुछ समय तक ही रहेगी।
अब दोनों व्यक्तियों पर दबाव पड़ता है की वे दस लाख रुपए का मालिक बनने के सपने के बारे में दोबारा सोच लें। असफल व्यक्ति उस सपने को साकार तो करना चाहता है, लेकिन वह आस – पास के माहौल, और अपनी इच्छाशक्ति की कमी के चलते सपने को छोड़ देता है।
दूसरी तरफ, सफल व्यक्ति आस – पास के नकारात्मक माहौल और परिवार वालों के दबाव को नज़रअंदाज़ कर देता तथा प्रबल इच्छाशक्ति से अपने सपने का पीछा करने में जुटा रहता है। यही वजह है की अंततः उसका सपना साकार हो जाता है।
अमीरों का पाँचवाँ नियम : दूर तक सोचना
जो लोग सिर्फ वर्तमान लाभ की ही चिंता करते है, वे कभी दूरगामी तरक्की नहीं कर पाते। अगर किसान यह सोचे की क्या पता फसल होगी या नहीं, इसलिए बीज क्यों बोएँ, तो भविष्य में उसे फसल कैसे मिलेगी। समूची प्रकृति निवेश या दूरगामी फल के नियम पर चलती है।
अगर आप आज निवेश करेंगे, तो आपको कल लाभ होगा। अगर आप आज एक बीज बोएँगे और उसकी समुचित देखभाल करेंगे, तो प्रकृति बदले में आपको सौ गुना फल देगी। यह कर्म और फल का नियम है और यही कारण और परिणाम का नियम है।
दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग सफलता के क्षेत्र में इस नियम को नज़रअंदाज कर देते है। वे सफलता के लिए इंतज़ार नहीं करना चाहते, वे सफलता के लिए निवेश नहीं करना चाहते। वे आज ही सफलता चाहते है। जाहिर है, इसका परिणाम निराशा के सिवाय कुछ नहीं होता, क्योंकि दूरदर्शिता सफलता का आधारभूत नियम है।
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