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शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें? – How to enter in Share Market
भूमिका
यदि आप शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करना है तो सबसे पहले आपको अपना Demat Account (डी-मैट) अकाउंट खुलवाना होगा, क्योंकि अब बिना Demat Account (डी-मैट) के आप शेयरों का लेन-देन नहीं कर सकते हैं।
पहले फिजिकल Share Stock Certificate के रूप में निवेशकों के पास होते थे; लेकिन अब न सिर्फ शेयरों का लेन-देन Demat शेयर के रूप में हो गया है, बल्कि जिन Investor के पास पुराने शेयर Certificate के रूप में पड़े हैं, उन्हें भी सेबी ने निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द इन शेयरों को डीमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में बदल लें।
वे लोग, जो शेयर बाजार (Share Market) में प्रवेश करना चाहते हैं, और वे जिनके पास पुराने Share Certificate फिजीकल फॉर्म में पड़े हैं, दोनों ही तरह के Investor के लिए सबसे पहले Demat Account (डी-मैट) अकाउंट खुलवाना अति अवाश्यक कार्य है।
कैसे खोलें डी-मैट एकाउंट
सबसे बेहतर तो यही होता है कि आप उसी डी.पी. का प्रयोग करें, जिसका प्रयोग आपका ब्रोकर करता है। इससे आपके शेयर सौदे सरल तथा कम समय में हो जाएँगे। डी-मैट एकाउंट खोलने से पहले आप डी.पी. का चुनाव करते वक्त तीन ‘सी’ का ध्यान रखें। ये तीन ‘सी’ हैं—कन्वीनिएंस, कंफर्ट तथा कॉस्ट।
आप जाँच लें कि कौन से डी.पी. की सेवाएँ आपको कम खर्च, आपकी आसान पहुँच तथा आसानी से मिल सकती हैं। अधिकांश बैंक डी.पी. हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने अपना डी.पी. ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ को चुन लिया है तो वहाँ आपको डी-मैट एकाउंट खोलने के लिए एक फॉर्म भरना होगा।
यदि आपका बैंक ब्रोकर भी है तो आप अपना सेविंग बैंक अकांउट भी वहाँ खोलकर अपना शेयर कारोबार एक ही जगह पूरा कर सकते हैं। मतलब डी-मैट एकाउंट, ब्रोकिंग एकाउंट और बैंक एकाउंट एक ही जगह। शेयर ब्रोकर को एक ग्राहक के रूप में आपको तमाम जानकारियाँ देनी होती हैं। उसके बाद ब्रोकर आपको एक ‘यूनिक आइडेंटिफिकेशन’ नंबर देता है। फॉर्म के साथ आपको निम्नलिखित सबूत देने होंगे
शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें? – How to enter in Share Market
शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें? – How to enter in Share Market
- पहचान का सबूत: आपके हस्ताक्षरयुक्त फोटोग्राफ और पैन कार्ड की फोटोकॉपी।
- स्थायी पते का सबूत: इसके लिए आप ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, बैंक की पासबुक या राशनकार्ड की फोटोकॉपी, बिजली या टेलीफोन का बिल, जिस पर आपका पता लिखा हो। इनमें से आपके पास जो भी सबूत उपलब्ध हों, उन्हें फॉर्म के साथ संलग्न करना होता है।
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ: आप एक ही डी.पी. या उससे एक से अधिक डी-मैट एकाउंट भी खुलवा सकते हैं, लेकिन जरूरी है कि अपनी इंस्ट्रक्शन स्लिप को सँभालकर रखें।
शेयरों का डीमैटीरियलाइजेशन कैसे होता है?
जिनके पास अभी तक पुराने शेयर फिजिकल फॉर्म में पड़े हैं, उनका डीमैटीरियलाइजेशन करवाना बहुत जरूरी है। वरना आप उन शेयरों की कुछ समय बाद खरीद-बिक्री नहीं कर पाएँगे। डी.पी. के पास अपने शेयर डी-मैट कराने की प्रक्रिया भी काफी आसान है।
डी-मैट एकाउंट खोलने के बाद बस अपने शेयर सर्टिफिकेट रद्द करके डी.पी. को सौंपने हैं। साथ ही, आपको एक ‘डी-मैट रिक्वेस्ट फॉर्म’ भरकर देना है, जिसमें आपके शेयरों की फोलियो संख्या, सर्टिफिकेट नंबर व अन्य विवरण दर्ज किया जाता है।
इसके बाद इन शेयरों को डी-मैट रूप में बदलने के लिए डी.पी. आपका यह रिक्वेस्ट फॉर्म उस कंपनी या उसके रजिस्ट्रार व हस्तांतरण एजेंट को भेज देता है। शेयरों के डी-मैट रूप में परिवर्तित हो जाने पर ये डी.पी. के पास खाते में जमा हो जाते हैं। आमतौर पर इस पूरी प्रणाली में लगभग एक महीना लगता है।
डी-मैट एकाउंट खोलने और उसके संचालन से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने निकट के डी.पी. से संपर्क करें।
डीमैटीरियलाइजेशन के लाभ
- सिक्यूरिटीज का तुरंत हस्तांतरण (ट्रांसफर) हो जाना। सिक्यूरिटीज के हस्तांतरण के दौरान किसी तरह की स्टैंप ड्यूटी नहीं चुकानी पड़ती और न ही लंबा चौड़ा Transfer Form भरना पड़ता है। इसके अलावा इस बात का भी कोई खतरा नहीं रहता कि Share नकली, झूठे या चुराए हुए हैं।
- नामांकन की सुविधा उपलब्ध होना। अगर खाते में एक से अधिक लोगों के नाम हों, तब भी आप नामांकन फॉर्म भर सकते हैं, ताकि एक खाताधारक की मृत्यु होने पर खाते के शेयर जीवित खाताधारक के अलग खाते में चले जाएँ। नामांकित व्यक्ति को शेयर तभी मिलते हैं, जब खाते के सभी धारकों की मृत्यु हो जाए।
- डी-मैट प्रणाली की मार्फत छोटे निवेशक ऑड लॉट या कम संख्या के शेयर आसानी से बाजार भाव पर बेच सकते हैं और महँगे शेयर भी कम संख्या में खरीद सकते हैं, जबकि पहले महँगे Share का Marketable Lot खरीदने के लिए बड़ी राशि की जरुरत होती थी।
- यदि आपका स्थानीय पता बदल गया है तो आपको उन सभी कंपनियों को सूचित करने की जरूरत नहीं है, जिनमें आपने निवेश किया है, बल्कि आपको केवल डी.पी. को जानकारी देना होगा और उसके बाद आपका डी.पी. यह Information उन सभी कंपनियों तक पहुँचा देगा, जिसमें आपने निवेश किया है। – शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें?
- डी-मैट सुविधा के चलते अब आपको कंपनियों द्वारा मिलनेवाले बोनस शेयर व राइट शेयर बिना विलंब के आपके खाते में जमा हो जाते हैं; जबकि पहले इन शेयरों के सर्टिफिकेट निवेशकों को कई सप्ताह बाद मिलते थे। इस दौरान कई बार सर्टिफिकेट खो जाते थे या गलत पते पर पहुँच जाते थे। – शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें?
शेयर मार्केट में प्रवेश कैसे करें? – How to enter in Share Market
रिसर्च जरूरी
अब यदि आप शेयर बाजार से पैसे को दो गुना तीन गुना बनाने की कहानियाँ सुनकर आप भी शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो ठहर जाइए, क्योंकि इस तरह आसपास से जुटाई गई, पढ़ी गई सूचनाओं व दोस्तों के कहे अनुसार यदि आपने तुरंत अपना Demat Account खुलवाकर Share खरीद लिये या IPO में पैसे लगा बैठे तो हो सकता है कि आपको अपने लगाए हुए पैसे का वन फोर्थ ही वापस मिले और आप हताशा में अपने दैनिक कामकाज से भी हाथ धो बैठें।
हर वह निवेशक (इनवेस्टर), जो शेयर बाजार में निवेश कर भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भागीदार होना चाहता है, वह पूरी तरह जागरूक हो। उसे न सिर्फ शेयर मार्केट से पैसे को डबल कैसे किया जाता है, इसका तकनीकी व आधारभूत ज्ञान हो, अपितु वह शेयर बाजार (Stock Market) के रिस्क से भी पूरी तरह अवगत हो; क्योंकि आज का इंडियन मार्किट अब सट्टा बाजार नहीं है।
यहाँ सभी चीजें वैज्ञानिक तरीकों से पूरी होती हैं, भले ही वह प्राथमिक बाजार हो या द्वितीयक बाजार। कंपनी के प्राइमरी मार्केट के द्वारा पैसे उगाहने से लेकर सूचीबद्ध होने के बाद शेयरों की सेकंडरी मार्केट में खरीद-बिक्री की पूरी प्रक्रिया स्टॉक एक्सचेंज के नियम व कानून के तहत संचालित होती है।
सरकारी एजेंसी ‘सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड’ (सेबी) की निगरानी में सभी एक्सचेंज कार्य करते हैं। इसलिए यदि आप शेयर बाजार की कार्य-प्रणाली को पूरी तरह समझकर अपना पैसा लगाएँगे तो यह तय है कि आप पैसा गँवाएँगे तो नहीं। यदि इस ज्ञान के साथ आप अपनी सूझ-बूझ का इस्तेमाल करेंगे तो Share Market से कमाना भी मुश्किल नहीं होगा।
शेयर बाजार (Share Market) में एंट्री लेने से पहले थोड़ा रिसर्च कर लेना जरूरी है। यह रिसर्च आपकी निजी स्थिति (रिस्क प्रोफाइल, आय आदि) और आप कैसे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, इस पर निर्भर होनी चाहिए। चूँकि अलग-अलग कंपनियों की अपनी अलग-अलग खूबियाँ व खामियाँ होती हैं, इसलिए रिसर्च जरूरी है।
इसके लिए कंपनियों के तिमाही व वार्षिक नतीजे, कैश फ्लो (नकदी प्रवाह), बाजार पूँजी (मार्केट कैप), पिछले साल के अंदर कंपनी की माली हालत, बाजार में उसका प्रदर्शन आदि बातों से जुड़ी जानकारी जुटाकर उनका अध्ययन कर लेना सही होगा।
प्राथमिक बाजार (प्राइमरी मार्केट) क्या है?
जब कोई Company अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नए शेयर या डिबेंचर जारी करके सीधे इन्वेस्टरों से धन की उगाही करती है तो ऐसा वह Company Primary Market (प्राथमिक बाजार) के तहत करती है।
कंपनी नए इनीशियल पब्लिक ऑफर प्राथमिक बाजार में लाकर नए शेयर या डिबेंचर जारी करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्राइमरी मार्केट वह जगह है, जहाँ सिक्यूरिटीज यनी कि प्रतिभूतियों को अस्तित्व में लाया जाता है।
प्राथमिक बाजार के विपरीत द्वितीयक बाजार यनी सेकंडरी मार्केट में विभिन्न कंपनियों द्वारा पहले से जारी किए गए शेयर या डिबेंचर या अन्य सिक्यूरिटीज का लेन-देन होता है।
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अंतिम शब्द
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