How does stock market work in Hindi – शेयर बाज़ार कैसे काम करता है ? सम्पूर्ण जानकारी

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How does stock market work in Hindi – शेयर बाज़ार कैसे काम करता है

दोस्तों आज में इस लेख शेयर बाज़ार (Stock Market) कैसे काम करता है सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में के माध्यम से आप जानेंगे की शेयर क्या होता है, शेयर बाज़ार क्या होता है, शेयर बाज़ार का इतिहास क्या है, भारतीय शेयर मार्केट कैसे बना, स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है, आईपीओ क्या होता है, शेयर बाज़ार में काम कैसे होता है, स्टॉक की क़ीमत कौन तय करता है, शेयरों के मूल्यांकन के पीछे क्या तर्क है, सेंसेक्स और निफ्टी क्या होता है और शेयर बाज़ार से कैसे पैसा कमाया जा सकता है? तो चलिए एक-एक करके से विस्तार से जानते है।

How does stock market work in Hindi – शेयर बाज़ार कैसे काम करता है ?

शेयर बाज़ार कैसे काम करता है सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में

शेयर क्या होता है – What is Share

Share का मतलब होता है हिस्सा या अंश परन्तु Stock Market की भाषा में शेयर का मतलब है कि जब आप किसी भी कंपनी का शेयर खरीदते है तो आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते है।

शेयर बाज़ार क्या होता है – What is Share Market

शेयर बाज़ार (Share Market) में कंपनी अपने शेयर को स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange, National Stock Exchange) में रजिस्टर करवाती है फिर निवेशक दलाल (ब्रोकर) की मदद से इन कंपनी के शेयर खरीदते तथा बेचते है।

शेयर बाज़ार का इतिहास क्या है – History of Share Market

सोलहवीं सदी में डच ईस्ट इंडिया कंपनी का विदेशी व्यापार में दबदबा था। कंपनी दुनियाभर में जहाजों के जरिए व्यापार कर रही थी। लेकिन जहाजों का संचालन एक महंगा सौदा था। इसलिए कंपनी ने हर बंदरगाह के आसपास रहने वाले व्यापारियों की मदद लेना तय किया।

How does stock market work in Hindi – शेयर बाज़ार कैसे काम करता है ?

शेयर बाज़ार का इतिहास क्या है
शेयर बाज़ार का इतिहास क्या है

कंपनी ने व्यापारियों से संपर्क कर कहा कि अगर वे जहाजों के संचालन में पैसा लगाते हैं तो जहाजों से होने वाले मुनाफे में भी उन्हें हिस्सा मिलेगा। हिस्से को अंग्रेज़ी में शेयर कहा जाता है। व्यापारियों को ये योजना पसंद आई और उन्होंने जहाजों के संचालन में पैसा निवेश किया। इस व्यापार और हिस्सेदारी को दुनिया का पहला शेयर मार्केट कहा जाता है।

भारतीय शेयर मार्केट कैसे बना ?

भारतीय शेयर बाज़ार कहते ही तीन तस्वीरें दिमाग़ में बनने लगती हैं। एक ऊंची बिल्डिंग जिस पर एक डिस्पिले लगी है। इस डिस्पिले पर लाल और हरे अक्षरों में कुछ शब्द इधर से उधर लगातार तेजी से चलते रहते हैं। दूसरी एक सांड की मूर्ति। तीसरी तस्वीर कान पर फ़ोन लगाए और कंप्यूटर में लगातार कुछ टाइप कर रहे लोगों की। ये तीनों तस्वीर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) से जुड़ी हैं।

मुंबई के कोलाबा की दलाल स्ट्रीट पर मौजूद बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाज़ार है। 1855 में करीब 20 व्यापारी टाउन हॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर व्यापारों में हिस्सेदारी बेचने और खरीदने का काम करते थे। ये एक अनाधिकारिक शेयर बाज़ार था। 1875 में इन व्यापारियों ने एक संगठन बनाया। द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन नाम की संस्था रजिस्टर हुई और शेयर मार्केट का काम करने लगी।

1928 में यह आज की बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ और 1957 में इसे सरकारी मान्यता मिल गई। शेयर बाज़ार के पूरे काम की निगरानी स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) करता है।

स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है ? – What is Stock Exchange ?

स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) को शेयर की मंडी कह सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज वह जगह है जहाँ निवेशक विभिन्न वित्तीय साधनों में व्यापार कर सकते हैं, जैसे शेयर, बांड और डेरिवेटिव। स्टॉक एक्सचेंज एक मध्यस्थ है जो शेयरों की खरीद व बिक्री की अनुमति देता है।

शेयर बाज़ार कैसे काम करता है ?

स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है
स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है ?

भारत में कई सारे स्टॉक एक्सचेंज हैं। लेकिन बीएसई और एनएसई दो सबसे बड़े और महत्त्वपूर्ण स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनके अलावा कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज, इंडिया इंटरनेशनल स्टॉक एक्सचेंज समेत कई स्टॉक एक्सचेंज हैं। इसके अलावा, एक प्राथमिक बाज़ार है जहाँ कंपनियाँ पहली बार अपने शेयरों की सूची देती हैं। दुसरा बाज़ार निवेशकों को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के दौरान जारी किए गए शेयरों को खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं।

आईपीओ क्या होता है ?

शेयर बाज़ार की बात आते ही आईपीओ शब्द सुनने को मिल जाता है। आईपीओ की फुल फॉर्म है इनिशिअल पब्लिक ऑफरिंग। जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जारी करने का प्रस्ताव लाती है उसे आईपीओ कहते हैं।

आईपीओ के प्रस्ताव को प्राइमरी स्टेज मार्केट और शेयर आने पर उनकी खरीद बिक्री को सेकेंडरी स्टेज मार्केट कहा जाता है। जब सेकेंडरी स्टेज मार्केट शुरू होता है तो निवेशकों की कोशिश सस्ते में शेयर खरीदकर उसे महंगे दामों पर बेचने की होती है। एक निश्चित समय में शेयर की बिक्री करने पर सरकार को भी टैक्स देना होता है।

शेयर बाज़ार में काम कैसे होता है?

मान लीजिए आपके के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है। लेकिन उसे ज़मीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है। आप किसी निवेशक के पास गए लेकिन बात नहीं बनी और ज़्यादा पैसे की ज़रूरत है।

ऐसे में, एक कंपनी बनाई जाएगी। वह कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाज़ार में उतरने की बात करती है। कागजी कार्यवाही पूरा करती है और फिर शेयर बाज़ार का खेल शुरू होता है। शेयर बाज़ार में आने के लिए नई कंपनी होना ज़रूरी नहीं है। पुरानी कंपनियाँ भी शेयर बाज़ार में आ सकती हैं।

शेयर का मतलब हिस्सा है। इसका मतलब जो कंपनियाँ शेयर बाज़ार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है। स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है।

जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वह उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है। ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है। शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं। कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे ज़रूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं।

स्टॉक की क़ीमत कौन तय करता है ?

स्टॉक की क़ीमत शुरुवाती तौर पर तो कंपनी के प्रमोटर तय करते है। फेस वैल्यू के जरिये यह क़ीमत तय की जाती है। परन्तु जब कोई कम्पनी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर हो जाती हैं। तो उसके बाद उस कंपनी की क़ीमत दो तरीको से तय होती है।

पहला तरीक़ा हैं सप्लाई तथा डिमांड शेयर मार्किट में और दूसरा तरीक़ा है कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन इन दोनों के कारन कंपनी का शेयर मूल्य घटता बढ़ता रहता है।

शेयरों के मूल्यांकन के पीछे क्या तर्क है ?

एक बार जब कंपनी अपनी हिस्सेदारी बेंच देती हैं उसके बाद भी शेयर का मूल्य घटता बढ़ता है समय के साथ। शेयर का मूल्य बढ़ता है या घटता हैं दो कारण से। 1. जब कंपनी को लाभ या हानि होता है (Profit and Loss) 2. आपूर्ति व मांग के कारण (Supply and Demand)

नहीं समझे तो कोई बात नहीं आईये इसे एक उदाहरण की मदद से समझने का कोशिश करते है। मान लीजिये की आपके शहर में किसी ने सबको बताया कि XYZ कॉलोनी में फ़्लैट (घर) खरीदेंगे तो आपको बहुत लाभ होगा और फ़्लैट कि संख्या केवल एक सौ है और उसकी मांग बहुत है तो फ़्लैट का मालिक ज़मीन के क़ीमत बढ़ाता जायेगा।

इसी प्रकार जब भी कंपनी को लाभ होता हैं। तो जिस-जिस व्यक्ति के पास उस कंपनी के शेयर होते हैं। वह लोग शेयर के दाम को बढ़ा देते हैं। क्योंकि शेयर की संख्या निश्चित होती हैं। तो अगर ज़्यादा मांग होंगी तो स्वाभाविक है कि उसका दाम बढ़ेगा और अगर मांग कम होंगी तो शेयर का दाम कम होगा।

सेंसेक्स और निफ्टी क्या होता है ?

सेंसेक्स:

सेंसेक्स BSE का बेंचमार्क इंडेक्स है और इसमें 30 कंपनियाँ शामिल है। बीएससी में 5 हज़ार से भी ज़्यादा कंपनियाँ लिस्टिड है। कोई भी इतनी सारी कंपनिओं को एक साथ मॉनिटर नहीं कर सकता है। इसलिए ही इन कंपनियों का सही सूचकांक प्राप्त करने के उद्देश्य से 1 जनवरी 1986 में सेंसेक्स की शुरूआत हुई थी। सेंसेक्स टर्म को पहली बार स्टॉक मार्केट ऐनालिस्ट दीपक मोहोनी ने यूज़ किया था।

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स यानी सूचकांक हैं। सेंसेक्स दो शब्दों सेंसटिव और इंडेक्स से मिलकर बना है। हिन्दी में इसे संवेदी सूचकांक कहते हैं। बीएसई में 30 बड़ी कंपनियाँ लिस्टेड हैं। इन 30 कंपनियों की सेहत से ही सेंसेक्स तय होता है। बीएसई में लिस्टेड 30 कंपनियाँ स्थाई नहीं होतीं। समय के अनुसार इस लिस्ट में कंपनियाँ आती-जाती रहती हैं।

इन 30 कंपनियों को चुनने के लिए एक कमैटी होती है। इन 30 कंपनियों में से अगर कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो उसे इस इंडेक्स से निकाल दिया जाता है। उसकी जगह पर जो कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है उसे इसमें शामिल कर लिया जाता है। किसी कंपनी को निकाल कर अन्य कंपनी को शामिल करने का फ़ैसला इंडैक्स कमैटी द्वारा लिया जाता है।

जब सेंसेक्स का निशान हरे रंग में होता है तो बाज़ार अच्छा परफॉर्म कर रहा होता है और जब सेंसेक्स लाल निशान में होता है तो शेयर बाज़ार खराब हालत में होता है।

निफ्टी:

निफ्टी नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना शब्द है। निफ्टी NSE का बेंचमार्क इंडेक्स है और इसमें 22 अलग-अलग सेक्टरों की 50 कंपनियाँ लिस्टेड होती हैं। इसलिए ही इसे निफ्टी-50 के नाम से भी जाना जाता है। निफ्टी में भी टॉप की ऐसी 50 कंपनियाँ शामिल होती है जिनका बाज़ार में प्रदर्शन अच्छा होता है। सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा भी कई सारे इंडेक्स होते हैं लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यही दो

शेयर बाज़ार से कैसे पैसा कमाया जा सकता है ?

हर निवेशक शेयर बाज़ार से मोटी कमाई करने की चाहत रखता है चाहे उसका अनुभव कम या ज़्यादा हो। ऐसी चाहत रखना आसान है, लेकिन अपने पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छी कमाई करने के लिए अच्छी रणनीति ज़रूरी है। शेयर बाज़ार में निवेश के लिए विवेक, समझ और रणनीति के साथ-साथ धीरज बहुत ज़रूरी है।

अच्छी कमाई का मूलमंत्र इन बातों में छिपा है। ये बातें न सिर्फ़ शानदार रिटर्न देने की काबिलियत रखती हैं, बल्कि आपके पैसे को भी डूबने से बचाती हैं। निवेश करना सरल है, मगर इसे खेल नहीं समझना चाहिए। इसके लिए बाज़ार की समझ तो ज़रूरी है ही। बाज़ार में सफल होने का कोई फॉर्मूला या शॉर्ट-कट नहीं है। मगर कुछ बातों पर अमल कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं ये बातें।

अपना होमवर्क पूरा करें

यदि आप किसी कंपनी के बारे में अध्ययन नहीं करते हैं, तो अच्छे शेयर का चयन करना जुआ ही है। आप पत्ते देखे बिना ही अपनी चाल चल रहे हैं। इसलिए निवेश सिर्फ़ वहीं करें, जिसके बारे में आपको पता हो। दोस्तों बाज़ार से कमाई करने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है। इसलिए धीरज के साथ गहन मंथन करना अनिवार्य है और हमेशा अच्छे बिजनेस में निवेश करना चाहिए।

बिजनेस में करें निवेश

निवेशकों को शेयर की क़ीमत में नहीं, बल्कि कंपनी के बिजनेस में निवेश करना चाहिए। किसी भी बिजनेस को समझना कंपनी की समझ को बेहतर करता है। इससे निवेश निर्णय लेना सरल हो जाता है।

उदाहरण के लिए वॉरेन बफे के निवेश का प्राथमिक दर्शन यही है कि वे उन्हीं कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनके बिजनेस के बारे में समझ रखते हैं। उन्होंने 1988 में कोका कोला में $1 बिलियन का निवेश किया था। कंपनी ने 30 सालों तक 10 फीसदी की दर से रिटर्न दिया।

भेड़चाल से रहें

किसी परिचित, परिजन या दोस्त की बातों में आकर बेकार कंपनियों में निवेश करना पैसे में आग लगाने जैसा है। लोग निवेश कर रहे हैं, इसलिए आप भी निवेश करेंगे-इस सोच से बचना चाहिए। लोगों ने दूसरों की देखादेखी कई कंपनियों में निवेश किया और उन्हें अपना पैसा से हाथ धोना पड़ा।

अनुशासन का रखें ध्यान

निवेश में संयम और अनुशासन की ख़ास जगह है। शेयर बाज़ार हमेशा ही अस्थिर होते हैं। निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता का पता होना चाहिए। गैर ज़रूरी जोखिम से बचना चाहिए।

विस्तृत पोर्टफोलियो रखें

अपने पोर्टफोलियो में हर प्रकार के एसेट क्लास को जगह दें। इस तरह कम जोखिम में बेहतर कमाई की जा सकती है। विविधता की परिभाषा हर निवेशक के लिए अलग हो सकती है। हालांकि, इससे बाज़ार की स्थिति से निपटना सरल हो जाता है। निवेश एसेट क्लास की प्राथमिकता को सावधानी से चुनें।

अतिरिक्त फंड का करें निवेश

निवेशकों को सिर्फ अतिरिक्त फंड का ही निवेश करना चाहिए। वे उस पैसे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उन्हें छोटी अवघि में नहीं चाहिए। अस्थिरता के कारण छोटी अवधि में वैल्यू घट सकती है। बाजार चक्र में चलता है। लगातार रखें नजर सिर्फ निवेश कर देना ही पर्याप्त नहीं। नियामक और बाजार की खबरों पर भी नजर रखना चाहिए। इसका असर शेयरों की कीमतों पर पड़ता है।

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