The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill

The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill: दोस्तों आज में आपसे Napoleon Hill की बुक The Lost Prosperity Secrets hindi me सम्पन्नता के छिपे हुए रहस्य से सफलता की जादुई सिद्दी के 16 पायदान (Safalta kee Jaaduee Seedhee) आपसे शेयर करूँगा जिससे आप सफलता के बारें में सबकुछ जान पाएंगे तो बिना किसी देरी की करते है काम की बात

The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill

The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill

The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill

पायदान 1: जीवन में निश्चित लक्ष्य

अगर आप मकान बनाना चाहते हैं, तो उसकी योजना के बिना आप रेत, पत्थर, ईंट, सीमेंट और अन्य सामग्री इकट्ठी नहीं करेंगे। लेकिन 12,000 लोगों से ज़्यादा के विश्लेषण से यह साबित होता है कि 95 प्रतिशत लोगों के पास अपना करियर बनाने की कोई योजना नहीं होती, जो मकान बनाने से हज़ार गुना ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। आपका पहला क़दम यह होना चाहिए कि आप एक निश्चित लक्ष्य चुन लें, वरना आपके पास की सारी शक्ति बेकार चली जाएगी, क्योंकि आप इसे किसी सार्थक उद्देश्य में नहीं लगा पाएँगे।

जीवन में न सिर्फ़ निश्चित लक्ष्य का होना ज़रूरी है, बल्कि आपके पास उस लक्ष्य को हासिल करने की एक निश्चित योजना भी होनी चाहिए। इसलिए एक काग़ज़ पर अपना निश्चित लक्ष्य लिखें और पूरे विस्तार से यह भी लिखें कि उसे हासिल करने की आपकी योजना क्या है। (The Lost Prosperity Secrets Book)

पायदान 2: आत्मविश्वास

जीवन में कोई निश्चित लक्ष्य बनाना या इसे हासिल करने की योजना बनाना तब तक कारगर नहीं होगा, जब तक कि व्यक्ति में आत्म-विश्वास न हो, जिसके साथ वह इस योजना पर चलकर लक्ष्य तक पहुँचे। वैसे तो हर इंसान में थोड़ा-बहुत आत्म-विश्वास होता है, लेकिन चंद लोगों में ही उस ख़ास तरह का आत्म-विश्वास होता है, जिसे हम सफलता की जादुई सीढ़ी का दूसरा पायदान कहते हैं। आत्म-विश्वास एक मानसिक अवस्था है, जिसे कोई भी बहुत कम अवधि में हासिल कर सकता है।

पायदान 3: पहल

जब लोग सिर्फ़ बताया काम करके रुक जाते हैं, तो उनकी तरफ़ ख़ास ध्यान नहीं दिया जाता है। लेकिन जब वे पहल करते हैं और आगे बढ़कर अपने नियमित कर्तव्यों के अलावा दूसरे कामों की तलाश करते हैं, तो वरिष्ठ अधिकारी उन पर सकारात्मक ध्यान देते हैं।

ऐसे कर्मचारियों को ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी जाती हैं और इसी अनुसार उनका वेतन भी बढ़ाया जाता है। किसी भी क्षेत्र में बहुत ऊँचा उठने से पहले इंसान को दूरदृष्टा बनना चाहिए, जो बड़े संदर्भ में सोच सके, निश्चित योजनाएँ बना सके और फिर उन योजनाओं पर अमल कर सके, जिससे पहल का गुण अनिवार्य रूप से विकसित हो जाएगा।

पायदान 4: कल्पना

कल्पना मानव मस्तिष्क की वह कार्यशाला है, जिसमें पुराने विचार नए तालमेलों और नई योजनाओं में ढलते हैं। सारे महान आविष्कारों का अस्तित्व इन्हीं दो शक्तियों के मिश्रण का नतीजा है – पहल और कल्पना। सामान्य योग्यता वाला कोई व्यक्ति पहल और कल्पना का उपयोग करके कितना हासिल कर सकता है, यह कोई नहीं बता सकता।

इन दोनों गुणों की कमी ही वह मुख्य कारण है, जिसकी बदौलत संसार के 95 प्रतिशत वयस्क लोगों के पास जीवन में कोई निश्चित लक्ष्य नहीं होता और इस वजह से वे 95 प्रतिशत लोग अनुयायी बने रहते हैं। लीडर हमेशा पहल और कल्पना वाले लोग होते हैं।

पायदान 5: कर्म

संसार केवल एक ही चीज़ के बदले में पैसे देता है और यह है सेवा यानी कर्म। संग्रहीत ज्ञान का कोई मोल नहीं है। इससे किसी को तब तक कोई फ़ायदा नहीं होता, जब तक कि इसे कर्म में न बदला जाए। शेल्फ़ पर रखी चीज़ों के लिए कोई भी पैसे नहीं देगा। उन्हें नीचे उतारना होगा, सेवा में लाना होगा, तभी संसार उनके लिए पैसे देगा।

हो सकता है कि आप सबसे अच्छे कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़े हों – यह भी मुमकिन है कि आपके दिमाग़ में संसार के सारे विश्वकोषों के सारे तथ्य भरे पड़े हों – लेकिन जब तक आप इस ज्ञान को व्यवस्थित नहीं करते हैं और कर्म में व्यक्त नहीं करते हैं, तब तक इसका आपके लिए या संसार के लिए कोई मूल्य नहीं होगा।

पायदान 6: उत्साह

उत्साह आम तौर पर अपने आप आ जाता है, जब लोगों को वह काम मिल जाता है, जिसके लिए वे सबसे अच्छी तरह उपयुक्त होते हैं, जिसे वे सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। नापसंद काम के प्रति बहुत ज़्यादा उत्साह क़ायम रखना संभव नहीं होता, इसलिए बेहतर यही है कि आप मेहनत से तलाश करते रहें, जब तक कि आपको वह काम न मिल जाए, जिसमें आप अपना पूरा दिल और आत्मा झोंक सकें – वह काम जिसमें आप गंभीरता से और लगन से ख़ुद को “भूल” सकें।

पायदान 7: आत्म-नियंत्रण

आत्म-नियंत्रण की कमी की वजह से लोग दूसरों में दोष निकालने लगते हैं। कोई भी व्यक्ति दूसरों का अच्छा लीडर तब तक नहीं बना है, जब तक कि उसने आत्म-नियंत्रण करके पहले अपना नेतृत्व करना नहीं सीखा है। जब लोग अपना आपा खोते हैं, तो आपके मस्तिष्क में ऐसे रसायन आकर्षित होते हैं, जो क्रोध के साथ मिलकर विष बना लेते हैं।

क्रोध में मस्तिष्क जो विष बनाता है, उससे छुटकारा पाने के सिर्फ़ तीन तरीक़े हैं। एक है त्वचा के रोमछिद्रों द्वारा; एक है फेफड़ों के ज़रिये साँस द्वारा; और तीसरा है लिवर द्वारा, जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थ अलग करता है। जब ये तीनों मार्ग अति व्यस्त होते हैं, तो क्रोध द्वारा बनाया गया अतिरिक्त विष पूरे शरीर में फैलकर इसे विषाक्त कर देता है, मानो ज़हर का इंजेक्शन लगा दिया गया हो।

क्रोध, घृणा, आलोचना, निराशावाद और अन्य नकारात्मक मानसिक अवस्थाएँ शरीर में विष फैलाती हैं, इसलिए इनसे यथासंभव बचना चाहिए। ये सभी अवस्थाएँ आत्म-नियंत्रण का अभाव कहे जाने वाले घातक नकारात्मक गुण की परिचायक हैं।

पायदान 8: आपको जितने काम के लिए पारिश्रमिक मिलता है, इससे ज़्यादा और बेहतर काम करने की आदत

जो इंसान यह आदत डाल लेता है, उसका लीडर के रूप में सम्मान किया जाता है और जहाँ तक हम जानते हैं, ऐसे सभी लोग बिना किसी अपवाद के अपने पेशे या व्यवसाय में शिखर पर पहुँचे हैं, चाहे उनकी राह में कितनी ही बाधाएँ खड़ी हों।

जो इंसान इस तरह की सेवा देता है, उसकी तरफ़ लोगों का ध्यान निश्चित रूप से आकर्षित होगा और वे उसकी सेवाएँ पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगेंगे। जितना काम करने के लिए पारिश्रमिक मिलता है, उत्साहपूर्वक उससे ज़्यादा और बेहतर काम करने के जज्ब़े का न्यायपूर्ण पुरस्कार मिलना तय है। यह कई अन्य नकारात्मक गुणों को बेअसर कर देगा और कई वांछित गुणों की कमी की भरपाई करेगा।

पायदान 9: आकर्षक व्यक्तित्व

आकर्षक व्यक्तित्व आम तौर पर उस व्यक्ति का होता है, जो नर्मी से और दयालुता से बोलता है, जो किसी को बुरे न लगने वाले शब्द चुनता है; जो उचित शैली व सामंजस्यपूर्ण रंगों वाली पोशाक पहनता है। जो निःस्वार्थ होता है और दूसरों की सेवा करने के लिए तत्पर रहता है; जो राजनीति, धर्म, पंथ या आर्थिक दृष्टिकोणों से परे सारी मानवता का मित्र होता है; जो अकारण या सकारण दूसरों के बारे में बुरा नहीं बोलता है।

जो बातचीत करते वक़्त बहस नहीं करता है या धर्म और राजनीति जैसे विवादास्पद विषयों पर बहस में दूसरों को नहीं घसीटता है; जो सभी लोगों में अच्छाई देखता है और बुराई को नज़रअंदाज़ कर देता है; जो न तो दूसरों को सुधारना चाहता है, न ही फटकारना चाहता है; जो बार-बार और गहराई से मुस्कराता है।

जो छोटे बच्चों, फूलों, पक्षियों, उगती घास, पेड़ों और बहती नदियों से प्रेम करता है; जो मुश्किल में फँसे सभी लोगों के साथ सहानुभूति रखता है; जो दूसरों के निर्मम कामों को क्षमा कर देता है; जो स्वेच्छा से दूसरों को उनके मनचाहे काम करने का अधिकार देता है, बशर्ते किसी दूसरे के अधिकारों का हनन न हो रहा हो।

जो गंभीरता से हर विचार और कार्य में सृजनात्मक बनने की कोशिश करता है। जो दूसरों को प्रोत्साहित करता है और मानवता के हित वाले किसी उपयोगी काम में ज़्यादा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, उनकी ख़ुद में रुचि जगाता है और उनमें आत्म-विश्वास भरता है।

जो धैर्यवान और रुचिकर श्रोता होता है और बात काटे बिना या सारी बातचीत किए बिना सामने वाले को बातचीत करने का मौक़ा देने की आदत डाल लेता है। इस सीढ़ी में बताए बाक़ी गुणों की तरह ही आकर्षक व्यक्तित्व भी व्यवहारिक मनोविज्ञान के अमल के ज़रिये आसानी से विकसित हो जाता है।

पायदान 10: सटीक विचार

जब आप सही तरीक़े से सोचना सीख लें, तो आप अपने दिमाग़ में सेंध लगाने वाली हर चीज़ की जाँच करने की आदत आसानी से व ख़ुदबख़ुद डाल सकते हैं और यह देख सकते हैं कि यह “जानकारी” है या फिर “तथ्य” है।

जब आप यह समझ लेते हैं कि सही तरीक़े से सोचा कैसे जाता है, तो आप यह भी सीखेंगे कि दूसरों की कही बातों को भी इसी प्रक्रिया से गुज़ारें, क्योंकि इससे आप सत्य के ज़्यादा क़रीब पहुँचेंगे।

आप सीखेंगे कि किसी चीज़ को तथ्य के रूप में तब तक स्वीकार नहीं करना है, जब तक कि यह आपकी बुद्धि से मेल नहीं खाती है और विभिन्न जाँचों में खरी नहीं उतरती है। दमदार चिंतक हर उस चीज़ की जाँच-पड़ताल करता है, जो उसके दिमाग़ में सेंध लगाने की कोशिश करती है।

आप यह भी सीखेंगे कि एक व्यक्ति दूसरे के बारे में जो कहता है, उससे तब तक प्रभावित नहीं होना है, जब तक कि आप उस कथन को तौल न लें, उसकी जाँच न कर लें और सही सोच के ज्ञात सिद्धांतों के अनुरूप यह पता न लगा लें कि वह कथन झूठा है या सच्चा।

अगर वैज्ञानिक सोच आपके लिए यह सब कर सकती है, तो यह एक वांछित गुण है, है ना? यह इतना सब – और इससे ज़्यादा भी – करेगी, बशर्ते आप तुलनात्मक रूप से उन आसान सिद्धांतों को समझ लें, जिनके ज़रिये सही विचार उत्पन्न होता है।

The Lost Prosperity Secrets Book Summary in Hindi by Napoleon Hill

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पायदान 11: एकाग्रता

एकाग्रता आपकी कल्पना को सक्रिय करती है, ताकि यह आपके अवचेतन मन के हर कोने की तलाश करके आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराए। ध्यान रहे, आपके अवचेतन मन में आपकी पाँचों इंद्रियों के ज़रिये आपके मस्तिष्क तक पहुँची हर इंद्रिय छवि संग्रहीत होती है।

एकाग्रता बिजली की बैटरियों को जोड़ने वाला तार भी है, जिसका उद्देश्य किसी निश्चित लक्ष्य या किसी निश्चित उद्देश्य को हासिल करना होता है।   

पायदान 12: लगन

लगन का मतलब है इच्छाशक्ति या संकल्प। इसी गुण की बदौलत आप अपने मस्तिष्क की सभी शक्तियाँ एकाग्रता के सिद्धांत के ज़रिये किसी निश्चित उद्देश्य पर तब तक केंद्रित रखते हैं, जब तक कि वह उद्देश्य हासिल नहीं हो जाता।  

लगन वह गुण है, जिसकी बदौलत आप अस्थायी असफलता से गिरने के बाद ऊपर उठते हैं और अपनी निश्चित इच्छा या उद्देश्य का पीछा करते रहते हैं। यही वह गुण है, जो आपके अपने सामने मौजूद सारी बाधाओं के सामने कोशिश करते रहने का साहस और विश्वास देता है।

पायदान 13: असफलताएँ

जब आपको यह अहसास हो जाता है कि असफलता इंसान की शिक्षा का एक ज़रूरी हिस्सा है, तो आप इससे डरना छोड़ देंगे। इसके बाद आप यह समझ जाएँगे कि असफलता जैसी कोई चीज़ नहीं होती! कोई भी व्यक्ति हारकर गिरने के बाद ऊपर तभी उठ पाता है, जब वह किसी न किसी मायने में ज़्यादा शक्तिशाली और बुद्धिमान इंसान बन जाता है।

अगर आप पलटकर अपनी असफलताओं को देखते हैं और अगर सौभाग्य से आप कभी भारी असफल हुए हैं, तो आपको बेशक दिख जाएगा कि वे असफलताएँ आपके जीवन और आपकी योजनाओं में निश्चित, निर्णायक मोड़ों का सूचक थीं और आपके लिए लाभकारी थीं।

पायदान 14: सहनशीलता और सहानुभूति

अगर आम लोग असहिष्णुता को त्याग दें, किसी साझे उद्देश्य के लिए काम करें, ठोस एकता दिखाएँ, तो संसार की कोई शक्ति उन्हें परास्त नहीं कर सकती। युद्ध में पराजय आम तौर पर व्यवस्थापन के अभाव से आती है। यही जीवन में भी सच है।

असहिष्णुता और साझे उद्देश्य के प्रति सामंजस्यपूर्ण प्रयास की कमी के कारण द्वार खुला छूट जाता है, जिससे व्यवस्थित प्रयास की शक्ति को समझने वाले चंद लोग अंदर आ जाते हैं और अव्यवस्थित तथा असहिष्णु लोगों की पीठ पर सवार हो जाते हैं। हमें कम से कम उस छोटी मधुमक्खी जितना बुद्धिमान तो होना चाहिए, जो छत्ते के हित में इसलिए काम करती है, ताकि छत्ता नष्ट न हो जाए।

पायदान 15: कर्म

प्रकृति के सभी नियमों में यह आदेशित है कि जिस भी चीज़ का इस्तेमाल नहीं किया जाता, वह जीवित नहीं रह सकती। जो बाँह एक तरफ़ बँधी रहती है और सक्रिय उपयोग में नहीं आती है, वह कमज़ोर और नष्ट हो जाएगी। यही आपके भौतिक शरीर के किसी भी दूसरे अंग के बारे में सही है। इस्तेमाल न करना नाश और मृत्यु को न्योता देना है।

जब तक आप इन गुणों का अभ्यास करते हैं और उन्हें काम में लाते रहते हैं, वे शक्तिशाली और स्वस्थ बने रहेंगे। लेकिन यदि आप उन्हें सुप्त या अप्रयुक्त पड़े रहने की अनुमति देते हैं, तो वे कुम्हलाकर दुर्बल हो जाएँगे और अंततः नष्ट हो जाएँगे।

पायदान 16: स्वर्णिम नियम

स्वर्णिम नियम का सीधा अर्थ यह है कि हमें दूसरों के लिए वैसा ही करना चाहिए, जैसा हम चाहते हैं कि वे हमारे लिए करें; कि हमें उनके साथ वही करना चाहिए, जैसा हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ करें; कि अपने विचारों, कार्यों और कर्म में हमें वही देना चाहिए, जो हम दूसरों से पाना चाहते हैं। इस सीढ़ी ke ज़रिये आप जीवन में किसी भी वैध लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं, जो आपकी उम्र, नैसर्गिक प्रवृत्ति, शिक्षा और परिवेश वाले व्यक्ति की पहुँच के भीतर हो।

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