Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi

Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi : दोस्तों आज में आपसे जेनसेन सी जेम्स की बुक Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi (बियॉन्ड दी पावर ऑफ़ योर सबकॉन्सियस माइंड) की समरी शेयर करने जा रहा हूँ जिससे आप जानेगे कि आपका अपना मन कैसे काम करता है और आपके भीतर छिपा ख़ज़ाना क्या है। तो बिना किसी देरी की करते है काम की बात।

Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi

Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi

Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi
Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi

आपके भीतर छिपा ख़ज़ाना

एक चुंबक का टुकड़ा अपने वज़न से बीस गुना अधिक भार उठा सकता है मगर यदि इस चुंबक की चुंबकीय शक्ति को नष्ट कर दिया जाए तो वह एक पंख को भी नहीं उठा सकता। इसी तरह दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं।

कुछ लोग चुम्बकीय व्यक्तित्व के होते हैं, वे आत्मविश्वास और सकारात्मकता से भरे हुए होते हैं। वे यह जानते हैं कि वे सफल होने और जीतने के लिए ही पैदा हुए हैं। दूसरे तरह के लोग वे होते हैं जो चुंबकीय शक्ति रहित होते हैं अर्थात् भय, शंका और असुरक्षा की भावनाओं से भरे हुए होते हैं।

अवसर आते हैं और वे कहते हैं, “हो सकता है मैं असफल हो जाऊँ या मैं अपना धन गंवा बैठूँ या लोग मुझपर हँसें।” इस तरह के व्यक्ति जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर पाते क्योंकि यदि वे आगे बढ़ने से डरते हैं तो वे वहीं रहेंगे जहाँ वे आज खड़े हैं। चुंबकीय शक्ति को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाएँ और युगों से चले आ रहे सफलता के परम रहस्य को खोज लें।

जब आप लोगों से लगातार कहते हैं, “मैं उतना ख़र्च नहीं कर सकता” तो आपका अवचेतन मन इसे ऐसे ही ग्रहण करता है और इस बात का ध्यान रखता है कि आप कभी भी इस स्थिति में न आ पाओ कि मनचाही वस्तु ख़रीदने पर होने वाले ख़र्च को बर्दाश्त कर सको।

जब तक आप इस तरह की बातें कहते हैं कि मैं कार नहीं ख़रीद सकता, यूरोप घूमने नहीं जा सकता, नया घर नहीं ख़रीद सकता, आदि तो आपका अवचेतन मन आपके आदेश का पालन करेगा और आप जीवनभर इन वस्तुओं की कमी को महसूस करते रहेंगे।

आपका मन कैसे काम करता है

मन के दो स्तर होते हैं–एक चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन। आप अपने चेतन मन की सहायता से सोचते हैं और जो कुछ आप सोचते हैं वह आपके अवचेतन मन में संचित होता जाता है। अतः जो कुछ आप सोचते हैं यह उसी के मुताबिक काम करता है। यदि आप अच्छा सोचेंगे तो यह अच्छा ही करेगा और यदि आप बुरा सोचेंगे तो बदले में बुरा ही होगा। इस तरह आपका मन काम करता है।

जब आप सही दिशा में सोचना शुरू करते हैं तो मानसिक शान्ति और स्वास्थ्य लाभ मिलना तय है। आप जो भी सोचते हैं, जिसे पाने की इच्छा करते हैं, आपका अवचेतन मन उसे स्वीकार करता है और उसे वास्तविकता में लाकर आपका अनुभव बनाता है। आपको केवल इतना करना है कि अपने अवचेतन मन को उस विचार को स्वीकार करने के लिए बाध्य करें, फिर अवचेतन का सिद्धांत स्वयं ही उसे आगे ले जाएगा और आपको स्वास्थ्य, शान्ति, पद आदि का लाभ देगा।

याद रखें आपका अवचेतन मन इसकी जाँच नहीं करता कि आपके विचार सही हैं या ग़लत, सच्चे हैं या झूठे। वह केवल आपके विचारों और सुझावों के अनुसार काम करता है। उदाहरण के लिए यदि आप विश्वास करते हैं कि कोई बात सच है, भले ही वास्तव में वह बात झूठ हो, आपका अवचेतन मन उसे सच ही मानेगा और उसके अनुसार काम करके परिणाम देने का प्रयत्न करेगा। वह आपके द्वारा चेतन रूप में बनाई गई धारणा का पालन करेगा।

अपने आप से संवाद यानी की स्व संवाद की शक्ति

हमारे व्यवहार और प्रभाव को सबसे अधिक यदि कोई प्रभावित करता है तो वह है हमारा स्वयं से किया गया संवाद अर्थात् स्व संवाद। हमारे स्व संवाद की शक्ति हमारे प्रयासों के परिणामों को तय करती है चाहे वे नकारात्मक हों या सकारात्मक।

हम स्वयं के साथ एक मिनिट में 150-300 शब्द बोलते हैं या दिन भर में 50, 000 विचार हमारे मन में आते हैं। हम या तो दिन भर अपने मन में नकारात्मक विचार ढोते जा सकते हैं।

जिससे तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन स्रावित होते हैं या मन में सकारात्मक विचारों को स्थान देकर डोपेमाइन, सेरेटोनिन और बिताएंडोर्फ़िन जैसे प्रसन्नता का अनुभव कराने वाले हार्मोन्स के स्राव में मदद दे सकते हैं।

हमारा स्व संवाद हमारी अवधारणाएँ बनाता है और ये अवधारणाएँ हमारे प्रदर्शन के स्तर को तय करती हैं।

हमारा स्व-संवाद किस तरह हमारी अवधारणाओं को बनाता है

आपका अवचेतन मन कभी भी सोता नहीं है, कभी भी आराम नहीं करता। यह हमेशा अपने काम पर हाज़िर रहता है। आप स्वयं अवचेतन मन की इस चमत्कारिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

हर रात सोने से पहले अपने अवचेतन मन को कहें कि आप किसी ख़ास वस्तु को प्राप्त करना चाहते हैं। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ऐसा करते ही आपके अन्दर की सारी ताक़त पुनर्जीवित हो जाती है और उस लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाती है।

इस तरह से अवचेतन मन के पास वह शक्ति और ज्ञान है जो आपको उस शक्ति के क़रीब ले जा सकता है जो दुनिया को चलाती है।

इसलिए कहा जा रहा है कि आप हमेशा अपने जीवन की किताब लिख रहे हैं क्योंकि आपके विचार आपके अनुभव बनते जा रहे हैं। अमेरिका के प्रसिद्ध निबंधकार राल्फ़ वॉल्डो इमर्शन कहते हैं, “मनुष्य अपने बारे में सारा दिन जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।”

मानसिक चित्रण की छिपी हुई शक्ति

प्रतिभाषाली लोगों के मन में अपने लक्ष्य को लेकर बहुत स्पष्ट तस्वीर होती है कि वे कहाँ जाना चाहते हैं और वे कहाँ जा रहे हैं। यह चित्र बहुत ही स्पष्ट होता है। यदि वे घर बनाना चाहते हैं तो उनके मन में घर की तस्वीर पूरी तरह से बनी होती है कि घर कैसा दिखेगा, कितने कमरे होंगे, पड़ोस कैसा होगा, घर की क़ीमत कितनी होगी आदि।

जो लोग अक्सर अपने लक्ष्यों से पिछड़ जाते हैं उनके पीछे रह जाने का कारण लक्ष्य का स्पष्ट चित्र उनके मन में न होना ही होता है। यदि आपकी अभिपुष्टि है “मैं अच्छा घर चाहता हूँ” मगर उस अभिपुष्टि को आपके मानसिक चित्र का सहयोग नहीं मिलता (घर कैसा होगा, कहाँ होगा आदि) तो उसपर लगने वाली मानसिक ऊर्जा कम हो जाएगी और इस लक्ष्य को पूर्ण होने में बाधा उत्पन्न करेगी।

आईये इसे एक एग्जाम्पल से समझते है

जब आप लेंस को सूरज की रोशनी में किसी कागज़ पर रखते है तो वह कुछ ही सेकेंड में कागज़ जलने लगता है। वही लैंस जब आप यूँ ही इधर उधर घूमते है तो कुछ नहीं होता इस बारे में ध्यान से सोचें।

सूरज जो ऊर्जा का स्रोत है, वह तो स्थिर है। लैंस को जब सही तरह से केन्द्रित किया जाता है तो वह सूरज की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है। जब हमारे सामने हमारे लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट होते हैं और हम हर हालत में उन्हें पाने के विचार में रहते हैं तो इस लक्ष्य का एक स्पष्ट चित्र हमारे दिमाग़ में होता है और इस चित्र के साथ हमारी भावनाएँ भी जुड़ती जाती हैं। हम इस चित्र की स्पष्टता और तीव्रता को बनाए रखते हुए अपने अवचेतन मन को इसे वास्तविकता में बदलने के लिए निर्देश देते रहते हैं।

निजी शक्ति को अर्जित करना

आत्मसम्मान मन और आत्मा के लिए प्रतिरोधी तंत्र के समान काम करता है। आत्मसम्मान हमारा वह अनुभव है, जिसके चलते हम स्वयं को दुनिया की चुनौतियों से मुक़ाबला करने के क़ाबिल पाते हैं, स्वयं को योग्य समझते हैं और ख़ुशी का अनुभव करते हैं, साथ ही स्वयं को इसका अधिकारी भी मानते हैं।

जिन लोगों में आत्मसम्मान की भावना अधिक होती है, वे इस बात को समझते हैं कि वे अपने जीवन का काम कर रहे हैं। वास्तविक आत्मसम्मान वह होता है जब लोग उसे तब भी धारण करते हैं जब उनके जीवन में कुछ सही नहीं हो रहा होता है।

यदि आपका प्रतिरोधी तंत्र मज़बूत है तो क्या इसका अर्थ यह है कि आप कभी भी बीमार नहीं पड़ेंगे? नहीं, बिलकुल नहीं। इसका अर्थ यह नहीं है। मगर आपके बीमार पड़ने की संभवानाएँ अन्य व्यक्तियों की तुलना में कम हो जाएँगी और बीमारी की चपेट से बाहर आना आपके लिए आसान होगा।

इसी तरह से आत्मविश्वास के बढ़े-चढ़े होने का यह अर्थ हरगिज़ नहीं है कि आप कभी दुखी या निराश नहीं होंगे। इसका अर्थ यह है कि आप में औरों के मुक़ाबले मानसिक आघातों को सहने की शक्ति अधिक है और यही आत्मविश्वास से भरपूर रहने का लाभ है।

यदि आपके सामने कोई लक्ष्य है तो आप दृढ़निश्चय के साथ उस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटे रहेंगे। ऐसा नहीं कि आप असफल नहीं होंगे, मगर सतत प्रयास में जुटे रहेंगे और आपकी सफलता का प्रतिशत असफलता से अधिक रहेगा।

अपने इच्छित परिणाम किस तरह प्राप्त करें

एक मकान मालिक ने एक बार अपने घर की भट्टी को सुधरवाया और मिस्री द्वारा केवल एक पेंच लगाने के काम के लिए दो सौ डॉलर माँगने पर उसने विरोध जताया तो मिस्री ने कहा, “मैंने पाँच सेंट इस पेंच को लगाने के लिए हैं और बचे हुए एक सौ निन्यानवे डॉलर और पिंच्यानवे सेंट यह पता लगाने के लिए हैं कि भट्टी में कहाँ दिक़्क़त है।”

इसी तरह से आपका अवचेतन मन भी कुशल मिस्री है। यह बहुत ही बुद्धिमान होता है जो आपके शरीर के हर हिस्से का उपचार करने की जानकारी रखता है, आपकी हर समस्या को सुलझाने की शक्ति रखता है। आपका स्वास्थ्य गड़बड़ाता है तो आपका अवचेतन मन उसे ठीक कर सकता है मगर विश्राम इसकी कुंजी है। यह आसान है। समस्या के विस्तार में मत जाइए, बस उसके अंतिम परिणाम पर ध्यान दें।

अपनी समस्याओं के ख़ुशनुमा और संतोषप्रद समाधान की अपेक्षा करें, चाहे वह समस्या स्वास्थ्य की हो, धन की हो, रिश्तों की हो या नौकरी की हो। उस क्षण को याद रखें जब आप किसी बड़ी बीमारी से बाहर निकले थे, उस प्रसन्नता का अनुभव करें।

आपका अवचेतन मन और खुशी

आईये इसे एक एग्जाम्पल से समझते है: ऑथर कहते है कि कई साल पहले मैंने आयरलैंड के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक किसान के घर में एक सप्ताह बिताया। वह हमेशा गुनगुनाता, सीटी बजाता और हँसता-मुस्कुराता दिखाई देता था। मैंने उससे उसकी ख़ुशी का राज़ जानना चाहा तो वह बोला, “ख़ुश रहना मेरी आदत है।

हर सुबह उठने के बाद और हर रात सोने से पहले मैं अपने परिवार, फ़सल और जानवरों के फलने-फूलने की कामना करता हूँ और ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उसने मुझे बढ़िया फ़सल की सौगात दी।” इस किसान ने पिछले चालीस सालों से ऐसा करने की आदत बना ली थी।

Beyond the Power of your Subconscious Mind Book Summary in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं जब विचार लगातार दोहराए जाते हैं तो वे आपके अवचेतन मन का हिस्सा बन जाते हैं और आपकी आदत में आ जाते हैं। उसने इस बात का पता लगा लिया था कि ख़ुश रहना एक आदत है।

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Closing Remarks:

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