Badi Soch ka Bada Jadu: The Magic of Thinking Big Book Summary In Hindi: दोस्तों आज में आपसे The Magic of Thinking Big / मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग/ Badi Soch ka Bada Jadu की समरी शेयर करने जा रहा हूँ इस बुक समरी से (The Magic of Thinking Big Book Summary In Hindi) आप ये रियेलाइज करेंगे कि आपकी सफलता में आपकी सोच कितनी अहम् भूमिका निभाती है।
आप जो है और जो बनना चाहते है, इसमें आपकी सोच काफी बड़ी भूमिका निभाती है। जो आप डिज़र्व करते है उसे हासिल करने में आपकी थिंकिंग हीआपको हेल्प करेगी।वादे बहुत हो चुके तो अब शुरू करें।
विषय सूची
विश्वास करें कि आप सफल हो सकते हैं और आप हो जाएँगे
हर इंसान सफलता चाहता है कि उसे ज़िंदगी का हर ऐसो आराम मिले। कोई भी घिसट घिसट कर एवरेज लाइफ नहीं जीना चाहता। इसलिए जब आपको यकीन होता है कि आप कोई काम कर सकते है, तो आपको अपने आप पता चल जाता है कि इसे कैसे किया जा सकता है। दृढ विश्वास आपके दिमाग को मोटीवेट करता है की वह आपके लक्ष्य को पाने का तरीका खोजे और अगर आप यकीन कर लें कि आप सफल हो सकते है, तो इससे दूसरे भी आप पर विश्वास करने लगते हैं।
आईये इसे एक्साम्पल से समझते है। एक आदमी टूल एंड डाई कंपनी में काम कर रहा था, इस काम से वो ठीक-ठाक पैसे कमा लेता था लेकिन वो संतुष्ट नहीं था। वो अपनी वाइफ और दो बच्चो के साथ एक छोटे से माकन में रह रहा था। उनके पास इतना पैसा नहीं था कि एक बड़ा घर ले सके या अपनी बाकि ज़रूरते पूरी कर सके। वो आदमी अपनी जिंदगी को लेकर दुखी होता गया और अपने परिवार को खुशी ना देने की वजह से वो परेशान होता रहता था। कुछ सालो के बाद उसे एक दूसरी जगह जॉब का ऑफर मिला। लेकिन ये जगह उसके घर से काफी दूर था तो उसने सोचा क्यों ना ट्राई किया जाए।
जॉब इंटरव्यू के एक दिन पहले वो आदमी कुछ सफल लोगो से मिला जिन्हें वो जानता था। उसने खुद से पुछा कि उन लोगो के पास ऐसा क्या है जो उसके पास नहीं है। काफी सोचने के बाद उसने पाया कि उन सबको खुद पर भरोसा था कि वो कुछ कर सकते है।
अगले दिन वो आदमी पूरे कांफिडेंस के साथ इंटरव्यू के लिए गया और उसने अपने पिछले जोब से 3500 डॉलर ज्यादा सेलरी की भी डिमांड की। वो इतनी सेलरी इसलिये डिमांड कर रहा था क्योंकि उसे खुद पर भरोसा था कि वो इतना सैलरी पाने के योग्य है। और उसके इस कांफिडेंस की वजह से उसे वो जॉब मिल गयी।
इसलिए दोस्तों आपने आप को कभी भी सस्ते में न बेचो। अपनी वर्थ पहचानो और विश्वास करो कि आप इससे ज्यादा कर सकते है और बन सकते हैं। जब आप बड़ा सोचना शुरू करोगे तो बड़ी सफलता आपको अपने आप मिलने लगेगी।
बहानासाइटिस का इलाज कराएँ यह असफलता की बीमारी है
अगर हम लोगों का गहराई से अध्ययन करें तो पता चलेगा कि असफल लोगों को दिमाग की एक भयानक बीमारी होती है जिसे ऑथर बहानासाइटिस यानी की एक्सक्यूजिस्टिस कहते है। जो व्यक्ति जितना सफल होता है, वह उतने ही कम बहाने बनाता है।
परन्तु जो व्यक्ति कहीं नहीं पहुंच पता उसके पास बहाने थोक में मौजूद रहता है। जब आप उनसे पूछते है कि क्या हुआ आप प्रोग्रेस क्यों नहीं कर रहे हैं तो वो ऐसे बहाने गिनवा देते है मेरे साथ हेल्थ समस्या है या फिर मै काफी ऐजेट हूँ या फिर मै उतना इंटेलीजेंट नहीं हूँ जितना होना चाहिए या फिर लास्ट में कह देंगे मै तो अनलकी हूँ।
आईये इसे रियल लाइफ एक्साम्पल से समझते है एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में एक ट्रेनी था जिसका नाम सेसिल था और वो 40 साल की थी वो मेंनूफेक्चरर रीप्रजेंटेटिव का जॉब ढूंढ रहा था। लेकिन सेसिल में कोंफीडेंस की कमी थी क्योंकि उसे लगता था कि वो काफी ऐजेट हो चूका है इस जॉब के लिए।
बाद में इसी ट्रेनिंग के दौरान ऑथर ने सेसिल से पुछा कि क्या उसे पता है कि आदमी की प्रोडक्टिव लाइफ कब स्टार्ट होती है और कब ख़त्म होती है तो इसपर सेसिल ने कहा कि आदमी 20 से लेकर 70 साल तक काम कर सकता है। और अपने इस जबाब से वो खुद ही हैरान था क्योकि इससे उसका उम्र का बहानासाइटिस तत्काल ख़त्म हो गया। उसे महसूस हुआ कि अभी तो वो अपनी प्रोडक्टिव एज के सिर्फ 40% पर ही पंहुचा है, और इसके वावजूद वो आगे बढ़ने से घबरा रहा है।
इसलिए दोस्तों कभी भी दिवास्वप्न न देखें। अपने मानसिक ऊर्जा को ऐसे सपने देखने में जाया जा न करें जिसमे बिना मेहनत के सफलता हासिल की जा सकती हो। हम किस्मत के सहारे सफल नहीं होते। सफल उन चीजों को करने से आती है और उन सिद्धांतों में महारथी बनाने से मिलती है जो सफलता में सहायक होते है। प्रमोशन, जीत , लाइफ की अच्छी चीजों में किस्मत का सहारा न लें। किस्मत से ये चीजें नहीं मिला करती है इसके बजाय आप आपने आपमें ऐसे गुण विकसित करें कि आप सचमुच में एक विजेता बन जाएँ।
विश्वास जगाएँ और डर भगाएँ
कुछ लोगो के लिए डर सिर्फ मनोवैज्ञानिक है। लेकिन सच तो ये है कि डर वास्तव में होता है और इससे पहले कि हमारा डर हमे कण्ट्रोल करे, हमे इसे पहचानना होगा। आईये इसे एक एक्साम्पल से समझते है द्वितीय विश्वयुद्ध में नेवी ने ये फैसला लिया कि इसके सभी न्यू रीक्रूट्स को तैरना आना चाहिए। ज्यादातर यंग बॉयज थे और इनमे से कुछ को पानी की गहराई से डर लगता था। इनके ट्रेनिंग के लिए स्विमिंग क्लास आयोजित की गई।
इस ट्रेनिंग के लिए उन्हें 6 फ़ीट ऊँचे स्टैंड से 8 फ़ीट गहरे पानी में जंप मारने को बोला गया। पर पानी में जंप मारने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। ऑफिसर को एक आईडिया आया, उसने एक रिक्रूट को वाटर पूल में धक्का दे दिया वह किसी तरह से स्ट्रगल करता हुआ पानी के ऊपर आया तो ऑफिसर ने उससे पुछा कि क्या वो ट्रेनिंग कंटीन्यू करना चाहेगा तो रीक्रूट ने कॉंफिडेंट के साथ हाँ बोला।
और उसने ये भी बोला की वो फिर से पानी में जंप करने को रेडी है ताकि वो अपना डर दूर कर सके और स्विमिंग सीख सके। इस घटना से हमें यही शिक्षा मिलती है कि काम करने से डर दूर होता है और एक्शन ही फियर का इलाज है।
Badi Soch ka Bada Jadu Book Summary in Hindi
बडा कैसे सोचे
सफलता इंच या पौंड के हिसाब से नहीं नापा जाता और न ही इसे कॉलेज की डिग्रीयों से और आपके फॅमिली बैकग्राउंड से नापा जाता है इसे तो बस आपके सोच के आकर से नापा जाता है। आप कितना बढ़ा सोचते है यही आपके उपलब्धियों के आकर को तय करता है। आईये इसे एक एक्साम्पल से समझते है। एक अमीर आदमी अपनी कीमती कार चला रहा था।
पास के एक रेस्तरोरेंट में कार पार्क करने के बाद जब वो अपने अमीर दोस्तों से मिलने जा रहा था तो उसने देखा कि एक लड़का उसकी कार को बड़े गौर से देख रहा था जब अमीर आदमी उस लड़के को देखकर मुस्कुराया तो लडके ने उसे कहा कि उसकी कार जबरदस्त है।
इस पर अमीर आदमी ने कहा की ये ये उतनी भी कीमती नहीं है, ये तो उसके भाई ने उसे गिफ्ट की है। उस आदमी की बात सुनकर लड़का कुछ नहीं बोला। तो अमीर आदमी ने उससे पुछा कि क्या वो भी ऐसी कीमती कार लेने का सपने देख रहा है? इसपर उस लड़के का जवाब सुनकर वो आदमी हैरान रह गया। उस लड़के ने कहा नहीं, बल्कि ये सोच रहा हूँ कि मै आपके भाई की तरह अमीर कैसे बन सकता हूँ”?
इसलिए दोस्तों वर्तमान में चीजें कैसी है , यह देखने के बजाय यह देखें की वो भविष्य में कैसी हो सकती हैं। कल्पनाशक्ति से हर चीज ज्यादा कीमती बन जाती है। बढ़ा चिंतक हमेशा इस बात की कल्पना कर लेता है की भविष्य में क्या किया जा सकता है। वह केवल वर्तमान में ही नहीं उलझा रहता।
क्रेअटीवली कैसे सोचे
क्रिएटिव थिंकिंग का अर्थ है किसी काम को करने का इम्प्रूव्ड तरीका खोजना। आपकी सफलता इसी बात में छुपी होती है कि आप चीजों को बेहतर तरीके से करने के उपाय किस तरह खोजते है फिर चाहे वो सफलता घर में हो या काम धंदे में या फिर समाज में। आईये इसे एक एक्साम्पल से समझते है।
ऑथर के पास दो लाइफ इंश्योरेंस सेल्समेन आये। दोनों सेल्समेन उसे एक इंश्योरेंस प्रोग्राम के बारे में बता रहे थे, दोनों ने उस आदमी से वादा किया कि वो उसे एक बढ़िया प्लान ऑफर करेंगे। फर्स्ट सेल्समेन ने ऑथर को एक ओरल प्रजेंटेशन दी, ऑथर की जो रीक्वायरमेंट थी उसके हिसाब से उसने प्लान अपने शब्दों के माध्यम से मुँहजबानी समझाया लेकिन ऑथर को कुछ समझ नहीं आया। सेल्समेन ने उसे टैक्स, ऑप्शन्स, सोशल सिक्योरिटी के बारे में बताया और बाकि टेक्नीकल डिटेल्स भी दी।
सारी डिटेल्स सुनने के बाद ऑथर और भी कन्फ्यूज़ हो गया इसलिए ऑथर ने सेल्समेन को प्लान लेने से मना कर दिया। अब दूसरे सेल्समेन की बारी आई। उसने एक अलग शैली का इस्तेमाल किया। उसने सारी डिटेल्स को बड़े इंटरेस्टिंग और क्रिएटिव वे में एक डायाग्राम की मदद से ऑथर को बताया। ऑथर को दूसरे सेल्समेन का प्रोपोजल बड़ी आसानी से समझ आ गया था इसलिए ऑथर ने उसी टाइम इंश्योरेस ले लिया।
इसलिए दोस्तों अपने थौट्स को फ्रीडम दे। इम्पोसिबल वर्ल्ड अपनी डिक्शनरी से निकाल दे. नए नए experiments करें और भीड़ से अलग अपनी पहचान बनाये।
जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे
आप क्या सोचते हैं, इससे तय होता है कि आप कैसा काम करते हैं। आप क्या करते हैं इससे तय होता है दुसरे आपके साथ कैसा व्यवहार करते है। इसलिए महत्वपूर्ण दिखे – इससे खुद को महत्वपूर्ण समझने में मदद मिलती है व्यक्तित्व बोलता है। आप कैसे दीखते हैं, इससे आपकी छवि बंटी है। सुनिश्चित कर लें के आपके बाहरी व्यक्तित्व से आपके बारे में सकारात्मक छवि ही बने इसलिए घर से चलते समय सुनिश्चित कर है जैसा आप दिखना चाहते हैं
आईये इसे एक्साम्पल से समझते है ईट उठाने वाले से यह सवाल पूछा गया की तुम क्या कर रहे हो तो पहले ईट ज़माने वाले ने कहा की ईट जमा रहा हूँ दूसरे ने जबाब दिया की १० डॉलर घंटा कमा रहा हूँ और तीसरे ने जबाब दिया के में तो दुनिया का सबसे महान गिरजाघर बना रहा हूँ।
पहले दोनों ईट ज़माने वाले ज़िंदगी भर वही काम करता रह गया क्योकि उनमे भविष्य दृष्टि नहीं थी वे अपने काम का सम्मान नहीं करते थे लेकिन तीसरा कारीगर जिसने कहा था की वह महान गिरजाघर बना रहा है वह एक शानदार आर्किटेक्ट बन गया और लाइफ में आगे बढ़ गया क्योकि इंसान की सोच ही उसके प्रगति का आधार है।
काम के बारे में आपके क्या सोच है, उससे आपके बारे में बहुत कुछ पता चलता है और यह भी पता चलता है की आपमें ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी उठाने की क्षमता है या नहीं। तो आप जो खुद के बारे में सोचते हो वही आपकी इमेज बन जाती है। जो हम अपने बारे में सोचते है वो हमारे लिए एक मोटीवेश्न्ल टूल बन जाता है जो हमे एक्जेक्टली वही पर्सन बनने में हेल्प करता है। इसलिए सोचो और बनो।
अपने माहौल को सुधारें फर्स्ट क्लास बनें
पैसे बचाने के चक्कर में एक आदमी ने महीनो तक एक घाटियां होटल में खाना खाया। जगह साफ़ सुथरी नहीं थी और खाना भी अच्छा नहीं था और सर्विस का तो बुरा हाल था लेकिन पैसे बचाने के लिए वो आदमी बिना किसी शिकायत किये चुपचाप खा लेता था। एक दिन उसका दोस्त जबरदस्ती एक बढ़िया रेस्तरोरेंट में ले गया। वहां पर उसके दोस्त ने लंच आर्डर किया तो उस आदमी ने भी सेम आर्डर कर दिया।
उसके बाद जो हुआ उसे देखकर वो आदमी हैरान रह गया। उसके सामने बढ़िया खाना परोसा गया था, सर्विस भी एकदम फर्स्ट क्लास थी, बढ़िया enviornment था। और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि यहाँ का प्राइस उससे बस थोडा ही ज्यादा था जितना वो उस घटिया होटल में महोने से पे कर रहा था।
उस आदमी को एक बड़ा लेसन मिल गया था। फर्स्ट क्लास बनने के लिए पहले आपको फर्स्ट क्लास की तरह बिहेव करना पड़ेगा। हमें लाइफ में खुद को एन्जॉय करने से रोकना नहीं चाहिए। फर्स्ट क्लास का मतलब है बेस्ट, और यही हम बनना चाहते
लोगों के बारें में अच्छा सोचें
सफलता दूसरे लोगों के सहयोग पर निर्भर करती है। आपके और आपके लक्ष्य के बीच एकमात्र बाधा दूसरों का सहयोग है। इसलिए हमेशा इस तरह से सोचें की में उसके लिए महत्वपूर्ण होऊ या न होऊ पर वह मेरे लिए महत्वपूर्ण है । इसलिए दोस्तों हमे गुड रिलेशनशिप में इन्वेस्ट करना चाहिए, क्योंकि ये बहुत ज़रूरी है कि हम दूसरो के साथ एक काइंड और फ्रेंडली वे में बिहेव करे
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तो दोस्तों इस आर्टिकल (Badi Soch ka Bada Jadu: The Magic of Thinking Big Book Summary In Hindi) में बस इतना ही आपको ये आर्टिकल (The Magic of Thinking Big Book Summary In Hindi) कैसी लगी हमें कमेन्ट कर के जरूर बताये। अगर आप इस बुक का कम्पलीट वीडियो समरी देखना चाहते है तो ऊपर दिए लिंक से देख सकते है।
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